"अनकहा इससे अधिक है -दिनेश रघुवंशी": अवतरणों में अंतर
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यूं तो शिखरों से बड़ी ऊँचाईयों को छू लिया है | यूं तो शिखरों से बड़ी ऊँचाईयों को छू लिया है | ||
छूने को पाताल-सी गहराईयों को छू लिया है | छूने को पाताल-सी गहराईयों को छू लिया है | ||
विष भरी बातें हंसी जब बींध कर मेरे | विष भरी बातें हंसी जब बींध कर मेरे हृदय को | ||
खुश्बुएँ छूकर लगा अच्छाईयों को छू लिया है | खुश्बुएँ छूकर लगा अच्छाईयों को छू लिया है | ||
तुम मिले जिस पल मुझे ऐसा लगा- | तुम मिले जिस पल मुझे ऐसा लगा- |
09:51, 24 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
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तुम अधूरी बात सुनकर चल दिए- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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