"मुझ से पहली सी मोहब्बत -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़": अवतरणों में अंतर
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तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए | तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए | ||
यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए | यूँ न था, मैंने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए | ||
और भी | और भी दु:ख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा | ||
राहतें और भी हैं, वस्ल की राहत के सिवा | राहतें और भी हैं, वस्ल की राहत के सिवा | ||
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लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे | लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे | ||
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे! | अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे! | ||
और भी | और भी दु:ख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा | ||
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा | राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा | ||
14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब न माँग |
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