"वासोख़्त -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़": अवतरणों में अंतर
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हर चारागर को चारागरी से गुरेज़ था | हर चारागर को चारागरी से गुरेज़ था | ||
वरना हमें जो | वरना हमें जो दु:ख थे, बहुत ला-दवा न थे | ||
लब पर है तल्ख़िए-मय-ए-अय्याम, वरना 'फ़ैज़' | लब पर है तल्ख़िए-मय-ए-अय्याम, वरना 'फ़ैज़' |
14:05, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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सच है, हमीं को आपके शिकवे बजा न थे |
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