"गौरीशिखर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
<blockquote>'ततो गच्छेत धर्मज्ञ: तीर्थसेवनतत्पर: शिखरं वै महादेव्या गौर्या स्त्रैलोक्यविश्रुतम्।"<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 84, 151.</ref></blockquote>
<blockquote>'ततो गच्छेत धर्मज्ञ: तीर्थसेवनतत्पर: शिखरं वै महादेव्या गौर्या स्त्रैलोक्यविश्रुतम्।"<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 84, 151.</ref></blockquote>


*इसका उल्लेख हिमालय पर स्थित 'पितामह सर'<ref>शायद मानसरोवर; यहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी निकलती है। पितापह=ब्रह्मा</ref> के पश्चात है।
*इसका उल्लेख हिमालय पर स्थित 'पितामह सर'<ref>शायद मानसरोवर; यहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी निकलती है। पितापह=ब्रह्मा</ref> के पश्चात् है।
*गौरीशिखर को इस उल्लेख में [[महादेव]]-[[पार्वती]] के नाम से प्रसिद्ध बताया गया है।
*गौरीशिखर को इस उल्लेख में [[महादेव]]-[[पार्वती]] के नाम से प्रसिद्ध बताया गया है।
*इस शिखर पर<ref>महाभारत, वनपर्व 84, 151 में</ref> 'स्तनकुंड' नामक सरोवर का भी उल्लेख है-
*इस शिखर पर<ref>महाभारत, वनपर्व 84, 151 में</ref> 'स्तनकुंड' नामक सरोवर का भी उल्लेख है-

07:48, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

गौरीशिखर हिमालय पर्वत का एक शिखर है, जिसका उल्लेख महाभारत, वनपर्व के अंतर्गत तीर्थयात्रा प्रसंग में हुआ है-

'ततो गच्छेत धर्मज्ञ: तीर्थसेवनतत्पर: शिखरं वै महादेव्या गौर्या स्त्रैलोक्यविश्रुतम्।"[1]

  • इसका उल्लेख हिमालय पर स्थित 'पितामह सर'[2] के पश्चात् है।
  • गौरीशिखर को इस उल्लेख में महादेव-पार्वती के नाम से प्रसिद्ध बताया गया है।
  • इस शिखर पर[3] 'स्तनकुंड' नामक सरोवर का भी उल्लेख है-

'समासाद्य नरश्रेष्ठ स्तनकुंडेषु संविशेत्।'

  • गौरीशिखर प्रसिद्ध 'गौरीशंकर' की चोटी जान पड़ती है।[4]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, वनपर्व 84, 151.
  2. शायद मानसरोवर; यहाँ से ब्रह्मपुत्र नदी निकलती है। पितापह=ब्रह्मा
  3. महाभारत, वनपर्व 84, 151 में
  4. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 310 |

संबंधित लेख