"वो बता कैसे मिटें -शिवकुमार बिलगरामी": अवतरणों में अंतर

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दर्द की जो बस्तियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
दर्द की जो बस्तियाँ हैं वो बता कैसे मिटें


रात भर सोया नहीं मैं बस इसी इक फिक्र में
रात भर सोया नहीं मैं बस इसी इक फ़िक्र में
अनसुनी कुछ सिसकियाँ हैं वो बता कैसे मिटें
अनसुनी कुछ सिसकियाँ हैं वो बता कैसे मिटें



12:51, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

वो बता कैसे मिटें -शिवकुमार बिलगरामी
शिवकुमार 'बिलगरामी'
शिवकुमार 'बिलगरामी'
कवि शिवकुमार 'बिलगरामी'
जन्म 12 अक्टूबर, 1963
जन्म स्थान गाँव- महसोनामऊ, हरदोई, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'नई कहकशाँ’
विधाएँ गीत एवं ग़ज़ल
अन्य जानकारी शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाओं में अनूठे बिम्ब और उपमाएं देखने को मिलती हैं। इनकी छंद पर गहरी पकड़ है जिसके कारण इनके गीतों और ग़ज़लों में ग़ज़ब की रवानी देखने को मिलती है।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाएँ

दाग़ जो अब तक अयाँ हैं वो बता कैसे मिटें
फास्ले जो दरमियाँ हैं वो बता कैसे मिटें

एक मुद्दत से दिलों में दर्द की हैं बस्तियाँ
दर्द की जो बस्तियाँ हैं वो बता कैसे मिटें

रात भर सोया नहीं मैं बस इसी इक फ़िक्र में
अनसुनी कुछ सिसकियाँ हैं वो बता कैसे मिटें

किस तरह रिश्तों में आई तल्खियाँ ये फिर कभी
बेसबब जो तल्खियाँ हैं वो बता कैसे मिटें

शम्‌अ जलती रही है देर तक इस सोच में
कुछ अँधेरे बेज़ुबाँ हैं वो बता कैसे मिटें

जो पुराने थे गुनह वो धो दिये तूने मगर
ख़ून के ताज़ा निशाँ हैं वो बता कैसे मिटें

मै ग़मों के बादलों की बात अब करता नहीं
ख़ौफ़ के जो आस्माँ हैं वो बता कैसे मिटें


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