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'''आंध्र जाति''' के लोग [[अशोक]] के साम्राज्य के अंतर्गत दक्षिण भारत के उत्तरी भाग में रहते थे।<ref> {{cite book | last =भट्ट| first =जनार्दन | title =अशोक के धर्मलेख| edition = | publisher =प्रकाशन विभाग| location =नई दिल्ली| language =हिंदी | pages =117| chapter =}} </ref> भारतीय परिवार, जो [[पुराण|पुराणों]] (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, 'आंध्र जाति' (जनजाति) का था और [[दक्षिणापथ]] | '''आंध्र जाति''' के लोग [[अशोक]] के साम्राज्य के अंतर्गत दक्षिण भारत के उत्तरी भाग में रहते थे।<ref> {{cite book | last =भट्ट| first =जनार्दन | title =अशोक के धर्मलेख| edition = | publisher =प्रकाशन विभाग| location =नई दिल्ली| language =हिंदी | pages =117| chapter =}} </ref> भारतीय परिवार, जो [[पुराण|पुराणों]] (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, 'आंध्र जाति' (जनजाति) का था और [[दक्षिणापथ]] अर्थात् दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला यह पहला दक्कनी वंश था। | ||
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07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
आंध्र जाति के लोग अशोक के साम्राज्य के अंतर्गत दक्षिण भारत के उत्तरी भाग में रहते थे।[1] भारतीय परिवार, जो पुराणों (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, 'आंध्र जाति' (जनजाति) का था और दक्षिणापथ अर्थात् दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला यह पहला दक्कनी वंश था। इन्हें भी देखें: आंध्र वंश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भट्ट, जनार्दन अशोक के धर्मलेख (हिंदी)। नई दिल्ली: प्रकाशन विभाग, 117।
बाहरी कड़ियाँ
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