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वेंकटरामन रामकृष्णन
वेंकटरामन रामकृष्णन
वेंकटरामन रामकृष्णन
पूरा नाम वेंकटरामन “वेंकी” रामकृष्णन
अन्य नाम “वेंकी”
जन्म 1952
जन्म भूमि चिदंबरम, तमिलनाडु
अभिभावक पिता- सी. वी. रामकृष्णन, माता- राजलक्ष्मी
पति/पत्नी वेरा रोसेनबेर्री
संतान पुत्र- रमन रामकृष्णन
कर्म-क्षेत्र जैव-रासायन, जैव-भौतिकी एवं कंप्यूटेशनल जीवविज्ञान
विद्यालय अन्नामलाई विश्वविद्यालय, ओहियो विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि रासायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार (2009); पद्म विभूषण (2010)
प्रसिद्धि वैज्ञानिक
विशेष योगदान वेंकटरामन रामकृष्णन ने थ्री डी तकनीक के ज़रिए समझाया कि किस तरह रिबोसोम्ज़ अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं।
नागरिकता अमेरिकी
अन्य जानकारी वेंकटरामन रामकृष्णन सातवें भारतीय एवं तीसरे तमिल मूल के व्यक्ति हैं, जिनको नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
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वेंकटरामन “वेंकी” रामकृष्णन (अंग्रेज़ी: Venkatraman 'Venki' Ramakrishnan, जन्म- 1952, चिदंबरम, तमिलनाडु) भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। वह जीव वैज्ञानिक हैं। वर्ष 2009 में उन्हें रसायन विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

परिचय

वेंकटरामन रामकृष्णन तमिलनाडु के कड्डालोर ज़िले में स्थित चिदंबरम में 1952 में पैदा हुए थे। उनके पिता सी. वी. रामकृष्णन और माता राजलक्ष्मी भी वैज्ञानिक थे। उनके पिता बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में जैव रसायन विभाग के प्रमुख थे।

शिक्षा

वेंकटरामन की प्रारंभिक शिक्षा अन्नामलाई विश्वविद्यालय में हुई। उसके बाद इन्होंने 1971 में बड़ौदा के महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक पूरा करने के बाद वे आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका चले गये और ओहियो विश्वविद्यालय में शोध-कार्य करना प्रारंभ किया, जहाँ से 1976 में उन्होंने पी-एच. डी. की डिग्री प्राप्त की।

विवाह

रामकृष्णन ने वेरा रोसेनबेर्री के साथ विवाह किया। उनकी पत्नी वेरा लेखिका हैं। उनकी सौतेली बेटी तान्या कप्का औरिगन में डॉक्टर हैं और उनके बेटे रमन रामकृष्णन न्यूयॉर्क में आधारित वायलनचेलो संगीतकार हैं।

शोधकार्य

वेंकटरामन रामकृष्णन ने कुछ दिनों तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य भी किया था। यहीं उनमें जीवविज्ञान के प्रति लगाव बड़ा और उन्होंने अपने भौतिकी के ज्ञान का प्रयोग जीव विज्ञान में प्रारम्भ किया। रामकृष्णन अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सदस्य होने के साथ साथ कैम्ब्रिज में स्थित ट्रिनिटी कॉलेज एवं रॉयल सोसायटी के फैलो भी हैं।

वेंकटरमण रामकृष्णन ने सिद्ध किया की रिबोसोम नाम रिबोन्यूक्लिइक एसिड और ग्रीक शब्द सोमा अर्थात शरीर के मेल से बना है। यह कण कोशिका के डीएनए को पढ़ता है और उसमें निहित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुसार शरीर के अनगिनत प्रोटीन बनाता है। दूसरे शब्दों में वह हमारे शरीर की संरचना और रासायनिक स्तर पर इस संरचना के नियंत्रण का काम करता है। वह डीएनए के रूप में लिखे आनुवंशिक कोड को समझ कर उसे न्यूक्लिइक ऐसिड में बदलता है। इसे ट्रांसलेशन यानी अनुवाद क्रिया कहते हैं। साथ ही वह अलग-अलग एमाइनो ऐसिडों को जोड़ कर तथाकथित पॉलीपेप्टाइड कड़ियां बनाता है और संदेशवाही आरएनए की सहायता से उन्हें सही-सही क्रमबद्ध करता है। रिबोसोम आकार में केवल 20 नैनो मीटर जितने बड़े होते हैं। उनका पता सबसे पहले 1950 में रूमानिया के कोशिका वैज्ञानिक जिओर्जी पलादे ने लगाया था।

शोधपत्र

वेंकटरामन रामकृष्णन ने 1977 में करीब 95 शोधपत्र प्रकाशित किए। वर्ष 2000 में वेंकटरामन ने प्रयोगशाला में राइबोसोम की तीस ईकाईयों का पता लगाया और प्रतिजैविकों के साथ इनके यौगिकों पर भी अनुसंधान किया। 26 अगस्त, 1999 को उन्होंने राइबोसोम पर आधारित तीन शोधपत्र प्रकाशित किए। उनका यह शोधकार्य 21 सितंबर, 2000 को नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। उनके हालिया शोध से राइबोसोम की परमाणु संरचना का पता लगता है। रामकृष्णन का नाम हिस्टोन और क्रोमैटिन की संरचना कार्य के लिए भी जाना जाता है।

सम्मान एवं पुरस्कार

  • भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक वेंकटरामन रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया हैं। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राएल की अदा ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था।
  • रामकृष्णन को वर्ष 2012 में नाइटहुड की उपाधि से नवाजा गया।
  • वेंकी के नाम से मशहूर वेंकटरामन सातवें भारतीय एवं तीसरे तमिल मूल के व्यक्ति हैं, जिनको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
  • भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 2010 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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