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इस जाति के लोग मध्य प्रदेश में [[बैतूल ज़िला|बैतूल]], [[छिंदवाड़ा]], [[खण्डवा]] और [[खरगौन ज़िला|खरगौन ज़िले]] में निवास करते हैं। 'बंडोया', 'रूमा' और 'मवासी', कोरकू की उपजातियाँ हैं। कोरकू जनजाति को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
#राय कोरकू - इस वर्ग के लोग सम्पन्न स्थिति में हैं।
#राय कोरकू - इस वर्ग के लोग सम्पन्न स्थिति में हैं।
#पथरिया कोरकू -ये लोग गरीबी की अवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
#पथरिया कोरकू -ये लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
==जीवनचर्या==
==जीवनचर्या==
कोरकू जनजाति के लोग शिकार एवं कंदमूल खाकर अपना जीवन-यापन करते हैं। इन लोगों को भोज्य पदार्थों में चूहा विशेष तौर पर प्रिय है। इनके प्रमुख देवी-[[देवता]] डोंगर देव, मटका देव, [[चंद्रमा]] एवं [[महादेव]] हैं। इनमें क्रय विवाह एवं अपहरण विवाह की प्रथा प्रचलित है। कोरकू जनजाति में '[[कोरकू थापटी नृत्य]]' विशेष अवसरों पर किया जाता है।
कोरकू जनजाति के लोग शिकार एवं कंदमूल खाकर अपना जीवन-यापन करते हैं। इन लोगों को भोज्य पदार्थों में चूहा विशेष तौर पर प्रिय है। इनके प्रमुख देवी-[[देवता]] डोंगर देव, मटका देव, [[चंद्रमा]] एवं [[महादेव]] हैं। इनमें क्रय विवाह एवं अपहरण विवाह की प्रथा प्रचलित है। कोरकू जनजाति में '[[कोरकू थापटी नृत्य]]' विशेष अवसरों पर किया जाता है।

09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

कोरकू जनजाति मध्य प्रदेश की आदिम जनजाति है। इस जाति के लोग नर्मदा और ताप्ती नदी के किनारे रहते हैं। 'कोरकू' शब्द द्रविण भाषा के कोरक शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- 'किनारा'। कोरकू का एक अन्य अर्थ मानव भी होता है। ये लोग बोलचाल की भाषा में कोरकू बोली का प्रयोग करते हैं। मवासी इन लोगों की उपबोली है।

उत्पत्ति

कोरकू लोग अपनी उत्पत्ति रावण या महादेव से मानते हैं। इन लोगों में ऐसा माना जाता है कि एक समय लंका का राजा रावण इस स्थान पर भ्रमण करने आया और यहाँ किसी मानव को न देखकर अत्यंत दुखी हुआ। उसने भगवान शिव को याद किया, तब शिव वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने कोरकू जनजाति को जन्म दिया।

निवास व विभाजन

इस जाति के लोग मध्य प्रदेश में बैतूल, छिंदवाड़ा, खण्डवा और खरगौन ज़िले में निवास करते हैं। 'बंडोया', 'रूमा' और 'मवासी', कोरकू की उपजातियाँ हैं। कोरकू जनजाति को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. राय कोरकू - इस वर्ग के लोग सम्पन्न स्थिति में हैं।
  2. पथरिया कोरकू -ये लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

जीवनचर्या

कोरकू जनजाति के लोग शिकार एवं कंदमूल खाकर अपना जीवन-यापन करते हैं। इन लोगों को भोज्य पदार्थों में चूहा विशेष तौर पर प्रिय है। इनके प्रमुख देवी-देवता डोंगर देव, मटका देव, चंद्रमा एवं महादेव हैं। इनमें क्रय विवाह एवं अपहरण विवाह की प्रथा प्रचलित है। कोरकू जनजाति में 'कोरकू थापटी नृत्य' विशेष अवसरों पर किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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