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*'''बुन्देला''' देशज मूल के [[राजपूत|राजपूतों]] का एक [[गोत्र]] था।
*'''बुन्देला''' देशज मूल के [[राजपूत|राजपूतों]] का एक [[गोत्र]] था।
*ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में [[यमुना नदी|यमुना]] के दक्षिण और [[विन्ध्याचल पर्वतमाला|विन्ध्य पर्वतशृंखला]] के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
*ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में [[यमुना नदी|यमुना]] के दक्षिण और [[विन्ध्याचल पर्वतमाला|विन्ध्य पर्वतश्रृंखला]] के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
*इससे पहले यह क्षेत्र [[जेजाकभुक्ति]] के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक राज्य करते थे।
*इससे पहले यह क्षेत्र [[जेजाकभुक्ति]] के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक राज्य करते थे।
*बुन्देला लोग युद्ध प्रिय थे, और जिस भूमि पर शासन करते थे, वह उनके नाम से [[बुन्देलखण्ड]] कहलाने लगी।
*बुन्देला लोग युद्ध प्रिय थे, और जिस भूमि पर शासन करते थे, वह उनके नाम से [[बुन्देलखण्ड]] कहलाने लगी।

11:22, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

  • बुन्देला देशज मूल के राजपूतों का एक गोत्र था।
  • ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में यमुना के दक्षिण और विन्ध्य पर्वतश्रृंखला के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
  • इससे पहले यह क्षेत्र जेजाकभुक्ति के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर चन्देल शासक राज्य करते थे।
  • बुन्देला लोग युद्ध प्रिय थे, और जिस भूमि पर शासन करते थे, वह उनके नाम से बुन्देलखण्ड कहलाने लगी।
  • बुन्देलों ने भी भारत की अन्य जातियों की भाँति अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
  • बाद के समय में औरंगज़ेब के शासनकाल में बुन्देला सरदार छत्रसाल ने काफ़ी प्रसिद्धि पाई।
  • छत्रसाल पूर्वी मालवा में अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने में सफल हो गया, जिसकी राजधानी पन्ना थी।
  • बाद में इस राज्य ने अंग्रेज़ों की संम्प्रभुता स्वीकार कर ली थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 291।

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