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सेना प्रमुख के पद पर आने से पहले जनरल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला। उनको कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल औऱ फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी जिम्मेदारी दी गई। उनके द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनिया भर के कई जर्नल्स में प्रकाशित किये जा चुके हैं। बिपिन रावत के चाचा, भरत सिंह रावत [[भारतीय सेना]] के एक सेवानिवृत्त हवलदार (गैर-कमीशन अधिकारी) हैं। उनके अन्य चाचा हरिनंदन ने भी भारतीय सेना में सेवा की।
सेना प्रमुख के पद पर आने से पहले जनरल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला। उनको कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल औऱ फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी जिम्मेदारी दी गई। उनके द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनिया भर के कई जर्नल्स में प्रकाशित किये जा चुके हैं। बिपिन रावत के चाचा, भरत सिंह रावत [[भारतीय सेना]] के एक सेवानिवृत्त हवलदार (गैर-कमीशन अधिकारी) हैं। उनके अन्य चाचा हरिनंदन ने भी भारतीय सेना में सेवा की।
====शिक्षा====
====शिक्षा====
बिपिन रावत ने अपनी शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल, [[शिमला]] में प्राप्त की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, [[देहरादून]] में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड में हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कॉलेज से भी स्नातक थे। उन्होंने एम.फिल. भी किया। रक्षा अध्ययन में डिग्री के साथ-साथ [[मद्रास विश्वविद्यालय]] से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा। सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, [[मेरठ]] द्वारा डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया था।
बिपिन रावत ने अपनी शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल, [[शिमला]] में प्राप्त की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, [[देहरादून]] में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड में हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कॉलेज से भी स्नातक थे। उन्होंने एम.फिल. भी किया। रक्षा अध्ययन में डिग्री के साथ-साथ [[मद्रास विश्वविद्यालय]] से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा। सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, [[मेरठ]] द्वारा डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया था।<ref name="pp">{{cite web |url=https://shubhamsirohi.com/bipin-rawat-biography-in-hindi/ |title=बिपिन रावत का जीवन परिचय,निधन|accessmonthday=11 दिसम्बर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=shubhamsirohi.com |language=हिंदी}}</ref>
==विवाह==
==विवाह==
जनरल बिपिन रावत की पत्नी का नाम मधुलिका था, वह आर्मी वाइफ्लस वेल्फेयर असोसिएशन की अध्यक्ष भी थीं। उनकी पत्नी मधुलिका [[मध्य प्रदेश]] के शहडोल की रहने वाली थीं और स्वर्गवासी राजनेता मृगेंद्र सिंह की पुत्री थीं। मधुलिका रावत ने अपनी पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में की। वह कई तरह से सोशल वर्क के अलावा कैंसर पीड़ितों के लिए काम किया करती थीं। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत दो बेटियों के [[माता]]-[[पिता]] थे।
जनरल बिपिन रावत की पत्नी का नाम मधुलिका था, वह आर्मी वाइफ्लस वेल्फेयर असोसिएशन की अध्यक्ष भी थीं। उनकी पत्नी मधुलिका [[मध्य प्रदेश]] के शहडोल की रहने वाली थीं और स्वर्गवासी राजनेता मृगेंद्र सिंह की पुत्री थीं। मधुलिका रावत ने अपनी पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में की। वह कई तरह से सोशल वर्क के अलावा कैंसर पीड़ितों के लिए काम किया करती थीं। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत दो बेटियों के [[माता]]-[[पिता]] थे।
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बिपिन रावत को [[16 दिसंबर]], [[1978]] को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में भर्ती कराया गया था। उसी यूनिट में उनके पिता थे। एक मेजर के रूप में, उन्होंने उरी, [[जम्मू और कश्मीर]] में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के रूप में उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। एक ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली। इसके बाद उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक अध्याय VII मिशन में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली, जहाँ उन्हें दो बार फोर्स कमांडर की प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।  
बिपिन रावत को [[16 दिसंबर]], [[1978]] को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में भर्ती कराया गया था। उसी यूनिट में उनके पिता थे। एक मेजर के रूप में, उन्होंने उरी, [[जम्मू और कश्मीर]] में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के रूप में उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। एक ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली। इसके बाद उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक अध्याय VII मिशन में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली, जहाँ उन्हें दो बार फोर्स कमांडर की प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।  


मेजर जनरल के पद पर पदोन्नति के बाद बिपिन रावत ने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में पदभार संभाला। एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने [[पुणे]] में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली तृतीय कोर की कमान संभाली। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में एक अनुदेशात्मक कार्यकाल, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मध्य भारत में एक पुनर्गठित आर्मी प्लेन्स इन्फैंट्री डिवीजन के लॉजिस्टिक्स स्टाफ ऑफिसर, कर्नल सहित स्टाफ असाइनमेंट भी संभाला।
मेजर जनरल के पद पर पदोन्नति के बाद बिपिन रावत ने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में पदभार संभाला। एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने [[पुणे]] में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली तृतीय कोर की कमान संभाली। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में एक अनुदेशात्मक कार्यकाल, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मध्य भारत में एक पुनर्गठित आर्मी प्लेन्स इन्फैंट्री डिवीजन के लॉजिस्टिक्स स्टाफ ऑफिसर, कर्नल सहित स्टाफ असाइनमेंट भी संभाला।<ref name="pp"/>


सैन्य सचिव की शाखा में सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में वरिष्ठ प्रशिक्षक रहने के साथ-साथ बिपिन रावत ने पूर्वी कमान के मेजर जनरल जनरल स्टाफ के रूप में भी काम किया। सेना कमांडर ग्रेड में प्रोमोसन मिलने के बाद, रावत ने [[1 जनवरी]] [[2016]] को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया। एक छोटे कार्यकाल के बाद [[1 सितंबर]] 2016 को उन्होंने [[थल सेना]] के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया। जनरल बिपिन रावत आर्मी चीफ से [[31 दिसंबर]] [[2019]] को रिटायर होने के बाद [[भारत]] के सबसे पहले 'चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ' नियुक्य किये गए थे।  
सैन्य सचिव की शाखा में सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में वरिष्ठ प्रशिक्षक रहने के साथ-साथ बिपिन रावत ने पूर्वी कमान के मेजर जनरल जनरल स्टाफ के रूप में भी काम किया। सेना कमांडर ग्रेड में प्रोमोसन मिलने के बाद, रावत ने [[1 जनवरी]] [[2016]] को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया। एक छोटे कार्यकाल के बाद [[1 सितंबर]] 2016 को उन्होंने [[थल सेना]] के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया। जनरल बिपिन रावत आर्मी चीफ से [[31 दिसंबर]] [[2019]] को रिटायर होने के बाद [[भारत]] के सबसे पहले 'चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ' नियुक्य किये गए थे।  
==उपलब्धियाँ==
==उपलब्धियाँ==
साल [[2019]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] की अपनी यात्रा पर जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे। उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं-
साल [[2019]] में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] की अपनी यात्रा पर जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे। उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं<ref name="pp"/>-
*[[परम विशिष्ट सेवा पदक]]
*[[परम विशिष्ट सेवा पदक]]
*[[उत्तम युद्ध सेवा पदक]]
*[[उत्तम युद्ध सेवा पदक]]
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*आर्मी कमांडर कमेंडेशन
*आर्मी कमांडर कमेंडेशन
==मृत्यु==
==मृत्यु==
[[8 दिसंबर]], [[2021]] को [[तमिलनाडु]] के कुन्नूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहा सेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथित तौर पर हेलीकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी, सुरक्षा कमांडो और एक आईएएफ़ पायलट सहित 14 लोग सवार थे। इस दुर्घटनग्रस्त में तेरह लोगों की जान चली गई। मरने वालों में [[भारत]] के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी शामिल थे। [[भारतीय वायु सेना]] द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ को मृत घोषित कर दिया गया।
[[8 दिसंबर]], [[2021]] को [[तमिलनाडु]] के कुन्नूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहा सेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथित तौर पर हेलीकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी, सुरक्षा कमांडो और एक आईएएफ़ पायलट सहित 14 लोग सवार थे। इस दुर्घटनग्रस्त में तेरह लोगों की जान चली गई। मरने वालों में [[भारत]] के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी शामिल थे। [[भारतीय वायु सेना]] द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ को मृत घोषित कर दिया गया।<ref name="pp"/>


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05:48, 11 दिसम्बर 2021 का अवतरण

बिपिन रावत
बिपिन रावत
बिपिन रावत
पूरा नाम बिपिन रावत
जन्म 16 मार्च, 1958
जन्म भूमि पौढ़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड
मृत्यु 8 दिसम्बर, 2021
मृत्यु स्थान कुन्नूर, तमिलनाडु
अभिभावक पिता- एल.एस. रावत
पति/पत्नी मधुलिका रावत
कर्म भूमि भारत
पुरस्कार-उपाधि परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक
प्रसिद्धि 27वें थल सेनाध्यक्ष, प्रथम चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़
नागरिकता भारतीय
कार्यकाल थल सेनाध्यक्ष - 31 दिसम्बर 2016 से 31 दिसम्बर 2019

चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ - 31 दिसम्बर 2019 से प्रारम्भ

सेवा नं. IC-35471M
अन्य जानकारी बिपिन रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से सन 1978 में अपने कॅरियर की शुरुआत की थी।

बिपिन रावत (अंग्रेज़ी: Bipin Rawat, जन्म- 16 मार्च, 1958; मृत्यु- 8 दिसम्बर, 2021) भारत के प्रथम 'चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़' थे। उन्होंने यह पद 31 दिसंबर, 2019 को ग्रहण किया था। इससे पहले उन्होंने भारतीय थल सेना के 27वें सेनाध्यक्ष के रूप में भी काम किया। तब उन्हें सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया था। बिपिन रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को थल सेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। उरी हमले के बाद सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज की योजना भी जनरल बिपिन रावत ने दी थी। बहुत कम लोगों को इस बारे में पता होगा लेकिन इसके पीछे जनरल बिपिन रावत का ही दिमाग था। अपने 63 साल के जीवन काल में बिपिन रावत ने अनेकों ऐसे कई काम किए, जो हमेशा लोगों के दिलों में याद रखे जाएंगे।

परिचय

बिपिन रावत का जन्म उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल में 16 मार्च, सन 1958 को हुआ था। उनकी शुरुआती स्कूली पढ़ाई शिमला के एडवर्ड स्कूल में हुई। पिता एल.एस. रावत भी सेना में अधिकारी थे। वे भारतीय सेना के डिप्टी चीफ़ के पद से रिटायर हुए थे। 1978 में बिपिन रावत को देहरादून स्थित 'इंडियन मिलिट्री एकेडमी' से पास आउट होने पर 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन के लिए चयनित किया गया था। वह भारतीय सैन्य एकेडमी के बेस्ट कैडेट थे। उन्हें 'स्वार्ड ऑफ ऑनर' भी मिला। अपने पूरे करियर के दौरान उन्हें अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक आदि जैसे सम्मानों के द्वारा अनेकों बार सम्मानित भी किया जा चुका था।

सेना प्रमुख के पद पर आने से पहले जनरल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला। उनको कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में सेक्रेटरी जनरल औऱ फोर्स कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी जिम्मेदारी दी गई। उनके द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर लिखे गये अनेकों लेख दुनिया भर के कई जर्नल्स में प्रकाशित किये जा चुके हैं। बिपिन रावत के चाचा, भरत सिंह रावत भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त हवलदार (गैर-कमीशन अधिकारी) हैं। उनके अन्य चाचा हरिनंदन ने भी भारतीय सेना में सेवा की।

शिक्षा

बिपिन रावत ने अपनी शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला में प्राप्त की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड में हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कॉलेज से भी स्नातक थे। उन्होंने एम.फिल. भी किया। रक्षा अध्ययन में डिग्री के साथ-साथ मद्रास विश्वविद्यालय से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा। सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया था।[1]

विवाह

जनरल बिपिन रावत की पत्नी का नाम मधुलिका था, वह आर्मी वाइफ्लस वेल्फेयर असोसिएशन की अध्यक्ष भी थीं। उनकी पत्नी मधुलिका मध्य प्रदेश के शहडोल की रहने वाली थीं और स्वर्गवासी राजनेता मृगेंद्र सिंह की पुत्री थीं। मधुलिका रावत ने अपनी पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में की। वह कई तरह से सोशल वर्क के अलावा कैंसर पीड़ितों के लिए काम किया करती थीं। जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत दो बेटियों के माता-पिता थे।

सैन्य कॅरियर

बिपिन रावत को 16 दिसंबर, 1978 को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में भर्ती कराया गया था। उसी यूनिट में उनके पिता थे। एक मेजर के रूप में, उन्होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के रूप में उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। एक ब्रिगेडियर के रूप में उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली। इसके बाद उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक अध्याय VII मिशन में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली, जहाँ उन्हें दो बार फोर्स कमांडर की प्रशस्ति से सम्मानित किया गया।

मेजर जनरल के पद पर पदोन्नति के बाद बिपिन रावत ने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में पदभार संभाला। एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने पुणे में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली तृतीय कोर की कमान संभाली। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में एक अनुदेशात्मक कार्यकाल, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मध्य भारत में एक पुनर्गठित आर्मी प्लेन्स इन्फैंट्री डिवीजन के लॉजिस्टिक्स स्टाफ ऑफिसर, कर्नल सहित स्टाफ असाइनमेंट भी संभाला।[1]

सैन्य सचिव की शाखा में सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में वरिष्ठ प्रशिक्षक रहने के साथ-साथ बिपिन रावत ने पूर्वी कमान के मेजर जनरल जनरल स्टाफ के रूप में भी काम किया। सेना कमांडर ग्रेड में प्रोमोसन मिलने के बाद, रावत ने 1 जनवरी 2016 को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया। एक छोटे कार्यकाल के बाद 1 सितंबर 2016 को उन्होंने थल सेना के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया। जनरल बिपिन रावत आर्मी चीफ से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद भारत के सबसे पहले 'चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ' नियुक्य किये गए थे।

उपलब्धियाँ

साल 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा पर जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी थे। उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं[1]-

मृत्यु

8 दिसंबर, 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहा सेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथित तौर पर हेलीकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी, सुरक्षा कमांडो और एक आईएएफ़ पायलट सहित 14 लोग सवार थे। इस दुर्घटनग्रस्त में तेरह लोगों की जान चली गई। मरने वालों में भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी शामिल थे। भारतीय वायु सेना द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ को मृत घोषित कर दिया गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 बिपिन रावत का जीवन परिचय,निधन (हिंदी) shubhamsirohi.com। अभिगमन तिथि: 11 दिसम्बर, 2021।

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