नेफ़्ट
नेफ़्ट (अंग्रेज़ी: National Electronic Funds Transfer - NEFT) ने अधिकांश ग्राहकों के लिए बैंकिंग को बेहद सुविधाजनक बना दिया है। नेफ़्ट के द्वारा, आप ऑनलाइन या ऑफलाइन फण्ड ट्रान्सफर कर सकते हैं, आपके पास जिसे पैसा भेजना है उसके बैंक अकाउंट और आईएफ़एससी कोड की जानकारी होनी चाहिए। वर्तमान में, नेफ़्ट के अलावा आरटीजीएस, आईएमपीएस और यूपीआई भी उपलब्ध हैं जिनके द्वारा फण्ड ट्रान्सफर किया जा सकता हैं। हालांकि, नेफ़्ट अधिकांश ग्राहकों को पसंद है क्योंकि इसमें कम प्रोसेसिंग चार्ज, अधिक ट्रान्सफर लिमिट है।
राशि सीमा
नेफ़्ट ट्रांसफर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपके द्वारा ट्रांसफर की जाने वाली न्यूनतम और अधिकतम राशि पर कोई सीमा नहीं है। न्यूनतम ट्रांसफर राशि कम से कम 1 रुपया हो सकती है, जबकि आरटीजीएस जैसे कई अन्य फंड ट्रांसफर विकल्पों द्वारा 2 लाख रुपये से कम ट्रान्सफर नहीं कर सकते हैं। नेफ़्ट ट्रांजेक्शन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लिमिट निर्धारित नहीं है। हालाँकि, एक लिमिट बैंक द्वारा तय की जा सकती है जिसमें आपका खाता है। उदाहरण के लिए, HDFC बैंक ने अपने ग्राहकों को ऑनलाइन नेफ़्ट ट्रांसफर के लिए प्रति दिन 25 लाख रु. सीमा रखी है। नकद ट्रांसेक्शन के लिए, एक ट्रांजेक्शन 50,000 रु. से ज़्यादा का नहीं हो सकता है। हालाँकि, आपके द्वारा ट्रांसफर की जाने वाली कुल राशि पर कोई सीमा नहीं है।[1]
समय
फंड ट्रांसफर की लिमिट के अलावा टाइमिंग पर भी कुछ सीमाएं हैं। एक सामान्य वर्किंग डे पर, नेफ़्ट सुविधा सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक (महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर) उपलब्ध रहती है। नेफ़्ट बैच क्लियरिंग तकनीकि पर काम करता है। इसका मतलब यह है कि नेफ़्ट हर आधे घंटे में एक बैच निकालता है जिसमें पिछले आधे घंटे में आए ट्रान्सफर के सभी आवेदनों के फण्ड को ट्रान्सफर किया जाता है। एक दिन में, 23 घंटे ये सेवा उपलब्ध रहती है। अगर कोई ट्रान्सफर आवेदन शनिवार (छुट्टी वाले दिन) आता है, तो वो ट्रान्सफर अब सोमवार के पहले बैच में किया जाएगा।
प्रक्रिया
नेट बैंकिंग का उपयोग करके नेफ़्ट ट्रांसफर ऑनलाइन किया जा सकता है। नेफ़्ट एक बैच वाइस क्लियरिंग तकनीकि पर काम करता है। सबसे पहले किसी व्यक्ति या कम्पनी को सभी आवश्यक जानकारी जैसे कि बेनीफिशरी (जिसको ट्रान्सफर करना है) का नाम, उसका अकाउंट नंबर, उसका IFSC कोड भरना होगा। वह बैंक जहां रिक्वेस्ट जनरेट होता है, वह राशि में कटौती करेगा और नेफ़्ट के पूलिंग सेंटर को एक संदेश भेजेगा, जिसे नेफ़्ट सर्विस सेंटर के रूप में भी जाना जाता है। संदेश को फिर क्लियरिंग सेंटर पर भेज दिया जाता है। क्लियरिंग सेंटर इस आधार पर ट्रान्सफर आवेदन को क्लियर करता है कि जिस बैंक में पैसा भेजना है वो कहाँ स्तिथ है। सेंटर पैसा बैंक भेजता है और बैंक को वह राशि बेनीफिशरी के खाते में भेजनी होती है। एक अन्य ऑफलाइन फण्ड ट्रान्सफर विकल्प ये है कि जिस भी बैंक शाखा में आपका अकाउंट है वहां से ट्रान्सफर कर सकते हैं।[1]
शुल्क
राशि के आधार पर नेफ़्ट ट्रान्सफर पर लगने पर वाले शुल्क निम्नलिखित हैं-
- बैंक शाखाओं में आने वाले फंड पर (बेनीफिशरी अकाउंट में क्रेडिट के लिए) - लाभार्थियों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है।
- बैंक शाखाएं जहां से ट्रांजेक्शन किया गया है, उसके शुल्क निम्नलिखित हैं-
नेफ़्ट की राशि | नेफ़्ट पर शुल्क | |
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1. | ₹ 10,000 तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 2.50 + जीएसटी |
2. | ₹ 10,000 से ₹ 1 लाख तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 5 + जीएसटी |
3. | ₹ 1 लाख से ₹ 2 लाख तक की राशि पर | अधिकतम ₹ 15 + जीएसटी |
4. | ₹ 2 लाख से अधिक की राशि पर | अधिकतम ₹ 25 + जीएसटी |
आप किसी भी नेफ़्ट फंड ट्रांसफर पर लागू शुल्क की पूरी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या अपने बैंक से प्राप्त कर सकते हैं।
लाभ
ऐसे कई कारण हैं जो नेफ़्ट के माध्यम से फंड ट्रांसफर को एक बहुत ही बेहतरीन सुविधा बनाते हैं। किसी को पैसे भेजने के लिए आपको चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम का उपयोग नहीं करना है। आप नेट बैंकिंग या फोन बैंकिंग का उपयोग करके आसानी से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। आप शाखा जाए बिना भी ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक ऐसी तकनीकि को लागू करता है जिसकी मदद से इस फंड ट्रांसफर के दोनों ही पक्षों को एसएमएस या ईमेल के माध्यम से सूचनाएं दी जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण कि यह फंड ट्रासफर का एक बहुत ही सुरक्षित फंड ट्रांसफर माध्यम है।
अन्य
नेफ़्ट केवल फंड ट्रांसफर ही नहीं करता है। आप नेफ़्ट सुविधा की मदद से बहुत कुछ कर सकते हैं। आप नेफ़्ट सुविधाओं का उपयोग करके अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान कर सकते हैं। आप नेफ़्ट भुगतान का उपयोग करके ईएमआई का भुगतान भी कर सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के पास ऐसी नीतियां भी हैं जो कुछ मामलों में यूजर का नुकसान पूरा करने के लिए बैंकों को आदेश देती हैं।[1]
यदि नेफ़्ट फंड निर्धारित समय के भीतर रिसीवर के खाते में जमा नहीं होते हैं या तय समय के भीतर भेजने वाले के खाते में वापस नहीं आते हैं, तो बैंकों को संबंधित पक्षों नुकसान की भरपाई करनी चाहिए। नेफ़्ट फंडों को प्रोसेस करने में देरी के मामलों में, बैंक को मौजूदा आरबीआई एलएएफ़ रेपो दर पर 2 प्रतिशत का ब्याज देना होगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 NEFT फण्ड ट्रान्सफर लिमिट (हिंदी) paisabazaar.com। अभिगमन तिथि: 18 नवंबर, 2020।