अशोक का परिवार
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सम्राट अशोक के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने में प्रमुख साधन अशोक के शिलालेख तथा स्तंभों पर उत्कीर्ण अभिलेख हैं। किन्तु ये अभिलेख अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर कोई प्रकाश नहीं डालते। इनके लिए हमें संस्कृत तथा पाली में लिखे हुए बौद्ध ग्रंथों पर निर्भर रहना पड़ता है। परम्परानुसार अशोक ने अपने भाइयों का हनन करके सिंहासन प्राप्त किया था।
- जनश्रुतियों और लेखों के आधार पर हम अशोक के निम्नलिखित रिश्तेदारों का अस्तित्व पाते हैं-
क्रमांक | रिश्ता या संबंध | नाम एवं विवरण |
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1- | पिता | बिंदुसार, जिसकी कई रानियाँ थीं। |
2- | माता | उत्तरी परम्परा में सुभद्रांगी और दक्षिण परम्परा में धर्मा। |
3- | भाई |
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4- | पत्नियाँ |
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5- | पुत्र |
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6- | पुत्रियाँ व जामाता (दामाद) |
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7- | पोते व नाती |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मुखर्जी, राधाकुमुद अशोक (हिंदी)। नई दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास, 7-8।
- ↑ दिव्यावदान अध्याय 27, के अनुसार अशोक ने अपनी रानी पद्मावती में उत्पन्न अपने नवजात पुत्र को धर्मविवर्धन नाम दिया था। पर जैसा उसके साथ गये मंत्रियों ने कहा था शिशु की आँखें हिमालय के कुणाल पक्षी की तरह थीं। इसलिए अशोक ने उसे कुणाल कहना शुरू कर दिया था।
- ↑ दिव्यावदान और फाहियान के अनुसार
- ↑ (स्तम्भ लेख 7 के अनुसार)