साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान

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साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान उत्तरी केरल के पालक्काड ज़िले के मन्नारकाड से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। 90 वर्ग कि.मी. में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान पालक्काड ज़िले के उत्तरी भाग में अवस्थित है। उत्तर में यह नीलगिरि पठार तक विस्तृत है और दक्षिण में मन्नारकाड के मैदान से ऊँचा है।

प्रमुख आकर्षण: यह ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वर्षा-वनों का एक अत्यंत अनोखा किंतु नाजुक संतुलन है जिसके अंतर्गत अनेक प्रकार के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की विविधता पूर्ण नर्सरी है। इनमें से कुछ प्रजातियां तो यहां के अलावा दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं।


नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान की हृदय स्थली है। अपने नाम (रइयां का कोलाहल यहां नदारद है) के विपरीत यह जैवविविधता से भरपूर है। जीवविज्ञान के विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों और क्षेत्र जीवविज्ञानियों के लिए यह स्थान स्वर्ग है।

शायद आपको और कहीं भी पश्चिमी घाट की जैवविविधता का ऐसा संग्रह नहीं मिलेगा। यहां 1000 से भी अधिक पुष्पी पौधों की प्रजातियां जिनमें 110 किस्मों के ऑर्किड, 34 से अधिक प्रजातियों के स्तनधारी, लगभग 200 किस्मों की तितलियां, 400 किस्मों के शलभ, 128 किस्मों के भृंग (जिनमें से 10 तो जीवविज्ञान के लिए बिल्कुल नए हैं।) और दक्षिण भारत में पाई जाने वाली 16 प्रजातियों के पक्षियों सहित चिड़ियों की 150 प्रजातियां पाई जाती हैं।

कुंती नदी नीलगिरि पर्वत की 2000 मी. की ऊंचाई से उतरती है और घाटी में गुजरती हुई घने जंगलों वाले मैदानों के होकर आगे बढ़ती है। कुंती नदी का रंग कभी भी मटमैला नहीं पड़ता। सालों भर बहने वाली इस बनैली नदी का पानी हमेशा शीशे की तरह स्वच्छ रहता है।

इन जंगलों से वास्पीकरण-प्रस्वेदन किसी भी अन्य स्थान की तुलना में अधिक होता है। इस कारण यहां का वायुमंडल शीतल बना रहता है और जलवाष्प बड़ी आसानी से संघनित होकर मैदानों में गृष्म कालीन वर्षा का कारण बनता है।

यहां पहुंचने के लिए: निकटतम रेलवे स्टेशन : पालक्काड, लगभग 80 किमी। निकटतम हवाई अड्डा: कोयम्बटूर (पड़ोसी तमिलनाडु राज्य में), लगभग 55 किमी।


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