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चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शबे-तनहाई का
दौलते-लब से फिर ऐ ख़ुसरवे-शीरींदहनाँ
आज अरज़ा हो कोई हर्फ़ शनासाई का
दीदा-ओ-दिल को सँभालो कि सरे-शामे-फ़िराक़
साज़-ओ-सामान बहम पहुँचा है रुसवाई का