बेज़ार फ़ज़ा दरपये आज़ार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
दिनेश (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:26, 25 जून 2013 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Faiz-Ahmed-Faiz.jp...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
बेज़ार फ़ज़ा दरपये आज़ार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कवि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जन्म 13 फ़रवरी, 1911
जन्म स्थान सियालकोट
मृत्यु 20 नवम्बर, 1984
मृत्यु स्थान लाहौर
मुख्य रचनाएँ 'नक्श-ए-फरियादी', 'दस्त-ए-सबा', 'जिंदांनामा', 'दस्त-ए-तहे-संग', 'मेरे दिल मेरे मुसाफिर', 'सर-ए-वादी-ए-सिना' आदि।
विशेष जेल के दौरान लिखी गई आपकी कविता 'ज़िन्दा-नामा' को बहुत पसंद किया गया था।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की रचनाएँ

बेज़ार फ़जा दर पे आज़ार-सबा है
यूँ है कि हर इक हमदमे देरीना ख़फ़ा है

    हाँ बादाकशो आया है अब रंग पे मौसम
    अब सैर के क़ाबिल रविशे-आबो-हवा है

उमड़ी है हर इक सम्त से इल्ज़ाम की बरसात
छाई हुई हर दांग मलामत की घटा है

    वो चीज़ भरी है कि सुलगती है सुराही
    हर कास-ए-मय ज़हरे-हलाहल से सिवा है

फिर जाम उठाओ कि बयादे-लबे-शीरीं
यह ज़हर तो यारों ने कई बार पिया है

    इस जज़्ब-ए दिल की न सज़ा है न जज़ा है
    मक़्सूदे रहे-शौक़ वफ़ा है, न जफ़ा है

अहसासे-ग़मे-दिल, जो ग़मे दिल का सिला है
उस हुस्न का अहसास है जो तेरी अता है

    हर सुबहे गुलिस्ताँ है, तेरा रू-ए-बहारी
    हर फूल तेरी याद का नक़्शे-कफ़े-पा है

हर भीगी हुई रात, तेरी जुल्फ़ की शबनम
ढलता हुआ सूरज, तेरे होंटों की फ़ज़ा है

    हर राह पहुँचती है तेरी चाह के दर तक
    हर हर्फ़े-तमन्ना तेरे क़दमों की सदा है

लाज़ीरे-सियासत है, न ग़ैरों की ख़ता है
वो ज़ुल्म जो हमने दिले-वोशी पे किया है

    ज़िंदाने-रहे-यार में पाबंद हुए हम
    ज़ंजीर-बकफ़ है, कोई पाबंद-ब-पा है

'मजबूरी-ओ-दावाये-गिरफ़्तारिये-उल्फ़त
दस्ते तहे संग आमदा पैमाने वफ़ा है'।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख