महार

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महार अनेक सगोत्रीय जातियों का समूह, जो अधिकांशत: भारत के महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों में रहता है। ये ज़्यादातर महाराष्ट्र की शासकीय भाषा मराठी बोलते हैं।[1]

संख्या

माना जाता है कि 1980 के दशक की शुरुआत में महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का नौ प्रतिशत महारों का था, जिसे उस समय क्षेत्र की आधिकारिक तौर पर चिन्हित सभी अनुसूचित जातियों[2] में सबसे बड़े क्षेत्र में फैली विशाल और महत्त्वपूर्ण जाति माना जाता था।

व्यवसाय

  • परंपरागत रूप से महार ग्राम के बाहर रहते थे और समूचे ग्राम के लिए कई प्रकार के काम करते थे।
  • ये चौकीदारी, संदेशवाहक, दीवारों की मरम्मत करने, सीमा विवादों का निर्णय करने, सड़कें साफ़ करने और मृत जानवरों को उठाने जैसे कार्य करते थे।
  • महार कृषि मज़दूर के रूप में भी कार्य करते थे और कुछ के पास अपनी ज़मीन भी थी, हालांकि ये मूलत: किसान नहीं थे।
  • 20वीं सदी के मध्य में बड़ी संख्या में महार मुंबई (भूतपूर्ण बंबई), नागपुर, पुणे (भूतपूर्ण पूना) और शोलापुर जैसे बड़े शहरों में जाकर बसने लगे और इन्होंने राजमिस्त्री, औद्योगिज कामगार, रेल मज़दूर, मैकेनिक और बस व ट्रक चालन के रूप में काम करना शुरू किया।[1]

अम्बेडकर द्वारा संगठन

20वीं सदी में चोटी के नेता भीमराव रामजी अंबेडकर ने इन्हें संगठित कर इनमें उग्र राजनीतिक जागृति पैदा की और शिक्षा की तरफ़ ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। 1956 में अपनी मृत्यु से पहले अंबेडकर ने अपने लाखों महार अनुयायियों सहित हिन्दुओं के जातिगत भेदभाव के विरोध स्वरूप बौद्ध धर्म अपना लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भारत ज्ञानकोश, खण्ड-4 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 316 |
  2. पहले अस्पृश्य या हरिजन कही जाने वाली

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