यशपाल का कॅरियर
यशपाल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- यशपाल (बहुविकल्पी) |
यशपाल का कॅरियर
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पूरा नाम | यशपाल |
जन्म | 26 नवम्बर, 1926 |
मृत्यु | 24 जुलाई, 2017 |
मृत्यु स्थान | नोएडा, उत्तर प्रदेश |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | भौतिकी तथा शिक्षा |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्म भूषण' (1976), 'पद्म विभूषण' (2013), 'कलिंग सम्मान' (2009) |
प्रसिद्धि | भौतिक विज्ञानी और शिक्षाविद |
विशेष योगदान | यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | प्रोफ़ेसर यशपाल 2007 से 2012 तक देश के बड़े विश्व विद्यालयों में से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर भी रहे। |
यशपाल को विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से भौतिक विज्ञान में पीएचडी की थी। उनको 1976 में 'पद्म भूषण' से और 2013 में 'पद्म विभूषण' भी मिला था। अपने कॅरियर में उन्होंने विज्ञान, एस्ट्रोफिजिक्स और विकास के क्षेत्र में काम किया।
कॅरियर
यशपाल ने अपने कॅरियर की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। 1973 में भारत सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया था। 1983-1984 में वे प्लानिंग कमीशन के मुख्य सलाहकार भी रहे। विज्ञान व तकनीकी विभाग में वह सचिव रहे। इसके अलावा उन्हें 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' में अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई।
यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे। उनका शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा। वह शिक्षा में ओवरबर्डन पढ़ाई के सख्त ख़िलाफ़ थे। इसलिए उन्होंने इस मुद्दे की ओर भारत सरकार का कई बार ध्यान आकर्षित किया। उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि उनकी अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा 'लर्निंग विदाउट बर्डन' नाम की एक रिपोर्ट तैयार की गई, जो शिक्षा के क्षेत्र के लिए बेहद प्रासंगिक थी। शिक्षा के क्षेत्र में उनके रुझान और उपायों को देखते हुए साल 1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 1970 में यशपाल के होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली।[1]
प्रफेसर यशपाल साल 2007 से 2012 तक देश के बड़े विश्व विद्यालयों में से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर भी रहे। उनको कॉसमिक किरणों पर अपने गहरे अध्ययन के लिए भी जाना जाता है। टीवी पर विज्ञान से जुड़े कार्यक्रमों में वह कुछ साल पहले तक अक्सर नज़र आया करते थे। विज्ञान से जुड़ी मुश्किल बातों को भी आसान भाषा और सहज तरीके से समझाने के चलते वह विज्ञान के छात्रों के बीच भी काफ़ी लोकप्रिय थे।
शिक्षा क्षेत्र में योगदान
1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। 1970 में उनके होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली। 1993 में बच्चों की शिक्षा में ओबरबर्डन के मुद्दे पर भारत सरकार ने यशपाल की अध्यक्षता में एक समीति बनाई। इस समीति ने लर्निंग विथाउट बर्डन नाम से रिपोर्ट दी। यह रिपोर्ट शिक्षा के क्षेत्र में बेहद प्रासंगिक है। एनसीईआरटी ने जब नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क बनाया, तब यशपाल को इसका चेयरपर्सन बनाया गया। हायर एजुकेशन में मानव संसाधन मंत्रालय ने 2009 में यशपाल समीति बनाई। समीति ने हायर एजुकेशन में काफ़ी बदलाव के सुझाव दिए। हालांकि सरकार को भी अभी इन्हें ठीक तरह से लागू करना बाकी है। यशपाल दूरदर्शन पर 'टर्निंग पाइंट' नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत के मशहूर वैज्ञानिक यशपाल का निधन (हिंदी) newstracklive.com। अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2017।
- ↑ मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफेसर यशपाल का निधन (हिंदी) hindi.thequint.com। अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
- पद्म पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक यशपाल का निधन
- मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफेसर यशपाल का 90 साल की उम्र में निधन
- मशहूर वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल का निधन