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'''यशवंत सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yashwant Sinha'', जन्म- [[6 नवम्बर]], [[1937]], [[पटना]], [[बिहार]]) पूर्व सिविल सेवा अधिकारी व राजनेता रहे हैं। एक समय वह [[भारतीय जनता पार्टी]] (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। लेकिन उन्होंने ​भाजपा छोड़ने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया। यशवंत सिन्हा, [[अटल बिहारी वाजपेयी]] सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे थे। वह उन नौकरशाहों में शामिल रहे जो नौकरशाह से राजनेता बने। उन्हें '''भारतीय अर्थव्यवस्था का परिवर्तक''' भी माना जाता है। यशवंत सिन्हा ने अब तक के एक चरित्रवान और सज्जन व्यक्ति के रूप में छवि बनाई है। [[भारत]]-[[फ्रांस]] संबंधों में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष [[2015]] में फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ़ ऑनर’ से नवाज़ा गया था।
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==परिचय==
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यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम विपिन बिहारी शरण और उनकी [[माता]] का नाम धन्ना देवी था। उनकी पत्नी का नाम नीलिमा सिन्हा है। बेटे का नाम का नाम जयंत सिन्हा है। यशवंत सिन्हा पढ़ने, बागवानी और लोगों से मिलने तथा अन्य कई क्षेत्रों में दिलचस्पी रखते हैं। वे व्यापक रूप से देश-दुनिया में घूमे हुए हैं और कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधिमंडलों की अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने देश की ओर से कई वार्ताओं एवं आदान-प्रदान में एक अग्रणी भूमिका निभाई।<ref name="pp">{{cite web |url=https://jivanihindi.com/yashwant-sinha-ki-jivani/ |title=यशवंत सिंहा की जीवनी|accessmonthday=08 नवंबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jivanihindi.com |language=हिंदी}}</ref>
[[लोकसभा]] सदस्य यशवंत सिन्हा [[:श्रेणी:बारहवीं लोकसभा सांसद|बारहवीं]], [[:श्रेणी:तेरहवीं लोकसभा सांसद|तेरहवीं]] और [[:श्रेणी:पंद्रहवीं लोकसभा सांसद|पंद्रहवीं]] लोकसभा के सदस्य चुने गये।
 
==जन्म==
 
[[6 नवंबर]] 1937 
 
==अभिभावक==
 
पिता- श्री विपिन बिहारी सिन्हा
 
 
==शिक्षा==
 
==शिक्षा==
मास्टर ऑफ आटर्स
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यशवंत सिन्हा ने प्राथमिक शिक्षा पटना के एक स्कूल से और पटना यूनिवर्सिटी से [[1958]] में राजनीतिशास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके बाद में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में [[1960]] तक इसी विषय की शिक्षा दी।
==विवाह==  
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==कॅरियर==
श्रीमती नीलिमा सिन्हा  
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*यशवंत सिन्हा [[1960]] में [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहते हुए सेवा में 24 से अधिक साल बिताए। 4 सालो तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया।
==संतान==
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*बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में 2 सालो तक अवर सचिव तथा उप सचिव रहने के बाद उन्होंने [[भारत सरकार]] के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया।
दो पुत्र और एक पुत्री
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*सन [[1971]] से [[1973]] के बीच उन्होंने बॉन, [[जर्मनी]] के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के रूप में कार्य किया।
==चुनाव क्षेत्र==
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*इसके बाद में उन्होंने 1973 से [[1974]] के बीच फ्रैंकफर्ट में [[भारत]] के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया। इस क्षेत्र में लगभग सात साल काम करने के बाद उन्होंने विदेशी व्यापार और यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ भारत के संबंधों के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया।
[[हजारीबाग]], [[झारखंड]]
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*बाद में उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) और भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे।
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*सन [[1980]] से [[1984]] के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे।<ref name="pp"/>
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==राजनीति==
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वर्ष [[1984]] में यशवंत सिन्हा ने सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया और भारतीय राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने सबसे पहले [[जनता पार्टी]] की सदस्यता ली। वर्ष [[1986]] में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। वह वर्ष [[1988]] में [[राज्यसभा]] सदस्य चुने गए। वर्ष [[1990]]-[[1991]] के काल में वह चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री बने। बाद में वह [[जून]], [[1996]] में [[भारतीय जनता पार्टी]] के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए। इसके बाद उन्होंने [[अटल बिहारी वाजपेयी]] सरकार में [[मार्च]] [[1998]] से [[मई]], [[2002]] तक वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया। यशवंत सिन्हा ने [[1 जुलाई]], [[2002]] को विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली थी। वर्ष [[2004]] के आम चुनावों में वह अपने चुनाव क्षेत्र हजारीबाग से चुनाव हार गए। हालांकि, वर्ष [[2005]] में वह फिर से [[संसद]] पहुंचे। [[13 जून]], [[2009]] को सिन्हा ने [[भाजपा]] के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।<ref name="aa">{{cite web |url=https://www.chaltapurza.com/yashwant-sinha-was-greatly-influenced-by-the-socialist-movement-of-jayaprakash-narayan/ |title=जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से काफी प्रभावित थे यशवंत सिन्हा|accessmonthday=08 नवंबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=chaltapurza.com |language=हिंदी}}</ref>
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==योगदान==
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वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए यशवंत सिन्हा ने कुछ नीतिओं और प्रस्तावों को खारिज किया था, जिसके बाद उनकी आलोचना भी हुईं। लेकिन उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को सही दिशा मिलीं। इनमें ब्याज दरों में कटौती, बंधक ब्याज कर कटौती की शुरुआत, दूरसंचार क्षेत्र को मुक्त करना, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निधि देने में मदद करना और पेट्रोलियम व्यवसाय को नियंत्रण मुक्त करना आदि प्रमुख हैं।
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====लेखन कार्य====
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यशवंत सिन्हा ने ब्रिटिश काल की 53 वर्षों से चली आ रही शाम 5 बजे भारतीय बजट पेश करने की परंपरा को तोड़ा। उनको अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने वित्तमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान अनुभवों के विषय में एक किताब भी लिखीं, जिसका शीर्षक है ‘कॉन्फेशन ऑफ़ अ स्वदेशी’।<ref name="aa"/>
  
==पार्टी==
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[[भारतीय जनता पार्टी]]
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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<references/>
==सदस्यता==
 
राज्य सभा 1988
 
==केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री==
 
* वित्त मंत्री 1990-1991, 1998- 1999 और [[अक्टूबर]] 1999- [[1 जुलाई]] 2002 
 
*विदेश मंत्री [[1 जुलाई]] 2002
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{बारहवीं लोकसभा सांसद}}
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{{बारहवीं लोकसभा सांसद}}{{तेरहवीं लोकसभा सांसद}}{{पंद्रहवीं लोकसभा सांसद}}{{लोकसभा सांसद}}
{{तेरहवीं लोकसभा सांसद}}
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[[Category:राजनीति_कोश]]
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09:44, 8 नवम्बर 2021 का अवतरण

यशवंत सिन्हा (अंग्रेज़ी: Yashwant Sinha, जन्म- 6 नवम्बर, 1937, पटना, बिहार) पूर्व सिविल सेवा अधिकारी व राजनेता रहे हैं। एक समय वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे। लेकिन उन्होंने ​भाजपा छोड़ने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया। यशवंत सिन्हा, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे थे। वह उन नौकरशाहों में शामिल रहे जो नौकरशाह से राजनेता बने। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का परिवर्तक भी माना जाता है। यशवंत सिन्हा ने अब तक के एक चरित्रवान और सज्जन व्यक्ति के रूप में छवि बनाई है। भारत-फ्रांस संबंधों में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2015 में फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ़ ऑनर’ से नवाज़ा गया था।

परिचय

यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को पटना में हुआ था। उनके पिता का नाम विपिन बिहारी शरण और उनकी माता का नाम धन्ना देवी था। उनकी पत्नी का नाम नीलिमा सिन्हा है। बेटे का नाम का नाम जयंत सिन्हा है। यशवंत सिन्हा पढ़ने, बागवानी और लोगों से मिलने तथा अन्य कई क्षेत्रों में दिलचस्पी रखते हैं। वे व्यापक रूप से देश-दुनिया में घूमे हुए हैं और कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधिमंडलों की अगुवाई कर चुके हैं। उन्होंने देश की ओर से कई वार्ताओं एवं आदान-प्रदान में एक अग्रणी भूमिका निभाई।[1]

शिक्षा

यशवंत सिन्हा ने प्राथमिक शिक्षा पटना के एक स्कूल से और पटना यूनिवर्सिटी से 1958 में राजनीतिशास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके बाद में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी।

कॅरियर

  • यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहते हुए सेवा में 24 से अधिक साल बिताए। 4 सालो तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया।
  • बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में 2 सालो तक अवर सचिव तथा उप सचिव रहने के बाद उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया।
  • सन 1971 से 1973 के बीच उन्होंने बॉन, जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के रूप में कार्य किया।
  • इसके बाद में उन्होंने 1973 से 1974 के बीच फ्रैंकफर्ट में भारत के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया। इस क्षेत्र में लगभग सात साल काम करने के बाद उन्होंने विदेशी व्यापार और यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ भारत के संबंधों के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया।
  • बाद में उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) और भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे।
  • सन 1980 से 1984 के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे।[1]

राजनीति

वर्ष 1984 में यशवंत सिन्हा ने सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया और भारतीय राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने सबसे पहले जनता पार्टी की सदस्यता ली। वर्ष 1986 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। वह वर्ष 1988 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। वर्ष 1990-1991 के काल में वह चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री बने। बाद में वह जून, 1996 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए। इसके बाद उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मार्च 1998 से मई, 2002 तक वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया। यशवंत सिन्हा ने 1 जुलाई, 2002 को विदेश मंत्री के रूप में शपथ ली थी। वर्ष 2004 के आम चुनावों में वह अपने चुनाव क्षेत्र हजारीबाग से चुनाव हार गए। हालांकि, वर्ष 2005 में वह फिर से संसद पहुंचे। 13 जून, 2009 को सिन्हा ने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।[2]

योगदान

वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए यशवंत सिन्हा ने कुछ नीतिओं और प्रस्तावों को खारिज किया था, जिसके बाद उनकी आलोचना भी हुईं। लेकिन उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को सही दिशा मिलीं। इनमें ब्याज दरों में कटौती, बंधक ब्याज कर कटौती की शुरुआत, दूरसंचार क्षेत्र को मुक्त करना, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निधि देने में मदद करना और पेट्रोलियम व्यवसाय को नियंत्रण मुक्त करना आदि प्रमुख हैं।

लेखन कार्य

यशवंत सिन्हा ने ब्रिटिश काल की 53 वर्षों से चली आ रही शाम 5 बजे भारतीय बजट पेश करने की परंपरा को तोड़ा। उनको अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने वित्तमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान अनुभवों के विषय में एक किताब भी लिखीं, जिसका शीर्षक है ‘कॉन्फेशन ऑफ़ अ स्वदेशी’।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 यशवंत सिंहा की जीवनी (हिंदी) jivanihindi.com। अभिगमन तिथि: 08 नवंबर, 2021।
  2. 2.0 2.1 जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से काफी प्रभावित थे यशवंत सिन्हा (हिंदी) chaltapurza.com। अभिगमन तिथि: 08 नवंबर, 2021।

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