ज्योतिरादित्य सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया
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पूरा नाम | ज्योतिरादित्य सिंधिया |
जन्म | 1 जनवरी, 1971 |
जन्म भूमि | मुंबई |
अभिभावक | माधवराव सिंधिया, माधवी राजे सिंधिया |
पति/पत्नी | प्रियदर्शिनी सिंधिया |
संतान | आर्यमन और अनन्या |
पार्टी | कांग्रेस |
पद | नागरिक उड्डयन मंत्री- 7 जुलाई, 2021 से |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल, दून स्कूल, हार्वर्ड विश्वविद्यालय |
रुचियाँ | किताबें पढ़ने, क्रिकेट, तैराकी, बैडमिंटन, स्नूकर और बिलियर्ड्स खेलने का शौक़ है। |
अद्यतन | 17:19, 3 अक्टूबर 2010 (IST)
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ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया (अंग्रेज़ी: Jyotiraditya Madhavrao Scindia, जन्म- 1 जनवरी, 1971) मध्य प्रदेश के शीर्ष राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। उनका परिवार भारतीय राजनीति के सबसे पुराने राजनीतिज्ञ परिवारों में से एक हैं। वह माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं। 7 जुलाई, 2021 को वर्तमान मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल किया गया, जिसके पश्चात ज्योतिरादित्य सिंधिया को 'नागरिक उड्डयन मंत्री' बनाया गया है। मोदी मंत्रिमंडल में हाल ही में हुए फेरबदल में कई युवा चेहरों को तवज्जो दी गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा से राज्यसभा सदस्य हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक समय राहुल गांधी का काफी करीबी माना जाता था।
जीवन परिचय
ग्वालियर राजघराने के स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ था। ज्योतिरादित्य की माता का नाम माधवी राजे सिंधिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी हैं और ज्योतिरादित्य के दो बच्चे आर्यमन और अनन्या हैं।[1]
शिक्षा
ज्योतिरादित्य पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में पढ़ते थे। उसके बाद ज्योतिरादित्य पढ़ने के लिए की दून स्कूल चले गए। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया चाहते थे कि वह इंग्लैंड जाएँ लेकिन ज्योतिरादित्य अमेरिका जाना चाहते थे। ज्योतिरादित्य ने हार्वर्ड से स्नातक किया। उसके बाद नौकरी की और फिर स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में ज्योतिरादित्य साढ़े सात साल रहे। ज्योतिरादित्य से उनके पिता माधवराव सिंधिया ने कहा था कि तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो, राजनीति करो या समाज सेवा ये तुम्हें तय करना है।[1]
शौक़
ज्योतिरादित्य गाड़ियों और कार रेसिंग बहुत शौक़ीन हैं। ज्योतिरादित्य को किताबें पढ़ने, क्रिकेट, तैराकी, बैडमिंटन, स्नूकर और बिलियर्ड्स खेलने का शौक़ है। सामान्य तौर पर उन्हें ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों की किताबें पसंद है।
राजनीति सफ़र
ज्योतिरादित्य तेरह वर्ष की आयु से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2001 से अध्यक्ष पद क़ाबिज है। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया इस पद की कमान संभाले रहे थे। ज्योतिरादित्य अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे। [2]
मध्य प्रदेश की राजसी गुना सीट पर सबकी निगाहें हैं। सिंधिया महल के लिए गुना शिवपुरी सीट हमेशा वफ़ादार रही है। ये सीट 12 बार राजपरिवार को जीता चुकी है चाहे वो कांग्रेस से लड़ें या फिर बीजेपी से। गुना लोकसभा में आठ विधानसभाएँ हैं। इनमें सिर्फ़ एक सीट पिछौर पर कांग्रेस जीती है। बाकी सात सीटों पर शिवपुरी, कोलारस, बामोरी, गुना, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में बीजेपी का कब्ज़ा है।
इस बार बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में इस सीट से सहानुभूति लहर रिकॉर्ड सवा चार लाख वोटों से जीते थे। लेकिन दो साल में ही ये फासला पाँच गुना कम हो गया।[3]
भारत के बारे में दृष्टिकोण
ज्योतिरादित्य ने कहा हमारे देश भारत में आर्थिक ताक़त के रूप में उभरने और आध्यात्मिक ताक़त के रूप में उभरने की अपार क्षमता है। भारत को स्वामी विवेकानंद ने एक आध्यात्मिक ताक़त बनाने का सपना देखा था। भारत में आर्थिक और आध्यात्मिक शक्ति के समन्वय के रूप में उभरने की अभूतपूर्व क्षमता है। यही एक महान् देश के निर्माण की नींव बनना चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे देश में ये सारी क्षमताएं मौजूद हैं, बस उसे उजागर करने की ज़रूरत है। इस देश को कोई और रोक नहीं पाएगा। अगर कोई रोकेगा तो हम ही रोक पाएँगे। हमें समाज के सभी अंगों के विकास के लिए मिल कर काम करना चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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