"सिकंदरा आगरा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(6 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 20 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
[[चित्र:Sikandra-Agra-1.jpg|thumb|250px|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra]]
 
[[चित्र:Sikandra-Agra-1.jpg|thumb|250px|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra]]
*[[अकबर]] का मक़बरा [[आगरा]] से 4 किलोमीटर की दूरी पर सिकंदरा में स्थित है।
+
[[अकबर]] का मक़बरा [[आगरा]] से 4 किलोमीटर की दूरी पर '''सिकंदरा''' में स्थित है। वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ [[सिकन्दर लोदी|सिकन्दर]] की सेना का पड़ाव था। उसी के नाम पर इस जगह का नाम 'सिकंदरा' पड़ा। सिकंदर के आक्रमण से पहले आगरा एक छोटा सा नगर था। सिकंदरा में मक़बरे का निर्माण कार्य स्‍वयं अकबर ने शुरू करवाया था, लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही अकबर की मृत्‍यु हो गई।  
*वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ [[सिकन्दर लोदी|सिकन्दर]] की सेना का पड़ाव था। उसी के नाम पर इस जगह का नाम 'सिकंदरा' पड़ा। सिकंदर से आक्रमण से पहले आगरा एक छोटा सा नगर था।
+
बाद में उनके पुत्र [[जहाँगीर]] ने इसे पूरा करवाया। जहाँगीर ने मूल योजना में कई परिवर्तन किए। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि, [[मुग़ल]] कला कैसे विकसित हुई। मुग़लकला निरंतर विकसित होती रही है। पहले [[दिल्ली]] में [[हुमायूँ का मक़बरा]], फिर अकबर का मक़बरा और अंतत: [[ताजमहल]] का निर्माण हुआ। मक़बरे के चारों ओर ख़ूबसूरत बगीचा है, जिसके बीच में 'बरादी महल' है, जिसका निर्माण [[सिकन्दर लोदी]] ने करवाया था।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=27 |title=सिकंदरा  |accessmonthday=[[6 दिसंबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
*इसका निर्माण कार्य स्‍वयं अकबर ने शुरु करवाया था। लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही अकबर की मृत्‍यु हो गई।  
+
==अकबर==
*बाद में उनके पुत्र [[जहाँगीर]] ने इसे पूरा करवाया। जहाँगीर ने मूल योजना में कई परिवर्तन किए। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि [[मुग़ल]] कला कैसे विकसित हुई।  
+
{{main|अकबर}}
*मुग़लकला निरंतर विकसित होती रही है। पहले [[दिल्ली]] में [[हुमायूँ का मक़बरा]], फिर अकबर का मक़बरा और अंतत: [[ताजमहल]] का निर्माण हुआ।  
+
अकबर [[हुमायूँ]] का बेटा और [[बाबर]] का पोता था। वह [[मुग़ल वंश]] का और [[मध्यकालीन भारत]] के [[इतिहास]] का महानतम बादशाह था। उसने 1556 से 1605 ई. तक राज्य किया। उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो [[काबुल]] से [[आसाम]] और [[कश्मीर]] से [[अहमदनगर]] तक विस्तीर्ण था। उसका राज्य विधर्मी प्रजा के प्रति शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के ठोस सिद्धान्त पर चलता था, और राजतंत्र [[मनसबदार|मनसबदारी]] जैसे धर्मनिरपेक्ष संस्थानों पर आधारित था। उसने युद्धरत [[राजपूत]] राजाओं को मुग़ल छत्र के नीचे एकत्र किया और देश को एक-सी सांस्कृतिक, राजनीतिक और प्रशासकीय व्यवस्था के अन्तर्गत जोड़ दिया। उसने अपना राजत्व शाखामूल भारतीय भूमि से सम्बद्ध कर दिया और उसे विशुद्ध देशी बना दिया। इसलिए उसे ‘चक्रवर्ती’ का सम्मानसूचक विरुद प्रदान किया गया। उसने भीड़ में से एक राष्ट्र का निर्माण किया। इसी कारण उसे '''अकबर महान''' कहा गया।
*सिकंदरा से आगरा के बीच में अनेक मक़बरे हैं और दो कोस मीनार भी हैं। पाँच मंजिला इस मक़बरे की ख़ूबसूरती आज भी बरकरार है। 
+
====मक़बरे का निर्माण====
*मक़बरे के चारों कोनों पर तीन मंजिला मीनारें हैं। ये मीनारें [[लाल रंग|लाल]] पत्‍थर से बनी हैं जिन पर संगमरमर का सुंदर काम किया गया है।
+
सम्राट अकबर एक महान् निर्माता भी था, और उसने अपने सारे साम्राज्य में क़िलों की एक श्रृंखला बनवाई थी। उसने [[फ़तेहपुर सीकरी]] की स्थापना की, जिसमें उसने अपनी छाप की मिश्रित शैली में सुन्दर महल बनवाये। वह वहाँ 13 वर्ष (1572 से 1585 ई. तक) रहा। उसने [[लाल क़िला आगरा|आगरे के क़िले]] का पुनर्निर्माण कराया और इसमें अनेकानेक राजकीय इमारतें बनवाईं। उसने अपने मक़बरे की भी स्वयं ही योजना बनाई और उसके लिये सिकन्दरा में [[यमुना नदी]] के तट के समीप एक स्थान पसन्द किया। उसका नाम ‘बिहिश्ताबाद’ (स्वर्गिक आवास) हो गया। अकबर की 1605 ई. में मृत्यु हुई। तब मक़बरे का बनना आरम्भ ही हुआ था। इसे उसके बेटे [[जहाँगीर]] ने 1612 ई. में [[अकबर]] के मूल डिज़ाइन के अनुसार ही पूर्ण कराया।
*मक़बरे के चारों ओर ख़ूबसूरत बगीचा है जिसके बीच में बरादी महल है जिसका निर्माण सिकंदर लोदी ने करवाया था।<ref>{{cite web |url=http://yatrasalah.com/touristPlaces.aspx?id=27 |title=सिकंदरा  |accessmonthday=[[6 दिसंबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=यात्रा सलाह |language=हिन्दी }}</ref>  
+
==संरचना==
 +
[[चित्र:Sikandra-Agra-29.jpg|thumb|250px|[[अकबर]] का मक़बरा (आंतरिक संरचना)]]
 +
यह मक़बरा एक विशाल बाग़ के केन्द्र में स्थित है, जिसके चारों ओर ऊँची दीवारें हैं, और जिनके मध्य में विशाल बहुमंज़िली इमारतें हैं। दक्षिण की ओर द्वार भवन है। चारबाग़ योजना पर बाग़ को संगीन पत्थर की ऊँची-ऊँची वीथिकाओं द्वारा चार भागों में बाँटा गया है। इनके बीच में नन्ही सी नाली है और किनारों पर उठी हुई वीथिकाएँ हैं। 75 फ़ीट चौड़ी ये वीथिकाएँ मुख्य मक़बरे को परकोटे की चारों इमारतों से जोड़ती हैं। यह द्रष्टव्य है कि ये वीथिकाएँ स्पष्ट रूप से बाग़ से इतनी ऊँची उठी हुई हैं कि सीढ़ियों द्वारा उन तक पहुँचा जा सकता है। इन सीढ़ियों पर जलप्रपात और कुण्ड बने हैं। इन पर न तो सरो के वृक्ष लगे हैं, न फूलों की क्यारियाँ हैं। इस प्रकार, इस मक़बरे का संयोजन एक सुन्दर बाग़ में किया गया है। इसे अकबर के व्यक्तित्व के अनुरूप ऐसा बनाया गया है कि, यह गरिमा, गम्भीरता, वैचारिकता और शान्ति व्यक्त करता है। इसका प्रभाव कमनीयता, आनन्द और चमक-दमक का नहीं है। इसे ‘प्रेम गीत’ की अपेक्षा ‘शोक गीत’ की तरह डिज़ाइन किया गया है।
 +
====द्वार और मीनारों की संरचना====
 +
दक्षिण की ओर स्थित विशाल द्वार-भवन दुमंजिला है। इसके उत्तर और दक्षिण की ओर 61 फ़ीट ऊँची एक-एक ‘ईवान-पौली’ है, जिसके दोनों ओर दुहरे आलय बने हैं। बाहर की ओर विविध रूपाकनों में रंगीन पत्थरों से मोजेक और पच्चीकारी से जड़ाऊँ अलंकरण किया गया है। इस द्वार का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] संगमरमर की चार गोलाकार गर्जराकार [[मीनार|मीनारें]] हैं, जो इसकी छत के कोनों से ऊपर उठती हैं, जहाँ साधारणत: छत्रियाँ लगाई जानी चाहिए थीं। प्रत्येक मीनार तिमंजिली है, हर मंज़िल पर गौख बनी है और शीर्ष पर एक सुन्दर छत्री है। इस अनूठे तत्त्व की प्रेरणा मुहम्मद कुली कुत्ब शाह द्वारा ल. 1591 में [[हैदराबाद]] में निर्मित [[चारमीनार]] की मीनारों से आई प्रतीत होती है। इस द्वार भवन के दक्षिणी ओर उत्तरी ईवानों पर और हॉल के अन्दर [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के शिलालेख उत्कीर्ण हैं। दक्षिणी शिलालेख [[जहाँगीर]] की प्रंशसा में एक लम्बी प्रशस्ति है। इसमें ख़ुशनवीस अब्दुलहक शीराजी और इमारत के पूर्ण होने की तिथि (1021 हिजरी 1612 ई.) भी उल्लिखित है। हॉल के अन्दर अलंकृत पुष्पों में फ़ारसी के 12 द्विपदें अभिलेखित हैं। उनमें अकबर की प्रशंसा है। उत्तरी ईवान का शिलालेख भी प्रशंसात्मक है। उसमें अकबर और इस मक़बरे की प्रशस्ति है। इसमें अकबर के दार्शनिक दृष्टिकोण भी परिलक्षित हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के ऊपर दो द्विपदों में मक़बरे का परिचय दिया गया है। कुल मिलाकर यह द्वार भवन पूर्ण इमारत है और कहीं भी स्वतंत्र रूप से शोभायमान हो सकता है।
 +
====मुख्य मक़बरा====
 +
मुख्य मक़बरे का डिज़ाइन असाधारण है। इसकी योजना चतुरास्त्र है और यह क्रमश: घटती हुई पाँच मंजिलों में बना है। भूमि तल पर विस्तीर्ण दालान हैं, जिनके मध्य में प्रत्येक दिशा में एक ईवान पौली है। प्रत्येक के शीर्ष पर सफ़ेद संगमरमर का आठ खम्बों का एक लम्बाकार छपरखट है। दक्षिणी पौली में एक अन्तर्कक्ष है, जो क़ब्र-कक्ष ले जाता है। इसमें चूने और रंगीन चित्रकारी में [[क़ुरान]] की आयतें लिखी हैं। इसके प्रत्येक कोने पर एक अष्ट्रास्त्र अट्टालिका सम्बद्ध है, जिसके शीर्ष पर आठ खम्भों की छत्री है। वास्तव में यह भूमि-तल मक़बरे की जगती हैं, जिस पर इसकी चार मंजिलें आधारित हैं। नीचे की तीन मंजिलों में खम्भों पर आधारित महराबदार दालान हैं, जिनसे छत्रियाँ जुड़ी हुई हैं। सबसे ऊपर का तल सम्पूर्ण सफ़ेद संगमरमर का है। इसके मध्य में 70 फ़ीट लम्बा चौड़ा एक चतुरास्त्र खुला आँगन है। जिसके चारों ओर 9 फ़ीट चौड़े महराबदार दालान हैं। आँगन के मध्य में स्थित चबूतरे पर एक क़ब्रपाषाण स्थित है। बाहर के महराबों पर जालियाँ लगी हैं। [[अकबर]] की प्रशंसा में फ़ारसी के 36 द्विपदों में एक सुन्दर प्रशस्ति आँगन की ओर के महराबों पर उत्कीर्ण है। उनमें अकबर के दार्शनिक विचार स्पष्ट ही अभिलेखित है। इस इमारत में कोई गुम्बद या वारहदरी नहीं है और ऊर्ध्वरचना ख़ाली है। वास्तव में यह [[मुग़ल काल]] में गुम्बदविहीन मक़बरों की एक स्वतंत्र श्रेणी के सूत्रपात का सूचक है। यद्यपि यह [[लाल रंग|लाल]] पत्थर का बना है, [[जहाँगीर]] ने इस द्वार की [[मीनार|मीनारों]] में ईवान के छपरखटों में और सबसे ऊपर के तल पर सफ़ेद संगमरमर का प्रयोग किया है।
 +
==जीर्णोद्वार==
 +
यह मक़बरा महान् मुग़लों की प्रमुख इमारतों में सुन्दरतम इमारत है। यह अकबर के स्तर के महान् सम्राट की स्मृति में बना उपयुक्त स्मारक है। 18वीं [[सदी]] में यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और भारतीय [[पुरातत्त्व]] सर्वेक्षण ने 1902 से 1911 ई. के मध्य जीर्णोद्वार किया था।
  
 +
{{seealso|हुमायूँ का मक़बरा|ताजमहल|बुलंद दरवाज़ा|बीबी का मक़बरा|ख़ान ए ख़ाना मक़बरा}}
 
==वीथिका==
 
==वीथिका==
<gallery perrow="3" widths="200">
+
<gallery>
 
चित्र:Sikandra-Agra.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra-14.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra-14.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
पंक्ति 44: पंक्ति 53:
 
चित्र:Sikandra-Agra-32.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra-32.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra-33.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 
चित्र:Sikandra-Agra-33.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra  
 +
चित्र:Akbar's south gate at Sikandra.jpg|सिकंदरा, [[आगरा]] <br />Sikandra, Agra 
 
</gallery>
 
</gallery>
  
 +
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|आधार=
पंक्ति 53: पंक्ति 64:
 
|शोध=
 
|शोध=
 
}}
 
}}
 +
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 +
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
पंक्ति 60: पंक्ति 73:
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
[[Category:पर्यटन कोश]]
 
[[Category:पर्यटन कोश]]
 
[[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]]
 
[[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 +
[[Category:आगरा]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

11:25, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

सिकंदरा, आगरा
Sikandra, Agra

अकबर का मक़बरा आगरा से 4 किलोमीटर की दूरी पर सिकंदरा में स्थित है। वर्तमान में जहाँ सिकंदरा है, वहाँ सिकन्दर की सेना का पड़ाव था। उसी के नाम पर इस जगह का नाम 'सिकंदरा' पड़ा। सिकंदर के आक्रमण से पहले आगरा एक छोटा सा नगर था। सिकंदरा में मक़बरे का निर्माण कार्य स्‍वयं अकबर ने शुरू करवाया था, लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही अकबर की मृत्‍यु हो गई। बाद में उनके पुत्र जहाँगीर ने इसे पूरा करवाया। जहाँगीर ने मूल योजना में कई परिवर्तन किए। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि, मुग़ल कला कैसे विकसित हुई। मुग़लकला निरंतर विकसित होती रही है। पहले दिल्ली में हुमायूँ का मक़बरा, फिर अकबर का मक़बरा और अंतत: ताजमहल का निर्माण हुआ। मक़बरे के चारों ओर ख़ूबसूरत बगीचा है, जिसके बीच में 'बरादी महल' है, जिसका निर्माण सिकन्दर लोदी ने करवाया था।[1]

अकबर

अकबर हुमायूँ का बेटा और बाबर का पोता था। वह मुग़ल वंश का और मध्यकालीन भारत के इतिहास का महानतम बादशाह था। उसने 1556 से 1605 ई. तक राज्य किया। उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो काबुल से आसाम और कश्मीर से अहमदनगर तक विस्तीर्ण था। उसका राज्य विधर्मी प्रजा के प्रति शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के ठोस सिद्धान्त पर चलता था, और राजतंत्र मनसबदारी जैसे धर्मनिरपेक्ष संस्थानों पर आधारित था। उसने युद्धरत राजपूत राजाओं को मुग़ल छत्र के नीचे एकत्र किया और देश को एक-सी सांस्कृतिक, राजनीतिक और प्रशासकीय व्यवस्था के अन्तर्गत जोड़ दिया। उसने अपना राजत्व शाखामूल भारतीय भूमि से सम्बद्ध कर दिया और उसे विशुद्ध देशी बना दिया। इसलिए उसे ‘चक्रवर्ती’ का सम्मानसूचक विरुद प्रदान किया गया। उसने भीड़ में से एक राष्ट्र का निर्माण किया। इसी कारण उसे अकबर महान कहा गया।

मक़बरे का निर्माण

सम्राट अकबर एक महान् निर्माता भी था, और उसने अपने सारे साम्राज्य में क़िलों की एक श्रृंखला बनवाई थी। उसने फ़तेहपुर सीकरी की स्थापना की, जिसमें उसने अपनी छाप की मिश्रित शैली में सुन्दर महल बनवाये। वह वहाँ 13 वर्ष (1572 से 1585 ई. तक) रहा। उसने आगरे के क़िले का पुनर्निर्माण कराया और इसमें अनेकानेक राजकीय इमारतें बनवाईं। उसने अपने मक़बरे की भी स्वयं ही योजना बनाई और उसके लिये सिकन्दरा में यमुना नदी के तट के समीप एक स्थान पसन्द किया। उसका नाम ‘बिहिश्ताबाद’ (स्वर्गिक आवास) हो गया। अकबर की 1605 ई. में मृत्यु हुई। तब मक़बरे का बनना आरम्भ ही हुआ था। इसे उसके बेटे जहाँगीर ने 1612 ई. में अकबर के मूल डिज़ाइन के अनुसार ही पूर्ण कराया।

संरचना

अकबर का मक़बरा (आंतरिक संरचना)

यह मक़बरा एक विशाल बाग़ के केन्द्र में स्थित है, जिसके चारों ओर ऊँची दीवारें हैं, और जिनके मध्य में विशाल बहुमंज़िली इमारतें हैं। दक्षिण की ओर द्वार भवन है। चारबाग़ योजना पर बाग़ को संगीन पत्थर की ऊँची-ऊँची वीथिकाओं द्वारा चार भागों में बाँटा गया है। इनके बीच में नन्ही सी नाली है और किनारों पर उठी हुई वीथिकाएँ हैं। 75 फ़ीट चौड़ी ये वीथिकाएँ मुख्य मक़बरे को परकोटे की चारों इमारतों से जोड़ती हैं। यह द्रष्टव्य है कि ये वीथिकाएँ स्पष्ट रूप से बाग़ से इतनी ऊँची उठी हुई हैं कि सीढ़ियों द्वारा उन तक पहुँचा जा सकता है। इन सीढ़ियों पर जलप्रपात और कुण्ड बने हैं। इन पर न तो सरो के वृक्ष लगे हैं, न फूलों की क्यारियाँ हैं। इस प्रकार, इस मक़बरे का संयोजन एक सुन्दर बाग़ में किया गया है। इसे अकबर के व्यक्तित्व के अनुरूप ऐसा बनाया गया है कि, यह गरिमा, गम्भीरता, वैचारिकता और शान्ति व्यक्त करता है। इसका प्रभाव कमनीयता, आनन्द और चमक-दमक का नहीं है। इसे ‘प्रेम गीत’ की अपेक्षा ‘शोक गीत’ की तरह डिज़ाइन किया गया है।

द्वार और मीनारों की संरचना

दक्षिण की ओर स्थित विशाल द्वार-भवन दुमंजिला है। इसके उत्तर और दक्षिण की ओर 61 फ़ीट ऊँची एक-एक ‘ईवान-पौली’ है, जिसके दोनों ओर दुहरे आलय बने हैं। बाहर की ओर विविध रूपाकनों में रंगीन पत्थरों से मोजेक और पच्चीकारी से जड़ाऊँ अलंकरण किया गया है। इस द्वार का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग सफ़ेद संगमरमर की चार गोलाकार गर्जराकार मीनारें हैं, जो इसकी छत के कोनों से ऊपर उठती हैं, जहाँ साधारणत: छत्रियाँ लगाई जानी चाहिए थीं। प्रत्येक मीनार तिमंजिली है, हर मंज़िल पर गौख बनी है और शीर्ष पर एक सुन्दर छत्री है। इस अनूठे तत्त्व की प्रेरणा मुहम्मद कुली कुत्ब शाह द्वारा ल. 1591 में हैदराबाद में निर्मित चारमीनार की मीनारों से आई प्रतीत होती है। इस द्वार भवन के दक्षिणी ओर उत्तरी ईवानों पर और हॉल के अन्दर फ़ारसी के शिलालेख उत्कीर्ण हैं। दक्षिणी शिलालेख जहाँगीर की प्रंशसा में एक लम्बी प्रशस्ति है। इसमें ख़ुशनवीस अब्दुलहक शीराजी और इमारत के पूर्ण होने की तिथि (1021 हिजरी 1612 ई.) भी उल्लिखित है। हॉल के अन्दर अलंकृत पुष्पों में फ़ारसी के 12 द्विपदें अभिलेखित हैं। उनमें अकबर की प्रशंसा है। उत्तरी ईवान का शिलालेख भी प्रशंसात्मक है। उसमें अकबर और इस मक़बरे की प्रशस्ति है। इसमें अकबर के दार्शनिक दृष्टिकोण भी परिलक्षित हैं। उत्तरी प्रवेश द्वार के ऊपर दो द्विपदों में मक़बरे का परिचय दिया गया है। कुल मिलाकर यह द्वार भवन पूर्ण इमारत है और कहीं भी स्वतंत्र रूप से शोभायमान हो सकता है।

मुख्य मक़बरा

मुख्य मक़बरे का डिज़ाइन असाधारण है। इसकी योजना चतुरास्त्र है और यह क्रमश: घटती हुई पाँच मंजिलों में बना है। भूमि तल पर विस्तीर्ण दालान हैं, जिनके मध्य में प्रत्येक दिशा में एक ईवान पौली है। प्रत्येक के शीर्ष पर सफ़ेद संगमरमर का आठ खम्बों का एक लम्बाकार छपरखट है। दक्षिणी पौली में एक अन्तर्कक्ष है, जो क़ब्र-कक्ष ले जाता है। इसमें चूने और रंगीन चित्रकारी में क़ुरान की आयतें लिखी हैं। इसके प्रत्येक कोने पर एक अष्ट्रास्त्र अट्टालिका सम्बद्ध है, जिसके शीर्ष पर आठ खम्भों की छत्री है। वास्तव में यह भूमि-तल मक़बरे की जगती हैं, जिस पर इसकी चार मंजिलें आधारित हैं। नीचे की तीन मंजिलों में खम्भों पर आधारित महराबदार दालान हैं, जिनसे छत्रियाँ जुड़ी हुई हैं। सबसे ऊपर का तल सम्पूर्ण सफ़ेद संगमरमर का है। इसके मध्य में 70 फ़ीट लम्बा चौड़ा एक चतुरास्त्र खुला आँगन है। जिसके चारों ओर 9 फ़ीट चौड़े महराबदार दालान हैं। आँगन के मध्य में स्थित चबूतरे पर एक क़ब्रपाषाण स्थित है। बाहर के महराबों पर जालियाँ लगी हैं। अकबर की प्रशंसा में फ़ारसी के 36 द्विपदों में एक सुन्दर प्रशस्ति आँगन की ओर के महराबों पर उत्कीर्ण है। उनमें अकबर के दार्शनिक विचार स्पष्ट ही अभिलेखित है। इस इमारत में कोई गुम्बद या वारहदरी नहीं है और ऊर्ध्वरचना ख़ाली है। वास्तव में यह मुग़ल काल में गुम्बदविहीन मक़बरों की एक स्वतंत्र श्रेणी के सूत्रपात का सूचक है। यद्यपि यह लाल पत्थर का बना है, जहाँगीर ने इस द्वार की मीनारों में ईवान के छपरखटों में और सबसे ऊपर के तल पर सफ़ेद संगमरमर का प्रयोग किया है।

जीर्णोद्वार

यह मक़बरा महान् मुग़लों की प्रमुख इमारतों में सुन्दरतम इमारत है। यह अकबर के स्तर के महान् सम्राट की स्मृति में बना उपयुक्त स्मारक है। 18वीं सदी में यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने 1902 से 1911 ई. के मध्य जीर्णोद्वार किया था।

इन्हें भी देखें: हुमायूँ का मक़बरा, ताजमहल, बुलंद दरवाज़ा, बीबी का मक़बरा एवं ख़ान ए ख़ाना मक़बरा

वीथिका


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिकंदरा (हिन्दी) यात्रा सलाह। अभिगमन तिथि: 6 दिसंबर, 2010

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख