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'''सत्ममंगलम् रंगा अयंगर श्रीनिवास वर्धन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sathamangalam Ranga Iyengar Srinivasa Varadhan'', जन्म- [[2 जनवरी]], [[1940]]) भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ हैं, जिन्हें संभाव्यता सिद्धांत में अपने मौलिक योगदान के लिए जाना जाता है। [[भारत सरकार]] ने उन्हें वर्ष [[2023]] में [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया है। श्रीनिवास वर्धन संभाव्यता सिद्धांत और विशेष रूप से बड़े विचलन के एकीकृत सिद्धांत को बनाने के लिए जाने जाते हैं।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
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==बड़ी उपलब्धि==
 
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श्रीनिवास वर्धन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक दुर्लभ घटनाओं का वर्णन करने में सक्षम एक शक्तिशाली विश्लेषणात्मक और भविष्य कहने वाला संभाव्यता सिद्धांत का विकास था। उनके काम ने एक नया संभाव्य मॉडल तैयार किया जो गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, और उनका मॉडल आधुनिक संभाव्यता सिद्धांत की आधारशिला बन गया है।  
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06:34, 8 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

एस. आर. श्रीनिवास वर्धन
एस. आर. श्रीनिवास वर्धन
पूरा नाम सत्ममंगलम् रंगा अयंगर श्रीनिवास वर्धन'
जन्म 2 जनवरी, 1940
जन्म भूमि चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास)
कर्म भूमि संयुक्त राज्य अमेरिका
कर्म-क्षेत्र गणित
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
विद्यालय मद्रास विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण, 2023

नेशनल मेडल ऑफ साइंस, 2010
पद्म भूषण, 2008

प्रसिद्धि भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ
नागरिकता अमेरिकन
अन्य जानकारी श्रीनिवास वर्धन संभाव्यता सिद्धांत और विशेष रूप से बड़े विचलन के एकीकृत सिद्धांत को बनाने के लिए जाने जाते हैं।
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सत्ममंगलम् रंगा अयंगर श्रीनिवास वर्धन (अंग्रेज़ी: Sathamangalam Ranga Iyengar Srinivasa Varadhan, जन्म- 2 जनवरी, 1940) भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ हैं, जिन्हें संभाव्यता सिद्धांत में अपने मौलिक योगदान के लिए जाना जाता है। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया है। श्रीनिवास वर्धन संभाव्यता सिद्धांत और विशेष रूप से बड़े विचलन के एकीकृत सिद्धांत को बनाने के लिए जाने जाते हैं।

परिचय

श्रीनिवास का जन्म 1940 में चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) हुआ था। उन्होंने 1959 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान चले गए। साल 1953 में उनका परिवार कोलकाता चला गया। इसके बाद वे 1958 में कॉलेज के लिए चेन्नई वापस चले गए। 1960 में वे कॉलेज के लिए कोलकाता गए। साल 1956-1963 के दौरान श्रीनिवास वर्धन आईएसआई में "प्रसिद्ध चार" (अन्य आर. रंगा राव, के.आर. पार्थसारथी और वीरवल्ली एस. वरदराजन ) में से एक थे। साल 1963 में सी. आर. राव के तहत आईएसआई से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।[1]

बड़ी उपलब्धि

श्रीनिवास वर्धन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक दुर्लभ घटनाओं का वर्णन करने में सक्षम एक शक्तिशाली विश्लेषणात्मक और भविष्य कहने वाला संभाव्यता सिद्धांत का विकास था। उनके काम ने एक नया संभाव्य मॉडल तैयार किया जो गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, और उनका मॉडल आधुनिक संभाव्यता सिद्धांत की आधारशिला बन गया है।

पुरस्कार

  • एस. आर. श्रीनिवास वर्धन को 2008 में भारत सरकार ने तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
  • साल 2023 में साइंस एंड इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया।
  • वहीं, 2010 में उनको संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और अन्वेषकों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान 'नेशनल मेडल ऑफ साइंस' प्रदान किया था।


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