एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

ए धनि माननि करह संजात -विद्यापति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आरिफ़ बेग (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:25, 31 जनवरी 2013 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Vidyapati.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
ए धनि माननि करह संजात -विद्यापति
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

ए धनि माननि करह संजात।
तुअ कुच हेमघाट हार भुजंगिनी ताक उपर धरु हाथ।।
तोंहे छाडि जदि हम परसब कोय। तुअ हार-नागिनि कारब माथे।।
हमर बचन यदि नहि परतीत। बुझि करह साति जे होय उचीत।।
भुज पास बांधि जघन तले तारि। पयोधर पाथर अदेह मारि।।
उप कारा बांधि राखह दिन-राति। विद्यापति कह उचित ई शादी।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख