जौवन रतन अछल दिन चारि। से देखि आदर कमल मुरारि।। आवे भेल झाल कुसुम रस छूछ। बारि बिहून सर केओ नहि पूछ।। हमर ए विनीत कहब सखि राम। सुपुरुष नेह अनत नहि होय।। जावे से धन रह अपना हाथ। ताबे से आदर कर संग-साथ।। धनिकक आदर सबतह होय। निरधन बापुर पूछ नहि कोय।। भनइ विद्यापति राखब सील। जओ जग जिबिए नब ओनिधि भील।।