अभिनव कोमल सुन्दर पात। सगर कानन पहिरल पट रात। मलय-पवन डोलय बहु भांति अपन कुसुम रसे अपनहि माति।। देखि-देखि माधव मन हुलसंत। बिरिन्दावन भेल बेकत बसंत।। कोकिल बोलाम साहर भार। मदन पाओल जग नव अधिकार।। पाइक मधुकर कर मधु पान। भमि-भमि जोहय मानिनि-मान।। दिसि-दिसि से भमि विपिन निहारि। रास बुझावय मुदित मुरारि। भनइ विद्यापति ई रस गाव। राधा-माधव अभिनव भाव।।