आदरें अधिक काज नहि बंध। माधव बूझल तोहर अनुबंध।। आसा राखह नयन पठाए। कत खन कउसलें कपट नुकाए।। चल चल माधव तोहें जे सयान। ताके बोलिअ जे उचित न जान।। कसिअ कसउटी चिन्हिअ हेम। प्रकृति परेखिअ सुपुरुख पेम।। सउरभें जानिअ कमल पराग। नयने निवेदिअ नव अनुराग।। भनइ विद्यापति नयनक लाज। आदरें जानिअ आगिल काज।।