जाइत पेखलि नहायलि गोरी। कल सएँ रुप धनि आनल चोरी।। केस निगारहत बह जल धारा। चमर गरय जनि मोतिम-हारा।। तीतल अलक-बदन अति शोभा। अलि कुल कमल बेढल मधुलोभा।। नीर निरंजन लोचन राता। सिंदुर मंडित जनि पंकज-पाता।। सजल चीर रह पयोधर-सीमा। कनक-बेल जनि पडि गेल हीमा।। ओ नुकि करतहिं जाहि किय देहा। अबहि छोडब मोहि तेजब नेहा।। एसन रस नहि होसब आरा। इहे लागि रोइ गरम जलधारा।। विद्यापति कह सुनहु मुरारि। वसन लागल भाव रुप निहारि।।