अंग दान दिवस
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विवरण | 'अंग दान दिवस' पूरे भारत में मनाये जाने वाले महत्त्वपूर्ण दिवसों में से एक है। कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है। |
देश | भारत |
उद्देश्य | किसी व्यक्ति के जीवन में अंग दान के महत्व को समझने के साथ ही अंग दान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठन और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है। |
दान दिये जाने वाले अंग | किडनी, फेफड़ा, हृदय, आँख, पाचक ग्रंथि, आँत, त्वचा ऊतक, अस्थि ऊतक, हृदय छिद्र, नसें आदि। |
अन्य जानकारी | टाईम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार पूरे देश में ज्यादातर अंग दान अपने परिजनों के बीच में ही होता है अर्थात् कोई व्यक्ति सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही अंग दान करता है। विभिन्न अस्पतालों में सालाना सिर्फ अपने मरीजों के लिये उनके रिश्तेदारों के द्वारा लगभग 4000 किडनी और 500 कलेजा दान किया जाता है। |
बाहरी कड़ियाँ | 04:33 29 अक्टूबर-2016 (IST) |
अंग दान दिवस (अंग्रेज़ी: Organ Donation Day) भारत में प्रतिवर्ष '13 अगस्त को मनाया जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में अंग दान के महत्व को समझने के साथ ही अंग दान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये सरकारी संगठन और दूसरे व्यवसायों से संबंधित लोगों द्वारा हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है। अंग दान-दाता कोई भी हो सकता है, जिसका अंग किसी अत्यधिक जरुरतमंद मरीज को दिया जा सकता है। मरीज में प्रतिरोपण करने के लिये आम इंसान द्वारा दिया गया अंग ठीक ढंग से सुरक्षित रखा जाता है, जिससे समय पर उसका इस्तेमाल हो सके। किसी के द्वारा दिये गये अंग से किसी को नया जीवन मिल सकता है।
महत्व
एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी समय किसी व्यक्ति के मुख्य क्रियाशील अंग के खराब हो जाने की वजह से प्रतिवर्ष कम से कम 5 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है। वे अभी भी जीना चाहते हैं, क्योंकि वे अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन प्राकृतिक संकट की वजह से वे ऐसा कर नहीं पाते। उम्मीदों से ज्यादा एक जीवन जीने के उसके समय को बढ़ाने के द्वारा उसके सुंदर जीवन में अंग प्रतिरोपण एक बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। अंग प्रतिरोपित व्यक्ति के जीवन में अंग दान करने वाला व्यक्ति एक ईश्वर की भूमिका निभाता है। अपने अच्छे क्रियाशील अंगों को दान करने के द्वारा कोई अंग दाता 8 से ज्यादा जीवन को बचा सकता है। अंग दान दिवस अभियान, जो 13 अगस्त को मनाया जाता है, एक बेहतरीन मौका देता है, हर एक के जीवन में कि वह आगे बढ़े और अपने बहुमूल्य अंगों को दान देने का संकल्प लें।
चिकित्सा शोधकर्ताओं की ये लगन और मेहनत है, जिन्होंने मानव जीवन में अंग प्रतिरोपण के साथ ही अंग दान के ऊपर सफलतापूर्णं परिणाम की प्राप्ति के लिये वर्षों तक कई असफलताओं के साथ प्रयोग किया। अंतत: उन्होंने अंग प्रतिरोपण के महत्वपूर्णं प्रक्रिया के ऊपर सफलता हासिल की। चिकित्सा उपचार के द्वारा गुर्दे, अस्थिमज्जा, हृदय, फेफड़ा, कॉरनिया, पाचक ग्रंथि, आँत वे अंग हैं जो सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किये जा सकते हैं। इम्यूनों-सप्रेसिव ड्रग्स के विकास की वजह से अंग प्रतिरोपण और दान करने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो सकती है, जिससे अंग प्राप्त कर्ता के जीवित रहने की दर बढ़ा सकता है। आधुनिक समय में नयी तकनीक और उपचार के विकास और वृद्धि की वजह से अंग प्रत्यारोपण की जरुरत लगातार बड़े स्तर पर बढ़ रही है, जिससे प्रतिवर्ष और अंग दान की जरुरत है। अच्छी तकनीक और उपचार की उपलब्धता होने के बावजूद भी मृत्यु-दर बढ़ रही है, क्योंकि प्रतिरोपण लायक अंग की कमी है।[1]
लक्ष्य
अंग दान दिवस मनाये जाने के मुख्य लक्ष्य हैं-
- अंग दान की जरुरत के बारे में लोगों को जागरुक करना।
- पूरे देश में अंग दान के संदेश को फैलाना।
- अंग दान करने के बारे में लोगों की हिचकिचाहट को हटाना।
- अंग दाता का आभार प्रकट करना।
- अपने जीवन में अंग दान करने के लिये और लोगों को प्रोत्साहित करना।
दान करने योग्य अंग
समाज में अंग दान की शुरुआत करने वाले बहुत से संस्थान और लोग हैं; उनमें से एक टाईम्स ऑफ इंडिया है, जिसने इसकी पूर्ति और अंग दान की जरुरत के बारे में आँकड़ों सहित रोजाना असरदार और वास्तविक खबरों के द्वारा पूरे विश्व में अंग दान के संदेश को फैला रहें हैं। लोगों के बीच में टाईम्स ऑफ इंडिया की खबर ने एक उम्मीद जगाई जिन्हें वास्तव में अंग प्रतिरोपण की जरुरत है। टाईम्स ऑफ इंडिया ने “मृत्यु के बाद भी जीवन शुरू हो सकता है” के शीर्षक के तहत महान् संदेश दिया। उसके अनुसार पूरे देश में ऐसे बहुत सारे व्यक्ति हैं, जिनका कोई महत्वपूर्णं अंग खराब हो गया हो और उन्हें अपने जीवन को जारी रखने के लिये किसी दूसरे व्यक्ति के अंग की जरुरत हो। ब्रेन डेथ के बाद ही अंग दान की प्रक्रिया के द्वारा अंग प्रतिरोपण की जरुरत को पूरी की जा सकती है। लेकिन सिर्फ अफवाह और भ्रम की वजह से आज भी हमारे देश में अंग दान करने वालों की संख्या बहुत कम है। जिस किसी को भी आपके बहुमूल्य अंग की बेहद जरुरत है, उसे अपना अंग दान देने के द्वारा अपने जीवन में अपने महान् देश और परिवार के लिये आदर्श बने।
क्र.सं. | अंग |
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1. | किडनी |
2. | फेफड़ा |
3. | हृदय |
4. | आँख |
5. | कलेजा |
6. | पाचक ग्रंथि |
7. | आँख की पुतली की रक्षा करने वाला सफेद सख्त भाग |
8. | आँत |
9. | त्वचा ऊतक |
10. | अस्थि ऊतक |
11. | हृदय छिद्र |
12. | नसें |
आँकड़े
टाईम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पूरे देश में ज्यादातर अंग दान अपने परिजनों के बीच में ही होता है अर्थात् कोई व्यक्ति सिर्फ अपने रिश्तेदारों को ही अंग दान करता है। विभिन्न अस्पतालों में सालाना सिर्फ अपने मरीजों के लिये उनके रिश्तेदारों के द्वारा लगभग 4000 किडनी और 500 कलेजा दान किया जाता है। वे अपनी एक किडनी और ¾ अपने कलेजे का दान करते हैं (क्योंकि ये 6 हफ्तों बाद सामान्य स्थिति में आ सकता है)। चेन्नई के केन्द्र में सालाना लगभग 20 हृदय और फेफड़े प्रतिरोपित किये जाते हैं, जबकि माँग बहुत ज्यादा है। प्रति वर्ष 2 लाख कॉर्निया प्रतिरोपण की जरुरत है जबकि सिर्फ 50000 दान किया जाता है। अपनी स्पष्टता की कमी और गलतफहमी की वजह से विषय के बारे में अधिक जागरुकता के बजाय भारतीय लोगों के द्वारा अंग दान की क्रिया में कमी है।
डर और अफवाह
कम जानकारी और जागरुकता के कारण अंग दान करने को लेकर लोगों में बहुत सारी अफवाहें और डर है। ज्यादातर लोगों के पास अंग दान करने को लेकर जागरुकता नहीं है, जैसे- कौन-सा अंग दान किया जा सकता है, कब इसे दान किया जा सकता है, कैसे इसके लिये रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है आदि। अपने डर और मिथक या पारिवारिक दबाव की वजह से अंग दान करने के लिये अपनी स्वतंत्र इच्छा को नहीं दिखाते हैं या कुछ लोग अंग दान करने के इच्छुक नहीं होते हैं। टाईम्स ऑफ इंडिया द्वारा अंग दान करने के लिये नाम लेने की प्रतियोगिता चलाई जा रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य
अंग दान करने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं[2]-
- कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है।
- अंग दान करने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है।
- अंग दान करने का निर्णय उम्र के आधार पर नहीं किया जाता है, बल्कि यह निर्णय विशुद्ध चिकित्सा मनदंडों के आधार पर किया जाता है।
- प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा, और हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता हैं, लेकिन ‘मस्तिष्क की मृत्यु' होने की स्थिति में केवल यकृत, गुर्दे, आँत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान ही किया जा सकता है।
- हृदय, अग्न्याशय, यकृत, गुर्दें और फेफड़ें जैसे अंगों का प्रत्यारोपण उन अंग प्राप्तकर्ताओं में किया जाता हैं, जिनके अंग असफल हो चुकें हैं, ताकि यह प्राप्तकर्ता सामान्य जीवनयापन कर सकें।
- अठारह वर्ष से कम आयु के अंगदानकर्ताओं के लिए अंगदान करने से पहले अपने माता-पिता या अभिभावकों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता हैं।
- सक्रिय कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी या हृदय की बीमारी जैसी गंभीर स्थितियों के होने पर अंगदान करने से बचना चाहिए।
'स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय' ने सभी समुदायों के व्यक्तियों से बहुमूल्य जीवन को बचाने वाले इस पवित्र कार्य में सहयोग करने के लिए उदारता से अंगदान करने का आग्रह किया है। मंत्रालय ने छठा विश्व और भारत का पहला 'भारतीय अंगदान दिवस' तथा नई दिल्ली में, अंगदान कांग्रेस 2010 का शुभारंभ किया था। 'राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन' (नोट्टो) ने 27 नवंबर, 2015 को छठा भारतीय अंगदान दिवस मनाया था। इस दिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत की जनता से हज़ारों व्यक्तियों के जीवन को बचाने के लिए अंगदान करने की प्रतिज्ञा लेने के लिए अधिकारिक अपील की थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अंग दान दिवस (हिंदी) hindikiduniya.com। अभिगमन तिथि: 29 अक्टूबर, 2016।
- ↑ अंग दान दिवस (हिंदी) hi.nhp.gov.in। अभिगमन तिथि: 29 अक्टूबर, 2016।
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