अफ़्रीदी सीमा प्रान्त का एक पश्तून लड़ाकू कबीला है, जो ख़ैबर क्षेत्र में निवास करता है। ये लोग भारतीय प्रशासन के लिए बराबर सिरदर्द बने रहे हैं। औरंगज़ेब और अंग्रेज़ों ने भी बड़ी मुश्किल से इन लोगों पर नियंत्रण स्थापित किया था।
- इस कबीले के लोग स्वयं को पश्तो में 'अपरीदी' बुलाते है।
- अफ़्रीदी लोग अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में पूर्वी सफ़ेद कोह पर्वतीय क्षेत्र, पश्चिमी पेशावर वादी और पूर्वी नंगरहार प्रान्त में बसते हैं।
- पाकिस्तान के संघ-शासित क़बाईली क्षेत्रों के ख़ैबर विभाग, पेशावर सरहदी क्षेत्र और कोहाट सरहदी क्षेत्र में भी अफ़रीदी विस्तृत हैं। वे इसी इलाके के प्रसिद्ध ख़ैबर दर्रे के दोनों तरफ़ रहते हैं।
- बहुत-से अफ़्रीदी भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर राज्यों में भी रहते हैं।
- अफ़्रीदी लोगों ने 1667 ई. में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के विरुद्ध विद्रोह कर दिया था।[1]
- औरंगज़ेब को एक लम्बे संघर्ष के बाद ही इनका दमन करने में सफलता प्राप्त हुई थी।
- 1893 ई. के बाद जब अफ़ग़ानिस्तान और भारत की सीमा 'डुरंड रेखा' तय की गई, तो अफ़्रीदी क्षेत्र भारत की ब्रिटिश सरकार के अधीन आ गया।
- ब्रिटिश शासकों को इस क्षेत्र पर नियंत्रण करने के लिए अनेक फ़ौजी अभियान चलाने पड़े।
- अंग्रेज़ों को अफ़्रीदी सरदारों को अपनी ओर मिलाने के लिए उन्हें आर्थिक सहायता तक भी देनी पड़ी थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 11 |