उत्तरी अमेरिका महाद्वीप
उत्तरी अमेरिका महाद्वीप, संयुक्त राज्य अमरीका का उत्तरी महाद्वीप है, जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। यह पूर्ण रूप से पश्चिमी गोलार्ध में आता है। उत्तरी अमेरिका महाद्वीप उत्तर में आर्कटिक महासागर, पूर्व में उत्तरी अन्ध महासागर, दक्षिण पूर्व में कैरिबियाई सागर, और पश्चिम में उत्तरी प्रशान्त महासागर से घिरा हुआ है।
उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का कुल भू भाग 2,47,09,000 वर्ग किलोमीटर है। यह पृथ्वी की कुल सतह का 4.8% या कुल भू भाग का 16.5% है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह एशिया और अफ़्रीका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से यह एशिया, अफ़्रीका, और यूरोप के बाद चौथा सबसे बड़ा महाद्वीप है।
इस महाद्वीप को, पूर्व से पश्चिम, चार प्रमुख प्राकृतिक विभागों में विभाजित किया जा सकता है :-
अटलांटिक तटीय प्रदेश
यह तट उत्तर में आर्कटिक सागर से प्रारंभ होकर दक्षिण में फ्लोरिडा तक पूर्वी पर्वतीय प्रदेश के पूर्व, अटलांटिक महासागर के किनारे फैला हुआ है। इसका लंबा तथा सँकरा तटीय मैदान न्यूयार्क के दक्षिण में फ्लोरिडा तक अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है पर उत्तर की ओर संकीर्ण होता गया है। संरचना तथा भूतत्व के आधार पर इसके दो विभाग हैं, पूर्वी और पश्चिमी, जो प्रपात रेखा द्वारा पृथक् होते हैं। पूर्वी भाग की उँचाई 65-100 मीटर तक है पर पश्चिमी भाग लगभग 300 मीटर ऊँचा है। पूर्वी पर्वतीय प्रदेश से निकलकर अंध महासागर में गिरनेवाली नदियों में-सस्केहाना, पोटोमैक, डिलावेर, जेम्स आदि सबमें प्रपात हैं। इन प्रपातों में से उनको, जो अपनी नदी पर समुद्र से निकटतम हैं, एक कल्पित रेखा से मिलाया जा सकता है जिसे प्रपातरेखा कहते हैं। इन नदियों में प्रपातरेखा तक सामुद्रिक जहाज आते हैं, अत: यहाँ फ़िलाडेल्फिया, बाल्टीमोर, वाशिंगटन, रिचमांड आदि नगर एवं बंदरगाह विकसित हो गए हैं। पूर्वी भाग नदियों द्वारा लाई गई नरम मिट्टी से बना है, अत: इसकी शिलाएँ तृतीयक (टर्शियरी) युगीन हैं। पश्चिमी भाग प्राचीन युग में पूर्वी पर्वतीय प्रदेश का ही अंश था, जो कालांतरिक आवरणक्षय (डेन्युडेशन) होने के कारण विषम मैदान में परिणत हो गया है। इसकी चट्टानें कार्बनप्रद युगीन अथवा इससे भी पुरानी हैं। कहीं-कहीं, विशेषतया मैसाचूसेट्स के उत्तर में, तटरेखा विकट एवं अत्यंत सँकरी है जिसके पास अनेक निमज्जित घाटियाँ खाड़ियों के रूप में तथा पहाड़ियाँ भूनासिकाओं (प्रोमाटोरीज़) एवं द्वीपों के रूप में स्थित हैं।
पूर्वी पर्वतीय प्रदेश
अटलांटिक के तटीय मैदान तथा मध्यवर्ती बृहत् मैदान के मध्य में उत्तरी अमरीका का प्राचीन भूभाग स्थित है। इसे सेंट लारेंस नदी की घाटी दो भागों में विभाजित करती है-उत्तरी तथा दक्षिणी। इस घाटी से लेकर उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में हडसन की खाड़ी तथा उत्तर सागर तक फैला हुआ अत्यंत विषम संरचना का क्षेत्र है जिसे लारेंशिया का पठार कहते हैं। यह भाग उत्तरी अमरीका का प्राचीनतम भूभाग है जिसके दक्षिण तथा पश्चिम में कालांतर में कई स्थलखंड परस्पर जुड़ गए। इस प्रकार आधुनिक महाद्वीप का निर्माण हुआ। अन्य सिद्धांतों के अनुसार वर्तमान लारेंशिया पठार उस बृहत्तर स्थलखंड का एक अंश मात्र है जो पुराकल्प (पैलिओज़ोइक एरा) में दक्षिण में टेक्सास राज्य तथा पश्चिम में रॉकी पर्वतों तक फैला हुआ था और जिसके मध्यकल्पयुगीन (मेसोज़ोइक) महासागर में निमज्जित होने से महासागरीय निक्षेप हुआ। प्रातिनूतनकालिक (प्लाइस्टोसीन) हिमयुग का सूत्रपात्र भी इसी स्थलखंड से हुआ। ऐसा होते हुए भी, विचाराधीन भाग अमरीका के अन्य भाग की अपेक्षा कालांतरिक आवरणक्षय से बचा रहा। हिमयुगीन अपक्षरण के तथा निक्षेप के कारण यहाँ की भूमि ऊबड़ खाबड़, मिट्टी विहीन तथ अनुपजाऊ है। कुछ अच्छी मिट्टी वाले भागों एवं खनिज स्थानों पर आबादी है।
सेंट लारेंस नदी के दक्षिण वाला भाग ऐपालैचियन पर्वतीय प्रदेश कहलाता है जो प्राचीनतम ऐपालैचिआ नामक स्थलखंड का भाग है। यह उत्तर पूर्व में न्यूफ़ाउंडलैंड से लेकर दक्षिण पश्चिम में ऐलाबैमा तथा एक शाखा द्वारा आरकैज़ैस तक फैला हुआ है। इस भाग को अपेक्षाकृत शांत पड़े लारेंशियन क्षेत्र की अपेक्षा तोड़-फोड़, उत्थान पतन, अतिनिक्षेप एवं अति आवरणक्षय के कई युग देखने पड़े। कैब्रियनपूर्व युग में ऊँचे पर्वतों का निर्माण हुआ जो लगातार आवरणक्षय के कारण मध्यकल्प (मेसोज़ोइक एरा) में अवशिष्ट मात्र रह गए। तृतीयक कल्प (टर्शियरी एरा) में पुन: इनका उत्थान हुआ और पठार के ऊँचे भाग पर्वत बन गए। इन पर्वतीय भागों की ऊँचाई कहीं भी 2,100 मीटर से अधिक नहीं है और न तो ये क्रमबद्ध पर्वतश्रेणी के रूप में हैं। इनके बीच में नदियों ने गहरी तथा चौड़ी घाटियाँ बना ली हैं। इसका उत्तरी भाग, जो न्यू इंग्लैंड राज्य में पड़ता है, अपेक्षाकृत समुद्र से अधिक निकट, कटा छँटा और बीहड़ है। दक्षिण में ऐलेघनी पठार है जिसका निर्माण समतलीय शिलाओं, बलुआ पत्थरों, शेलों एवं चूना पत्थरों से हुआ है। तत्संबंधी कंबरलैंड का पठार उसके दक्षिण में है और ऐलाबैमा तक फैला हुआ है। मिस्सौरी का ओजार्क का पठार तथा आरकैंज़ैस का आंचिटा पर्वत इन्हीं के भाग हैं जो एक दूसरे से संबंधित हैं। दक्षिण पूर्व में पर्वतपदीय पठार है जो समुद्रतट तक चला गया है।
मध्यस्थित बृहत मैदान
पूर्वी एवं पश्चिमी पर्वतीय भागों (2 तथा 4) के मध्य, उत्तर में उत्तरी महासागर तथा दक्षिण में मैक्सिको की खाड़ी के तट तक 32,37,500 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ यह समतल मैदान है, जिसमें अनेक नदियों की चौड़ी घाटियाँ स्थित हैं। लगभग संपूर्ण मैदान समतलीय शिलाओं से संरचित है और अपेक्षाकृत सदियों की विकृति एवं विखंडन आदि भूतात्विक हलचलों से बचा रहा है जिसके कारण कई प्रवाहप्रणालियों ने अपने विशाल मैदान निर्मित किए हैं। पूर्वी मैदानी भाग पुराकल्पयुगीन शिलाओं से निर्मित है, परंतु पश्चिमी भाग मध्यकल्प तथा तृतीयक कल्प में निर्मित हुए हैं। पूर्व एवं पश्चिमी पर्वतीय भागों के तृतीयक कल्पयुगीन उत्थान के साथ इनमें भी उत्थान हुआ, परंतु कुछ भागों को छोड़कर अधिकांश समतल मैदानी भाग हैं। पूर्वी मैदान गंडमृदीय निक्षेप के कारण अधिक समतल हो गया है। मध्य पश्चिमी भागों में गिरिपाद निक्षेप हुआ है। उत्तर पूर्व में हिमयुगीन अपक्षरण तथा निक्षेप का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है, जिससे अधिक झीलें आदि बन गई हैं।
पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र
मध्यवर्ती मैदान के पश्चिम रॉकी पर्वतों से लेकर पश्चिम में प्रशांत महासागरीय तट तक उत्तर से दक्षिण अनेक पर्वत प्रणालियों तथा पठारों का अत्यंत विषम क्षेत्र है, जिसे उत्तरी अमरीका का कार्डिलेरा भू-भाग कहते हैं। यद्यपि इन विभिन्न प्रणालियों में उत्पत्ति, संरचना एवं आयु में पारस्परिक अंतर है, तथापि पूर्वी पर्वतीय प्रदेश की अपेक्षा ये नए हैं और नवकल्पयुग में भंजित हुए हैं। अत: ये अधिक उँचे और विषम हैं। इनके विभिन्न भागों में ज्वालामुखी पर्वत तथा उनके उद्गार तत्व भी प्राप्य हैं। ओरीजोवा और पोपाकाटापेट्ल (मैक्सिको), माउंट सैन फ्रैंसिस्को (एरीज़ोना), शास्ता (कैलिफ़ोर्निया) रेनियर (वाशिंगटन), रैंजेल (अलास्का) आदि मुख्य ज्वालामुखी पर्वत हैं। कोलंबिया पठार भारतीय लावा पठार की भाँति ज्वालामुखी से निकली हुई लावाचट्टानों से निर्मित हैं। इसके अतिरिक्त इस भाग में विशाल अंतर्पर्वतीय एवं गिरिपाद (पीडमौंट) पठार तथा नदियों की अत्यंत गहरी घाटियाँ (कैनियन) वर्तमान हैं।
- पूर्व से पश्चिम, विचाराधीन भू-भाग के पाँच भौगोलिक विभाग हैं-
- पूर्व में रॉकी पर्वत प्रणाली का क्षेत्र औसत रूप में 1,900 कि.मी. से अधिक लंबा तथा 300 कि.मी. से अधिक चौड़ा है। इसकी उत्तरी तथा दश्क्षिणी प्रणालियों के बीच ग्रेट डिवाइड या वायोमिंग बेसिन है, जिसके द्वारा आवागमन की सुविधा प्राप्त होती है। इन पर्वतों में कई समांतर श्रेणियाँ हैं जिनके मध्य नदियों की घाटियाँ स्थित हैं।
- रॉकी क्षेत्र के पश्चिम में विषम धरातलीय अंतर्पर्वतीय तथा गिरिपाद पठारों का विशाल क्षेत्र है, जिनमें उत्तर से दक्षिण अलास्का पठार, कोलंबिया पठार, ग्रेट बेसिन, कोलोरैडो पठार तथा मैक्सिको पठार हैं। कोलोरैडो तथा उसकी सहायक नदियों ने लगभग 2,000 मीटर तक गहरी घाटियाँ (कैनियन) बना ली हैं।
- इन पठारों के पश्चिम (अलास्का पठार के दक्षिण तथा दक्षिण पूर्व) पुन: पर्वतीय श्रेणियाँ हैं जो उत्तर तथा उत्तर-पश्चिम में स्थित अलास्का से दक्षिण में स्थित मेक्सिको तक चली गई हैं। उत्तर में तथा उत्तर पश्चिम में इनका नाम अलास्का पर्वतश्रेणी, पश्चिमी कनाडा में कस्केड, पश्चिमी संयुक्त राज्य में सियरा नेवादा, तथा दक्षिण और मैक्सिकों में सियरा मादरी है। अलास्का पर्वतश्रेणियों में उत्तरी अमरीका के सर्वोच्च 11 शिखर वर्तमान हैं जिनमें माउंट मैकिनले (6,100 मीटर सर्वोच्च है।
- इन पर्वतश्रेणियों के पश्चिम,तथा समुद्रतटीय पर्वतों के मध्य, कई सँकरी उपजाऊ घाटियाँ हैं, जिनमें पगेट साउंड तथा कैलिफ़ोर्निया की घाटियाँ क्रमश: 240 तथा 800 कि.मी. लंबी हैं। इन घाटियों के पश्चिम (कोस्टल रेंजेज़) फैली हुई हैं।
- इनके पश्चिम प्रशांत महासागर का अत्यंत सँकरा तटीय क्षेत्र स्थित है जहाँ, विशेषकर, ब्रिटिश कोलंबिया के पास, छोटे-छोटे द्वीप तथा खाड़ियाँ और फियोर्ड्स हैं। जिन स्थानों पर मैदान कुछ अधिक चौड़ा है, वहाँ मल्लाहों आदि के आवास मिलते हैं।
मैक्सिको में मध्यवर्ती पठार के पूर्व और पश्चिम, सियरा मादरी की पूर्वी तथा पश्चिमी श्रेणियाँ फैली हैं जो टेहुआंटेपेक में जाकर भारत को नीलगिरि श्रेणियों की तरह एक बद्ध हो जाती हैं। फलत: पठार दक्षिण में सँकरा तथा उत्तर में चौड़ा हो गया है। पूर्वी क्षेत्र समुद्र से दूर है; अत: तटीय मैदान चौड़ा है पर पश्चिमी तट पर्वतों के समुद्र से सटे होने के कारण सँकरा है। पठार की ढाल मेक्सिको की खाड़ी की ओर है।
जलप्रणाली
भूतल की संरचना तथा विकास की अंतर्विषमता के कारण कई प्रवाहप्रणालियाँ विकसित हुई हैं। संसार की सबसे लंबी नदी मिसिसिपी-मिस्सौरी (6,640 कि.मी.) का विकास कई भूभागों के विकास के साथ संबद्ध है। पूर्वी पर्वतीय भागों से निकलनेवाली इसकी सहायक नदी ओहायो (2,080 कि.मी.) अध्यकल्पयुगीन है जब कि पश्चिमी सहायक नदियाँ मिस्सौरी (4,320 कि.मी.), आरकैज़ास तथा रेड नदी तृतीयकयुगीन हैं। दक्षिणी तटीय भागों के विकसित होने पर मिसिसिपी की लंबाई लगभग दूनी हो गई। उत्तर में प्रातिनूतन हिमयुगीन निक्षेप के कारण कई नदियाँ मिसिसिपी में आत्मसात् हो गईं और अब वे शीर्ष नदियों के रूप में ही वर्तमान हैं। मिसिसिपी मैक्सिको की खाड़ी में अत्यंत विशाल डेल्टा बनाती है। उक्त खाड़ी गिरनेवाली दूसरी प्रसिद्ध नदी रॉयो ग्रांडे है जो रॉकी से निकलती है और अपने निचले प्रवाह में मैक्सिको की सीमारेखा बनाती है। कॉर्डिलेरा की विभिन्न श्रेणियों से निकलकर प्रशांत महासागर में गिरनेवाली नदियों में यूकन, कोलंबिया एवं कोलोरैडो प्रमुख हैं। यूकन पश्चिमोत्तर कैनाडा तथा अलास्का में प्रवाहित होकर बेरिंग जलडमरूमध्य के दक्षिण नॉर्टन साउंड में गिरती है। कोलंबिया नदी, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के रॉकी पर्वत से निकलकर 5,69,800 वर्ग कि.मी. के बेसिन से बहती हुई, प्रशांत महासागर में गिरती है। स्नेक तथा स्पोकेन इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। कोलोरैडो नदी रॉकी से निकलकर उत्तरी अमरीका के सबसे अधिक सूखे राज्यों ऊटा, एरीज़ोना, दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया एवं मैक्सिको के कुछ भागों से बहती हुई कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी में गिरती है। इसका खड्ड (कैनियन) कहीं-कहीं 2,000 मीटर तक गहरा है। उत्तरी सागर में गिरनेवाली सर्वप्रमुख नदी मैकेंजी (3,680 कि.मी.) है जो अनेक झीलों से होकर आती है। इसका मुहाना कई महीनों तक बर्फ से ढका रहता है। नेल्सन, अल्बानी, फोर्ट जार्ज आदि कई छोटी नदियाँ उत्तर में हडसन की खाड़ी में गिरती हैं। सेंट लारेंस नदी बड़ी झीलों से प्रवाहित होती हुई उत्तर पूर्व में सेंट लारेंस की खाड़ी में गिरती है। इसके मुहाने पर भी महीनों तक बर्फ जमी रहती है। पूर्वी पर्वतीय प्रदेश से निकलकर पूर्व में अंध महासागर में गिरनेवाली नदियाँ-सस्केहाना, पोटोमक, डिलावर, जेम्स आदि-अत्यंत छोटी हैं। उपर्युक्त समुद्रगामी जलप्रणालियों के अतिरिक्त उत्तरी अमरीका में एक विशाल अंतर्मुखी जलप्रणाली है जो शुष्क ग्रेट बेसिन में मिलती है। इसके अतिरिक्त उत्तरी अमरीका में अनेक झीलें हैं, जिनमें सुपीरियन (82,414 वर्ग कि.मी.), ह्यूरन (59,570 वर्ग. कि.मी.), मिशिगन (58,000 वर्ग कि.मी.), ईरो (25,770 वर्ग कि.मी.), और ओंटैरियो (19,528 वर्ग कि.मी.) आदि पाँच बृहत झीलों के अतिरिक्त, साल्ट लेक, विनिपेग, ग्रेट स्लेव, ग्रेट बेयर आदि झीलें प्रमुख हैं। सेंट लारेंस नदी तथा पाँच बड़ी झीलें देशाभ्यंतर जलपथों के लिए सुप्रसिद्ध हैं।
जलवायु
उत्तरी अमरीका की जलवायु पर चार बातों का विशेष प्रभाव पड़ता है:-
- अक्षांशीय स्थिति,
- पर्वतों का उत्तर दक्षिण फैलाव,
- नियतवाही हवाएँ और समुद्र की धाराएँ तथा
- उत्तरी प्रशांत एवं उत्तरी ऐटलांटिक की हवा के कम दबाव के केंद्र।
उच्च अक्षांशों में स्थित होने के कारण कैनाडा का दो तिहाई भाग वर्ष के अधिकांश महीनों में बर्फ से ढका रहता है। पर्वतों के उत्तर दक्षिण फैले रहने के कारण उत्तरी दक्षिणी हवाएँ मध्य भाग में बेरोक बहती हैं जिससे महाद्वीप का अधिकांश भाग जाड़े में अधिक ठंडा हो जाता है, परंतु ग्रीष्म में इसका प्रभाव अच्छा होता है, क्योंकि मैक्सिको की खाड़ी से चलनेवाली हवाएँ कनाडा के उत्तरी भाग तक पहुँच जाती हैं। पर पूर्व पश्चिम आकर वर्षा करनेवाली हवाओं या सामुद्रिक धाराओं का प्रभाव इन तटीय पर्वतों के कारण अंतर्प्रात में नहीं पड़ने पाता। जाड़े में संपूर्ण कनाडा, अलास्का, न्यूफ़ाउंडलैंड तथा मध्यवर्ती मैदान में अर्धोत्तरी भाग का ताप 32° फा. से कम रहता है। मैक्सिको खाड़ी के तटीय भागों तथा मैक्सिको में 48°-64° फा. का ताप रहता है। अत: जाड़े में महाद्वीप का कोई भाग अधिक गरम नहीं रहता। ग्रीष्म ऋतु में केवल उत्तरसागरीय तट तथा उसके निकटवर्ती भागों को छोड़कर संपूर्ण महाद्वीप में 32° फा. से अधिक ताप रहता है। अत: महाद्वीप के अधिकांश में जनवरी जुलाई के माध्यमिक तापों का अंतर 40° फा. से अधिक तथा उत्तर में 70° फा. से भी अधिक पड़ जाता है। 40° उ.अ. के उत्तरवाले पश्चिमी तट के भागों में गरम जलधाराओं का प्रभाव पड़ता है, लेकिन समकक्ष पूर्वी तट का जल लैब्राडोर की ठंडी जलधारा के कारण जम जाता है। दक्षिण में पश्चिमी तटों पर कैलिफोर्निया की ठंडी धारा चलती है और समकक्ष पूर्वी तटों पर मेक्सिको की गरम धाराएँ।
इसी प्रकार पर्वतीय स्थिति, चक्रवातीय पथ, समुद्र सने निकटता, हवाओं की दिशा आदि का प्रभाव वर्षा पर पड़ता है। 40° उ.अं.से उत्तरी भागों में पश्चिमी तट पर वाष्युक्त पश्चिमी हवाओं के कारण प्रचुर वर्षो हो जाती है पर समकक्ष पूर्वी तट वर्षाविहीन रहता है। 30°-40° उ.अ. में पश्चिमी तट पर जाड़े में पछुवाँ हवाओं द्वारा वर्षा होती है, पंरतु गर्मी मे यह भाग उत्तर पूर्वी व्यापारिक हवाओं में पड़ने के कारण शुष्क रह जाता है। 300 उ.अ. के दक्षिण का पश्चिम तटीय भाग साल भर इन हवाओं के प्रभाव में रहने के कारण मरुस्थल है, पर ये ही हवाएँ समकक्ष पूर्वी क्षेत्रों-फ्लौरिडा और मेक्सिको-में प्रचुर वर्षा करती हैं। मेक्सिको की खाड़ी से हवाएँ मिसिसिपी की घाटी में ग्रीष्मकाल में प्रवेश करती हैं। उनके खाड़ी के निकटवर्ती स्थानों में अधिक वर्षा होती है और भीतरी स्थानों में वर्षा की मात्रा दूरी के अनुसार कम होने लगती है। उत्तरी अमरीका में अधिक वर्षावाले (100 से 200 सें. वार्षिक) क्षेत्र दक्षिण-पूर्वी मेक्सिको, संयुक्त, सुयंक्त राज्य के ऐटलांटिक तटीय राज्य, मैक्सिको की खाड़ी के तटवर्ती पूर्वी राज्य, ब्रिटिश कोलंबिया, यूकन के पश्चिमतटीय भाग तथा अलास्का के दक्षिणी तट हैं। 50 से 100 सें. तक वर्षा मैक्सिको के अन्य शेष भाग, टेक्सास, मिसिसिपी घाटी के राज्यों तथा विनिपेग झील से पूर्व स्थित कनाडा के राज्यों में होती है। 50 सें. से कम वर्षा के क्षेत्र के अंतर्गत रॉकी पर्वत की पूर्वी ढाल पर स्थित पठारी पैदान, पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश के मध्यवर्ती पठार, ग्रेट बेसिन, कैलिफ़ोर्निया का रेगिस्तानी भाग, कनाडा के सस्केचवान, अलबर्टी, मेकेंजी, पूर्वी ब्रिटिश कोलंबिया, यूकन पठार के पश्चिमी तथा उत्तरी प्रांत और अलास्का का उत्तरी भाग संमिलित हैं।
वनस्पति, जीवजंतु-महाद्वीप में टुंड्रा से लेकर उष्ण कटिबंध तक सभी प्रकार की जलवायु मिलने के कारण सभी प्रकार की वनस्पतियाँ मिलती हैं। उत्तरी सागर के तटीय भागों में टुंड्रा वनस्पति तथा दक्खिन में भोजपत्र, चिनार एवं नम्रा (विलो) आदि उगते हैं। इसके दक्षिण में लगभग 4,800 कि.मी. लंबा और लगभग 100 कि.मी. चौड़ा भाग कोणधारी वनों (सरों, देवदारु, पोपलर इत्यादि के वृक्षों) से आच्छादित है। पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र के उत्तरी भागों में कोणधारी तथा दक्षिण में पतझड़वाले वृक्ष (ओक, चेस्टनट, एल्म, मेपुल आदि) हैं। पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश के उत्तरी भागों में सरो, देवदारु आदि तथा दक्षिणी भागों में डगलस फ़र, रेड सीडर (रक्त देवदारु) आदि मुख्य हैं। मैक्सिको क्षेत्र में उष्ण कटिबंधीय (महोगनी आदि के) वन मिलते हैं। पर्वतीय भागों में पर्वतीय वनस्पतियाँ प्राप्य हैं। इन पर्वतीय भागों को छोड़कर अधिकांश शुष्क पठारी भागों में मरु तथा अर्धमरु वनस्पतियाँ (सेंहुड़, नागफनी इत्यादि) मिलती हैं। मध्यवर्ती मैदान के पूर्वी भागों में लंबी घासें तथा पश्चिमी भागों में छोटी घासें प्रमुख वनस्पति हैं। कृषि तथा चरागाहों की वृद्धि के साथ मनुष्य के विनाशकारी कार्यो द्वारा प्राकृतिक वनस्पति का अत्यधिक ्ह्रास हुआ है।
उत्तरी अमरीका के पशुपक्षी यूरेशिया के पशु पक्षियों से अधिक मिलते जुलते हैं। छछूँदर, शल्यक (आर्माडिलो), साही, प्रेअरी, कुत्ता, रॉकी पर्वतीय बकरी आदि पशु तथा बाल्टिमोर कांचन (ओरिओल), काउबर्ड, रालभाश (फ्लाई कैचर), कैलिफ़ोर्निया बटेर (क्वेल) आदि पक्षी उत्तरी अमरीका की विशेषताएँ हैं। कुछ पक्षी दक्षिण अमरीकी पक्षियों से भी मिलते जुलते हैं।
जनसंख्या
उत्तरी अमरीका की कुल जनंसख्या 1970 की जनगणना तथा अनुमानों के अनुसार 26,98,92,549 है जिसमें संयुक्त राज्य में 20,02,55,151 (अर्थात् बीस करोड़ से अधिक), कैनाडा में 2,13,24,000 (दो करोड़ से अधिक) और मैक्सिको में 4,83,13,438 (लगभग पाँच करोड़) लोग रहते हैं। अत: प्रति वर्ग कि.मी. संयुक्त राज्य में 21, कनाडा में 2 (2.3) तथा मैक्सिको में 25 है। विश्व के परिप्रेक्ष्य में उत्तरी अमरीका आस्ट्रेलिया की तरह अल्प आबाद है न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि प्रादेशिक एवं क्षेत्रीय स्तरों पर तो इससे भी अधिक विषमता पाई जाती है। अलास्का में 5 वर्ग. कि.मी. से भी अधिक क्षेत्र में केवल एक मनुष्य रहता है। वस्तुत: अलास्का में 15 लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्र में तीन लाख से भी कम लोग रहते हैं जब कि केवल 17 वर्ग कि.मी. से भी कम क्षेत्रफलवाले हवाई द्वीप में लगभग साढ़े सात लाख लोग रहते हैं। संयुक्त राज्य के सतत महाद्वीपीय भाग को 1000 प.दे. पर विभजित करके जनसंख्या के वितरण को देखने पर स्पष्ट है कि उससे पश्चिम स्थित राज्यों में प्रति वर्ग कि.मी. घनत्व अतयंत कम है और यह उनके पर्वतीय, कम उपजाऊ, मरु या हिमाच्छादित अथवा कम ताप मान होने के कारण खेतीबाड़ी में कम प्रगति के कारण है, दूसरी ओर इसके पूर्व राष्ट्र के धुरी राज्य हैं जो खेतीबाड़ी तथा खनिजों और उद्योगधंधों तथा व्यापार की दृष्टि से न केवल देश में बल्कि विश्व में समुन्नत हैं। उत्तरपूर्वी औद्योगिक क्षेत्र, जिसमें बोस्टन से लेकर वार्शिटन राजधानी नगर तक के क्षेत्र भी सम्मिलित हैं, अत्यंत सघन आबाद और आर्थिक-औद्योगिक-व्यापारिक धुरी हैं। कुल जनसंख्या की दृष्टि से पश्चिम में प्रशांत-महासागर-तटीय राज्य कैलिफ़ोर्निया (1,97,15,490), पूर्व में अटलांटिक-महासागर-तटीय न्यूयार्क (1,79,79,712) एवं पेंसिलवानिया (1,16,69,575) और दक्षिण में मेक्सिको खाड़ी तटीय टेक्सास (1,09,89,123), तथा मध्य में बड़े झीलतटीय इलिनाय (1,09,77,908) और ओहायो (1,05,42,30) इत्यादि छह राज्य हैं जिनमें एक करोड़ से अधिक जनसंख्या रहती है और ये सभी खेतीबाड़ी एवं उद्योगधंधों तथा व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। 50 लाख से अधिक आबादीवाले राज्यों में मिशिगन (87,78,187), न्यूजर्सी (70,84,992), फ़्लोरिडा (66,71,162), मैसाचुसेट्स (56,30,224) और इंडियाना (51,43,422) के पाँच राज्य हैं। अत: उपर्युक्त दस राज्यों में संयुक्त राज्य की 55 प्रतिशत से अधिक आबादी बसी है। कैनाडा की भी 90 प्रतिशत जनसंख्या दक्षिणी भाग (अटलांटिक तट), सेंट लारेंस की घाटी, बड़ी झीलों के भूभाग तथा प्रेअरी प्रदेशों में स्थित है। ये ही भाग खेतीबाड़ी, उद्योगधंधों, व्यापार, यातायात के साधनों तथा अन्य प्राकृतिक सांस्कृतिक संसाधनों की दृष्टि से प्रमुख हैं। वस्तुत: ओटैरियो (76,11,000) एवं क्वेबेक (60,05,000) दो ही प्रांतों में, जहाँ कैनाडा का कुल चौथाई क्षेत्रफल हैं, 60 प्रतिशत से अधिक आबादी पाई जाती हैं जबकि दूसरी ओर यूकन क्षेत्र के 5 लाख से अधिक वर्ग कि.मी. क्षेत्र में केवल 16,000 लोग रहते हैं और उत्तर पश्चिम क्षेत्र में 33 लाख वर्ग कि.मी. में केवल 33,000 लोग रहते हैं। वस्तुत: कैनाडा की 75 प्रतिशत जनता नगरों में रहती है जो अधिकांशत : संयुक्त राज्य की सीमा से 150 कि.मी. के अंदर स्थित हैं। संयुक्त राज्य एवं कैनाडा के दोनों सतत घने आबाद क्षेत्रों के मिल जाने से उत्तरी अमरीका का मध्य-उत्तर-पूर्वी भाग संसार के चार सर्वाधिक घने आबाद बड़े प्रदेशों में से एक है। मैक्सिको पूर्णतया पठारी ऊँचा प्रदेश है और यहाँ जनसंख्या वितरण में अपेक्षाकृत कम विषमता पाई जाती है। अधिकतर आबादी यहाँ कर्क रेखा के दक्षिण स्थित सँकरे भाग तथा आनावाक नामक पठार पर पाई जाती है। कृषि, उद्योग एवं यातायात के विकास और प्रादेशिक संतुलन एवं सुरक्षा आदि के चलते अब सर्वत्र विषमता कम होती जाने की प्रवृत्ति दीख रही है।
आव्राजन
उत्तरी अमरीका में आस्ट्रेलिया की तरह ही जनसंख्या की वृद्धि में संसार के अन्य भागों की अपेक्षा बाहर से व्यक्तियों के आने का महत्वपूर्ण हाथ रहा है। 1941-50 के दशक में भी अकेले संयुक्त राज्य में दस लाख से अधिक (10,35,000) आव्राजक, जिनमें 7,22,000 महाद्वीपीय यूरोप से, 1,32,000 ब्रिटेन से तथा शेष विश्व के अन्य भागों से आए।
नगर
जनसंख्या तथा औद्योगिक व्यापरिक वृद्धि के साथ साथ महाद्वीप में नगरीकरण बढ़ रहा है। दस लाख या उससे अधिक जनसंख्यावाले (दसलक्षीय) महानगर अब महाद्वीप में 31 हो गए हैं जिनमें 29 संयुक्त राज्य में, एक कैनाडा में और एक मैक्सिको में हैं। संयुक्त राज्य में जनसंख्यानुसार न्यूयार्क (11,529 ह.), लॉस ऐंजेल्स (7,032 ह., कैलिफ़ोर्निया), शिकागो (6,979 ह. इलि.), फ़िलाडेल्फ़िया (4,818 ह.पेंसि.न्यूजर्सी), डिट्रायट (4,200 ह. मिशिगन), सैन फ्रैंसिस्को (3,110 ह. कैलिफ़ोर्निया), वार्शिगटन (2,861 ह. डिस्ट्रिक्ट कोलंबिया), बोस्टन (2,754 ह. मैचाचुसेट्स), पिट्सबर्ग (2,401ह.,पेंसि.), क्लोवलैंड (2,064 ह., क्लीवलैंड), सेंट लुई (2,363 ह., मिस्सौरी), बाल्टीमीर (2,071 ह., मेरीलैंड), मिनियापोलिस (1,814 ह.,मेनिसोटा), मिलवाउकी (1,404 ह.), ह्यूस्टन (1,485 ह., टेक्सास), बफ़ैली (1,349 ह., न्यूयार्क) एवं डालास (टेक्सास), सिनसिनाटी (ओहायो-केंटकी), कैंसास सिटी, सिएटल, ऐटलांटा मायामी, न्यूआर्लियन्स, सान डिएगो, डेनबर, इंडियानापोलिस, सान जोस, सन बर्नाडिनो रिबरसाइड एवं सेंट पीटर्सबर्ग हैं। इनके अतिरिक्त तीस नगरों की जनसंख्या पाँच लाख से 9,99,999 तक है। ये सभी बड़े नगर निगमित क्षेत्र है जिनमें प्रमुख नगर पर आश्रित नगरों की जनसंख्या भी संमिलित रहती है। वैयक्तिक यातायात और संदेशवाहन के साधनों में वृद्धि होने से प्रमुख नगरों और आश्रित नगरों में कार्यात्मक संबद्धता तेज़ीसे बढ़ रही है। इनमें से अधिकांश नगर उद्योगप्रधान, व्यापारिक तथा सेवाकेंद्र हैं। संयुक्त राज्य के दसलक्षीय नगरों में से पहले अधिकांश उत्तरपूर्वी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित थे लेकिन अब उनकी संख्या केवल 40 प्रतिशत रह गई है। अत : अन्य प्रदेशों--पश्चिम तटीय क्षेत्र (कैलिफ़ोर्निया, वाशिंगटन), दक्षिण तटीय क्षेत्र (टेक्सास-लूइज़ियाना-फ़्लोरिडा), तथा शेष अधिकांश मध्य एवं मध्यपश्चिमी कृषि क्षेत्र में विकसित हैं। अत: अब सुयक्त राज्य में भी क्षेत्रीय प्रादेशिक विकास के संतुलन की ओर, विशेषत: सुरक्षा की दृष्टि से, ध्यान दिया जा रहा है। वाशिंटन (डिस्ट्रिक्ट कोलंबिया) संयुक्त राज्य की राजधानी है जहाँ सभी प्रमुख संघीय (फेडरल) कार्यालय तथा विदेशी दूतावास आदि स्थित हैं। महागनरों में से पूर्वी तट पर उत्तर से दक्षिण बोस्टन, न्यूयार्क, कि लाडेल्फ़िया (डेलावेयर नदी) तथा बाल्टिमोर अटलांटिक महासागरतटीय बंदरगाह हैं। पश्चिमी (प्रशांत महासागरीय तट) पर सैन.फ्रैसिस्को तथा लॉस ऐंजेल्स एवं दक्षिणी तट (मेक्सिको की खाड़ी) पर ह्यस्टन आदि बड़े बंदरगाह एवं औद्योगिक व्यापारिक नगर हैं। आंतरिक बृहत् औद्योगिक तथा संग्राहक, वितरक नगरों में शिकागों (मिशिगन झील पर स्थित), पिट्सबर्ग, सेंट लुई, डिट्रायट, क्लीवलैंड, बफ़ैलो, कैंसास सिटी आदि प्रमुख केंद्र हैं। ह्यूस्टन अंतरिक्ष यान छोड़ने और अंतरिक्ष शोधकार्य (स्पेस रिसर्च) केंद्र हो गया है। कैनाडा में मांट्रियल (क्वेबेक प्रांत, 12,22,255) बृहत्तम नगर है और सेंट लारेंस नदी पर स्थित बंदरगाह एवं प्रमुख व्यापारिक एवं औद्योगिक केंद्र हैं। इसके अतिरिक्त वहाँ टाँरंटो (6,64,584), वैंकवर (4,10,375), एडमांटन (3,76,925) बड़े नगर हैं। मेक्सिको में मेक्सिको सिटी (70,05,855) उत्तरी अमरीका का तीसरा बृहत्तम नगर है।
निवासी तथा भाषाएँ
संयुक्त राज्य में 1970 के जनगणनुसार कुल जनसंख्या में से 1,77,612 ह. (87%) श्वेतवर्ण, 22,672 ह. (11%) हब्शी, 523 ह. (1960 में) रेडया अमरीकी इंडियन एवं 2,880 ह. अन्य प्रजाति और वर्णो के लोग थे। 1900 ई में कुल 76,014 ह. जनसंख्या में लगभग 88% श्वेतवर्ण, 10.2% हब्शी एवं शेष इंडियन एंव अन्य लोग थे। लगभग 55 लाख यहूदी हैं लेकिन आर्थिक, व्यापरिक रूप में उनका महत्व अपेक्षाकृत काफी अधिक है। कैनाडा की जनसंख्या में 40% से अधिक लोग ब्रिटिश मूल तथा 30% के लगभग फ्रेंच मूल के हैं। इधर कैनाडा में विश्व के विभिन्न भागों से आनेवाले आ्व्राजकों के लिए अधिक उदार नीति अपनाई गई है। क्वेबेक के ब्रिटेन द्वारा विजित होने के बावजूद वहाँ के निवासियों ने फ्रेंच भाषा, रहन सहन और संस्कृति को अक्षुण्ण रखा है। जर्मन, यूक्रेन, इटली आदि की भी संख्या अधिक है। कुल मिलाकर वहाँ 98% लोग श्वेतवर्ण के हैं। कैनाडा के पुराने आदिवासियों (रेड इंडियन तथा एस्किमों) की संख्या वहाँ कुल आबादी का केवल 1.2% (कुल 2,37,000 रेड इंडियन) है। रेड इंडियनों में से 74% वहाँ लगभग 60 लाख एकड़ भूमि पर फैले संरक्षित क्षेत्रों (रिजर्वेशन) में रहते हैं। एस्किमों लोग उत्तरपश्चिमी क्षेत्र, उत्तरी क्वेबेक तथा लैब्रेडोर में रहते हैं। मैक्सिको की प्रजातीय संरचना संयुक्त राज्य और कैनाडा से बिल्कुल भिन्न है-वहाँ कुल जनसंख्या में 70% मेस्तिजो अर्थात् रेड इंडियन तथा श्वेत जातियों के वर्णसंकर वंशज हैं और 28% रेड इंडियन हैं। भाषा की दृष्टि से भी संयुक्त राज्य और कैनाडा ऐंग्लो-अमरीकी अर्थात् अंग्रेजी भाषाभाषी हैं और केवल कैनाडा के क्वेबेक प्रांत में तथा कुछ कुछ न्यूब्रंज़विक, ओंटैरियो और मेनिटोबा में फ्रेंच भाषा एवं संस्कृति (लगभग 2% लोगों में ) पाई जाती है, जब कि मेक्सिको लैटिन अमरीकी देश है और वहाँ स्पेनी भाषा का बोलबाला है, यद्यपि कुछ लोग विभिन्न इंडियन भाषाएँ बोलते हैं।
कृषि
उत्तरी अमरीका की कृषि जलवायु, मिट्टी, धरातल और बाजार, नए आविष्कारों आदि तथा यातायात के साधनों द्वारा प्रभावित हुई है। इस महाद्वीप में कृषिक्षेत्र विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय सुविधाओं के कारण उसी प्रकार भू-भाग-विशेष में केंद्रित है जिस प्रकार औद्योगिक क्षेत्र। यहाँ की खेती व्यापारिक ढ़ग पर बड़े पैमाने पर होती है; अत: अधिकाधिक लाभ उठाने एवं प्रतिद्वंद्वितापूर्ण बाजारों में सुविधा प्राप्त करने के लिए जहाँ विशेष प्रकार की खेती उन विशेष क्षेत्रों में होती है जहाँ सभी सुविधाएँ सर्वाधिक उपलब्ध हैं। उदाहरणत: कैनाडा के प्रेअरीज़ और संयुक्त राज्य के मिसिसिपी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में गेहूँ, मध्यवर्ती भाग में मक्का तथा दक्षिणी भागों में कपास आदि फसलों के लिए श्रेष्ठतम जलवायु एवं धरातल तथा मिट्टी पाई जाती है, बाजार भी समीप है, मशीनों से कार्य हो सकता है, अत: ये क्षेत्र इन फसलों के लिए संसारप्रसिद्ध हैं। यद्यपि इन क्षेत्रों में अन्य फसलों की भी खेती होती है, तथापि संबंधित क्षेत्र की मुख्य फसल के नाम पर ही उन्हें संबोधित किया जाता है।
इस महाद्वीप ने संसार को तीन मुख्य फसलें प्रदान की है-मक्का, तंबाकू और आलू। प्रथम उपनिवेशियों को जंगल काटने, मिट्टी को उपजाऊ बनाने, पानी की सुविधा प्राप्त करने, कीड़ों तथा अन्य प्राकृतिक आपत्तियों का सामना करने में बड़ी कठिनाई झेलनी पड़ी थी। मजदूरों की कमी के कारण कृषि के नए नए औजारों का आविष्कार हुआ। फलत: आज जहाँ लगभग 10% लोग ही कृषि में लगे हैं। संयुक्त राज्य में तो यह प्रतिशत 5 से भी कम हो गया है जबकि कुल निर्यात का 20% से अधिक उस देश में कृषि-धंधों से प्राप्त होता है। महाद्वीप के मध्यवर्ती बड़े मैदान के उत्तरी भाग में ग्लेशियर द्वारा बिछाई हुई नरम एवं उपजाऊ मिट्टी, दक्षिणी भाग में नदियों द्वारा लाई हुई जलोढ मिट्टी तथा प्रेअरीज़ के घास के मैदान की काली मिट्टी अत्यंत उपजाऊ हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ खाद का अधिकाधिक प्रयोग होता है। खेतों के चक बहुत बड़े बड़े (कैनाडा में लगभग 100 हे से 400-500 हे. तक और संयुक्त राज्य में 80 हे. से 250 हे. तक) हैं, अत : मशीनें आसानी से प्रयुक्त होती हैं। देशी तथा विदेशी बाजार निश्चितप्राय एवं बड़े हैं, प्रत्युत अधिक दाम देकर भी वह फसल खरीदती है। फलत: कृषक को हानि को आशंका नहीं रहती। उत्पादन और बाजार के तादात्म्य तथा संतुलन को दृष्टि में रखते हुए संयुक्त राज्य में सरकार कई दर्जन फसलों के बोए गए क्षेत्रफल को भी नियंत्रित करती है लेकिन नियंत्रण द्वारा प्रदत्त क्षेत्रफल पर जितनी भी फसल कृषक उगा ले, उसे पहले से ही निश्चित दर पर सरकार पूरा का पूरा खरीदने को बाध्य रहती है। कृषक प्राय: इसीलिए आधुनिकतम संसाधनों एवं तकनीकों का उपयोग करके अपने खेतों में अधिक से अधिक उत्पादन बढ़ाने को उत्सुक रहता है। उसे मौसम की अनिश्चितता (बाढ़, सूखा, टिड्डी, रोग, व्याधि आदि) के विरुद्ध फसलों के बीमें का सुरक्षात्मक कवच भी प्राप्त है। इसलिए इस महाद्वीप में गेहूँ, मक्का, जई, कपास, मांस और दूध की बनी वस्तुओं का उत्पादन संसार में सर्वाधिक होता है पानी की असुविधावाले पश्चिमी क्षेत्रों में सिंचाई तथा अन्य कार्यो के लिए विशाल बहुमुखी योजनाएँ कार्यान्वित की गई हैं, जिससे कैलिफ़ोर्निया जैसा मरुसदृश भूभाग संयुक्त राज्य का उद्यान हो गया है। कैलिफ़ोर्निया के इन सिंचित क्षेत्रों, मिशिगन झील के पास के क्षेत्र एवं दक्षिणी तटीय भाग में संयुक्त राज्य के मुख्य फल उगाए जाते हैं।
खनिज साधन
यह महाद्वीप खनिज संपत्ति में बहुत समृद्ध है। शक्ति के प्रमुख खनिज-कोयला एवं खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस-की न केवल मात्रा विशाल है, कोटि भी उच्च है; साथ ही औद्योगिक विकास के लिए इनका वितरण भी अत्यंत सुविधापूर्ण है। विश्व में 1968 में कोयला तुल्यांकों में कुल 614 करोड़ मीट्रिक टन ऊर्जा का उत्पादन हुआ था जिसमें 205 करोड़ टन अकेले उत्तरी अमरीका में हुआ था। वस्तुत: 1968 में विश्व में कुल कोयला तथा लिग्नाइट उत्पादन (227 क. मीट्रिक टन) में उत्तरी अमरीका ने 51, खनिज तेल (254 क. मीट्रिक टन) में 69, प्राकृतिक गैस (119 क. मीट्रिक टन) में से 5 क.मी. टन (सभी कोयला तुल्यांकों में) उत्पादन किया। उत्पादन की तुलना में ऊर्जा का सर्वाधिक प्रयोग उत्तरी अमरीका में ही होता है। 1968 में विश्व का औसत प्रति ऊर्जा उपभोग 1,733 किलो. था किंतु उत्तरी अमरीका में उसकी मात्रा 10,155 किलो. (यूरोप, एशिया में केवल 170 किलो.) थी। वस्तुत: औद्योगिक, यातायात एवं घरेलू उपयोगों में ऊर्जा की अधिक खपत है। अत: विश्व ऊर्जा का कुल 33% से अधिक उत्पादन (1968) करने पर भी उत्तरी अमरीका में स्थित विश्व की कुल 8% जनता को (?) ऊर्जा के लिए अन्य देशों पर आश्रित रहना पड़ रहा है। 1968 में विश्व के कुल विद्युत् उत्पादन (4,192 अरब किलोवाट प्रति घंटा) में से 1,653 अरब किलोवाट प्रति घंटा का उत्पादन उत्तरी अमरीका में हुआ। इतने पर भी उत्पादन को और अधिक बढ़ाना आवश्यक होता जा रहा है। चीन के बाद कोयले का भांडार यहीं सर्वाधिक है। यह संसार के 80% से भी अधिक ऐंथ्रासाइट कोयले का उत्पादन करता है। यहाँ बिटूमिनस एवं लिग्नाइट कोयले के भी विशाल भांडार पाए जाते हैं। कैनाडा के विभिन्न क्षेत्रों-नोवा स्कोशिया, न्यू, ब्रंज़विक एवं पश्चिमी रॉकी क्षेत्रों में, और संयुक्त राज्य के पूर्वी पर्वतीय प्रदेश में (जहाँ अधिकांश उद्योग धंधे विकसित हैं) अधिकांश कोयला मिलता है। शेष कोयला मैदानी दक्षिणी तटीय भाग, पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश, अलास्का तथा मैक्सिको में मिलता है। संसार का 30% तेल भांडार यहाँ है। तेल कैनाडा के ओंटैरियो प्रांत, मेक्सिको के पूर्वी तट तथा संयुक्त राज्य में दक्षिणी और मध्यवर्ती भाग एवं कैलिफ़ोर्निया तथा अलास्का में प्राप्य है। प्राकृतिक गैस में भी संयुक्त राज्य तथा कैनाडा धनी हैं। इन खनिज शक्तियों के अतिरिक्त उत्तरी अमरीका जलविद्युत् शक्ति में भी समृद्धिशाली है और संसार के कुल विकसित जलविद्युत् का 40 प्रतिशत इसी महाद्वीप में हैं। यूरेनियम का भी यहाँ समुचित भांडार है।
इनके अतिरिक्त उत्तरी अमरीका संसार के लोहा, चाँदी, निकेल, गंधक, फ़ॉस्फ़ेट, ऐस्बेस्टस, ताँबा, सीसा एवं जस्ता का सबसे बड़ा उत्पादक एवं उपभोक्ता है। कैनाडा के कई क्षेत्रों के अतिरिक्त बड़ी झीलों के प्रदेश में, जहाँ झीलों द्वारा सर्वाधिक सस्ता यातायात साधन प्राप्य है, लौह-भांडार हैं जहाँ से महाद्वीप का 80% लोहा निकलता है। कैनेडियन शील्ड में संसार का 33% सोना, 85% निकेल एवं 50% कोबाल्ट के अतिरिक्त पिचब्लेंड (जिससे संसार का 40% रेडियम मिलता है), चाँदी, प्लैटिनम, ताँबा, तथा अन्य कई धातुएँ निकलती हैं। महाद्वीप में सोना कैनाडा के ओंटैरियो एवं क्वेबेक प्रांत और सुयंक्त राज्य के कैलिफ़ोर्निया, कोलोरैडो, नेवादा एवं अलास्का क्षेत्रों में मिलता है; ताँबा मैकेंजी की घाटी, क्वबेक प्रांत, संयुक्त राज्य के पश्चिमी राज्यों एवं सुपीरियर झील के दक्षिण में मिलता है; सीसा, जस्ता एवं चाँदी संयुक्त राज्य के पश्चिमी तथा मध्यदक्षिणी राज्यों और मेक्सिको में उपलब्ध है। संसार का 75% गंधक केवल लूइज़िआना एवं टेक्सास में निकाला जाता है। ऐल्युमिनियम (संयुक्त राज्य में संसार का केवल 3%), मैंगनीज़ तथा मॉलिब्डेनम को छोड़कर अन्य धातु तथा खनिज, जैसे हीरा एवं अन्य मणियाँ, प्लैटिनम, ऐंटिमनी, पारा आदि की इस महाद्वीप में केवल सीमित पूर्ति हो पाती है और कुछ को पूर्णतया आयात करना पड़ता है। प्राप्य खनिज साधनों का महाद्वीप ने सर्वाधिक विकास एवं उपयोग किया है।
उद्योग धंधे तथा औद्योगिक क्षेत्र
उत्तरी अमरीका कृषि, जंगल काटने एवं लकड़ी पैदा करने, मछली मारने, खनिज खोदने के अतिरिक्त उद्योग धंधों के लिए भी सुप्रसिद्ध है। उपनिवेशियों ने यहाँ पूर्वी तट पर आकर छोटे छोटे व्यवसाय करना आरंभ किया और शनै: शनै: सेंट लारेंस की घाटी, बड़ी झीलों, के प्रदेश, एवं मध्यवर्ती बड़े मैदानों में व्यवसायों की उन्नति हुई। संयुक्त राज्य एवं कैनाडा के औद्योगिक क्षेत्र एक दूसरे से मिले हुए हैं। इनमें बड़ी झीलों, रेलों, सड़कों एवं समुद्रों द्वारा सस्ते यातायात का साधन, पास ही में प्राप्य लोहा एवं कोयला, घनी आबादी, कृषि संबंधी एवं वानस्पतिक कच्चे मालों की सुविधा, बड़े स्थानीय बाजार तथा बड़े बंदरगाहों द्वारा जुड़ा हुआ अंतरराष्ट्रीय बाजार, स्थायी सरकारी सुरक्षा, प्रलयंकर महायुद्धों से सुरक्षा श्रमिक एवं अधिकाधिक पूँजी की सुविधा और उद्योगों के पूर्वारंभण के संवेग आदि के कारण संसार के बड़े से बड़े उत्पादक तथा औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो गए हैं। कैनाडा के (1) समुद्रप्रांतीय क्षेत्र, (2) क्वेबेक-ओंटैरियों-मांट्रियल क्षेत्र, संयुक्त राज्य के (3) ईरीक्लीवलैंड-बफ़ैलो क्षेत्र, (4) पिट्सबर्ग-यंग्स्टाउन क्षेत्र, (5) न्यू इंग्लैंड स्टेट्स क्षेत्र तथा न्यूयार्क-पेन्सिलवेनिया के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र जो विशेष उद्योगों में संलग्न हैं, (6) मध्यवर्ती अटलांटिक तटीय क्षेत्र, (7) दक्षिण का वर्जीनिया-ऐलाबैमा क्षेत्र, (8) मिशिगन क्षेत्र (शिकागोगैरी) तथा (9) सिनसिनाटी-इंडियानापोलिस क्षेत्र उत्तर अमरीका के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनमें लोहे एवं इस्पात, धातु एवं मशीन, इंजीनियरिंग, मोटर तथा साइकिल, जहाज, सूती, ऊनी तथा अन्य कपड़े, खाद्य पदार्थ, कागज, फर्नीचर आदि के तथा विभिन्न अन्य सैंकड़ों उद्योग विकसित हैं। ये औद्योगिक क्षेत्र विशेष उद्योगों के लिए लब्धप्रतिष्ठ हैं; उदाहरणत: डिट्रायट मोटरकारों के लिए, पिट्सबर्ग इस्पात के लिए, न्यू इंग्लैंड राज्य विशेष प्रकार के कपड़ों के लिए, दक्षिणी ऐलाबैमा क्षेत्र लोहा, इस्पात एवं मोटे तथा मध्यम श्रेणी के कपड़ों के लिए तथा सेंट लारेंस नदी की घाटी कागज के व्यवसाय के लिए। इनके अतिरिक्त ऊँचे मैदानी क्षेत्रों में से डेनवर औद्योगिक क्षेत्र, पश्चिमी तट पर लॉस ऐंजिल्स क्षेत्र, एवं सैनफ्रैसिस्को-सिएटल-पोर्टलैंड क्षेत्र में उद्योग विकसित हो रहे हैं और ये पश्चिम की माँगों की पूर्ति कर रहे हैं। डेनवर में लोहे, इस्पात एवं अन्य धातुओं के कार्य, पश्चिमतटीय क्षेत्रों में फर्नीचर, कागज, मछली के व्यवसाय तथा लॉस ऐंजिल्स में वायुयान तैयार करने, फिल्म बनाने एवं फलों संबंधी व्यवसाय पनप रहे हैं। कैनाडा के वैंकवर क्षेत्र में भी इसी प्रकार के उद्योग विकसित हो रहे हैं। मेक्सिको में टैंपिको एवं वेराक्रूज़ नगरों के निकट सूती कपड़ों एवं डुरेंगो, टोरेन और मोंटरे में लोहे एवं इस्पात के उद्योग विकसित हैं।
यातायात के साधन
उत्तरी अमरीका में यातायात के आधुनिक साधन बहुत सुविकसित और समृद्ध हैं। महाद्वीप के यातायात एवं उसके साधन तीन प्रमुख बातों द्वारा प्रभावित हुए हैं। प्रथम, इस महाद्वीप में यूरोपीय जनसंख्या अटलांटिक महासागर के तट पर धीरे-धीरे बढ़ती गई और जैसे जैसे स्थानाभाव हुआ, महाद्वीप के भीतर पश्चिम की ओर विकसित होती गई। द्वितीय, लोगों को प्राकृतिक अड़चनों का सामना करना पड़ा, परंतु पूर्वी पर्वतीय प्रदेश में कुछ नदियों की घाटियाँ ऐसी थीं जिनमें होकर महाद्वीप के भीतरी भागों में प्रवेश करना सरल था। अत: अटलांटिक समुद्रतट से सेंट लारेंस नदी की घाटी, हडसन-मोहाक नदी की घाटी सस्कवेहाना एवं पोटोमैक नदियों की घाटियाँ-तथा मैक्सिको की खाड़ी की दिशा से मिसिसिपी-मिसौरी की घाटियों से होकर जनसंख्या का प्रवेश प्रारंभ हुआ वर्तमान तट से आरंभ होनेवाली रेलें तथा पक्की सड़कें देश के भीतरी भागों में इन्हीं मार्गो से होकर जाती हैं और पुन: पश्चिमी पर्वतीय प्रदेश के नीचे दर्रों को पार करती हुई अटलांटिक तट तथा प्रशांत महासागरीय तट को एक दूसरे से मिलाती हैं। तृतीय, जहाँ जहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक है, वहाँ वहाँ आवागमन के साधन अधिक विकसित हैं। कैनाडा के उत्तरी क्षेत्र, अलास्का के छोटे-छोटे एकाकी नगर एवं पश्चिमी संयुक्त राज्य में बसी बस्तियाँ आधुनिक वायुयान सेवाओं से लाभ उठाती हैं। कृषि, खनिज एवं औद्योगिक उन्नतिवाले क्षेत्रों में रेलों, सड़कों तथा हवाई जहाजों के मार्गों का घना जाल बिछा हुआ है। कैनाडा का दक्षिण पूर्वी घना बसा क्षेत्र तथा संयुक्त राज्य का उद्योगप्रधान उत्तर पूर्वी क्षेत्र संसार के सर्वाधिक विकसित क्षेत्र हैं जहाँ यातायात के साधन सर्वाधिक विकसित हैं।
उत्तरी अमरीका में न केवल समुद्री मार्गों द्वारा, प्रत्युत सेंट लारेंस तथा पाँच बड़ी झीलों एवं मिसिसिपी-मिसौरी द्वारा यातायात होता है। बड़ी झीलें नहरों द्वारा जोड़ दी गई हैं जिनमें हजारों जहाज चला करते हैं। संसार की 29% रेलें, 35% समुद्री जहाज, 48% हवाई जहाज तथा 70% मोटरें केवल संयुक्त राज्य (अमरीका) में हैं। पैनामा नहर (1907) ने अमरीका के संबंध सुदूर पूर्व एवं दक्षिणी अमरीका से बढ़ा दिए हैं।
कैनाडा का ट्रैंस कांटिनेंटल रेलवे, कैनेडियन पैसिफिक रेलवे, कैनेडियन नैशनल रेलवे तथा संयुक्त राज्य की उत्तरी पैसिफिक रेलवे, यूनियन पैसिफिक रेलवे, सेंट्रल पैसिफिक रेलवे तथा दक्षिणी पैसिफिक रेलवे संसार की सर्वाधिक लंबी रेलों में से हैं जो एक छोर से दूसरे छोर को मिलाती हैं। इसी प्रकार सड़कों का भी जाल सा बिछा हुआ है। उत्तरी अमरीका का कोई भी क्षेत्र, जहाँ मनुष्य के लिए कुछ भी आर्थिक साधन प्राप्य हैं, हवाई मार्गों से अछूता नहीं हैं। अलास्का तथा कैनाडा के उत्तरी भाग में, जो बहुत ही ठंढे हैं, वायुयान की अनिवार्य सेवाएँ हैं। आज राजनीतिक परिस्थितिवश ध्रुव प्रदेशों में भी हवाई मार्ग स्थापित हो गए हैं।
व्यापार
पूर्वोक्त साधनों के विकसित होने के कारण महाद्वीप में बड़े बड़े संग्रहण तथा वितरण केंद्र स्थापित हो गए हैं जो समुद्रतट पर स्थित बंदरगाहों द्वारा सुविधापूर्वक आयात निर्यात करते हैं। पूर्वी तट पर बोस्टन, न्यूयार्क, फ़िलाडेल्फ़िया एवं बाल्टिमोर, मैक्सिको की खाड़ी के तट पर न्यू औरलियंस एवं गैलवेस्टन, पश्चिमी तट पर लॉस ऐंजिल्स, सैन, फ्रैंसिस्को, वैंकवर आदि बड़ी झीलों पर फोर्ट विलियम, पोर्ट आर्थर, शिकागो, क्वीललैंड, ईरी, बफ़ैलों तथा बड़ी झीलों एवं सेंट लारेंस की नहरें जुड़ जाने से क्वेबेक, ओटैरियो आदि बड़े बंदरगाह बन गए हैं।
उत्तरी अमरीका अपने अपार खनिज तथा कृषि संबंधी एवं औद्योगिक साधनों के विकसित होने के कारण व्यापार में बहुत बढ़ा बढ़ा चढ़ा है। यह महाद्वीप उष्ण, शीतोष्ण तथा शीत, तीनों कटिबंधों में फैला हुआ है। यहाँ विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु उपलब्ध हैं। अत: यहाँ अनेक प्रकार की उपजें होती हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ के लोग स्थानीय, देशी तथा विदेशी बाजारों के लिए व्यापारिक फसलें उगाते हैं। विभिन्न कृषि एवं वानस्पातिक क्षेत्रों में लोग वस्तु विशेष के उत्पादन में विशेष योग्यता प्राप्त कर लेते हैं--जैसे, प्रेअरीज़ मैदान में गेहूँ में, मक्का क्षेत्र में मक्का में, गव्यशाला क्षेत्र (डेयरी बेल्ट) में दूध के बने सामान में, कपास क्षेत्र में कपास में तथा कैनाडा के उत्तरी कोणधारी बनों में लकड़ी तथा उससे बने सामानों में। अपनी केवल एक प्रकार की वस्तुओं को बिक्री करने के कारण उन्हें अपनी आवश्यकता को हजारों वस्तुएँ खरीदनी पड़ती हैं। अत: व्यापार की मात्रा इस महाद्वीप में सर्वाधिक है। इस महाद्वीप के लोगों ने न केवल वानस्पतिक एवं कृषीय साधनों का, प्रत्युत सामुद्रिक (मछली आदि), खनिज तथा औद्योगिक सभी साधनों का, अधिकाधिक विकास किया है। फलत: यहाँ का निवासी संसार का सबसे बड़ा विक्रेता, सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं सबसे धनी खरीदार है।
संयुक्त राज्य के निवासियों की जीवनस्तर संसार में उच्चतम है; यहाँ का अंतर्देशीय व्यापार इस देश के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से दस गुना और समग्र संसार के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से तीन गुना बड़ा है। 1890 ई. तक यह देश अधिकांशत: कच्चे माल विदेशों को भेजता था, परंतु अब दिनानुदिन पक्के माल का निर्यात बढ़ता जा रहा है। इस देश ने दो महायुद्धों में अपनी महाद्धीपीय शांति का लाभ उठाकर बहुत से बाजारों पर अपना अधिकार जमा लिया है। 1900 ई. में विदेशी व्यापार 2,00,00,00,000 डालर का हुआ और 1950 में यह व्यापार बढ़कर 10,27,50,00,000 डालर का हुआ। निर्यात की वस्तुओं में महत्व के क्रमानुसार मशींने, कपास, सूती, कपड़े, गेहूँ, आटा, मोटर कार आदि, लोहा, इस्पात, इस्पात के सामान, पेट्रेलियम तथा उससे संबंधित अन्य सामान, तंबाकू, मांस आदि हैं। आयात में कॉफी, ऊन तथा ऊनी कपड़े, धातुएँ, कागज, रबर, चीनी, चाय, पेट्रोलियम, ऊर्णाजिन (फ़र), फल, खनिज, कच्चा लोहा, रत्न आदि प्रमुख हैं। कैनाडा इसका मुख्य स्रोत है।
कम आबादी रहते हुए भी कैनाडा संसार के देशों में प्रसिद्ध व्यापारिक देश है। निर्यात में वानस्पतिक वस्तुओं-कई प्रकार के कागज, लकड़ी की लुग्दी आदि-में प्रथम तथा कृषीय उपज-गेहूँ तथा आटे-में इसका द्वितीय स्थान है। ऐल्युमिनियम, निकेल, मछली तथा तत्संबंधी वस्तुओं, ऊर्णजिन (फ़र), ताँबा एवं अन्य धातुओं तथा कुछ पक्के माल, मोटरकार, बिजली के सामान आदि का निर्यात होता है। आयात वस्तुओं में पक्के मालों, मशीनों, आदि का प्रमुख स्थान है तथा पेट्रोलियम, कोयला, कच्चा लोहा, इस्पात, सूती कपड़े, पेय वस्तुएँ (कॉफी,चाय), चीनी, रबर आदि का भी आयात होता है। संयुक्त राज्य तथा ब्रिटेन देश इसके सबसे बड़े विक्रेता एवं खरीदार हैं।
मैक्सिको छोटा सा उष्ण कटिबंधीय और अपेक्षाकृत अविकसित देश है; अत: यहाँ व्यापार भी अधिक नहीं है। इसके निर्यात में कच्चे माल-चाँदी, ताँबा, मिट्टी का तेल आदि-हैं तथा आयात में खाद्यान्न एवं दक्षिण अमरीका के देशों से उत्तरी अमरीका का व्यापार बढ़ रहा है।
उत्तरी अमरीका में संयुक्त राज्य तथा कैनाडा अपेक्षाकृत नए बसे भूभाग हैं, परंतु मेंक्सिको की सभ्यता मिस्र देश की तरह प्राचीन है। लगभग 3,000 वर्ष पहले मेक्सिको घाटी में उच्च सभ्यता के लोग रहते थे। जो पत्थर, हड्डी, मिट्टी आदि की निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करते थे। उसके बाद की 'मय' सभ्यता अत्यंत उच्च मानी जाती है। मय जाति के लोगों को कृषि तथा सिंचाई के अतिरिक्त ज्योतिष, गणित, शिल्प, स्थापत्य आदि कलाओं का भी प्रचुर ज्ञान था। तदनंतर मध्यकालीन नहुआ, टॉल्टेक, ऐज्टेक आदि लोगों की सभ्यता वहाँ प्रचलित थी। 1925 ई में मेक्सिको के फोल्सम नगर के पास पुरातात्विक 'फोल्सम कंप्लेक्स' की उपलब्धि से प्रचीनतम मानव का पता चलता है। दक्षिण पश्चिमी संयुक्त राज्य में सात स्तरोंवाली प्यूब्लो संस्कृति के अवशेष भी उपलब्ध हैं।
खोजों से पता चलता है कि अलास्का-साइबेरिया के मध्य स्थित बेरिंग जलडमरूमध्य के द्वारा साइबेरिया से मानव का अमरीका में आगमन हुआ। बर्फीला तथा बीहड़ मार्ग होने पर भी सर्वाधिक सुगम रास्ता यही था। बेरिंग जलडमरूमध्य के दोनों ओर के निवासी शरीररचना, रंग, रूप, भाषा तथा रीति रिवाजों में भी पर्याप्त मिलते जुलते हैं। अमरीका के इंडियन जाति के लोग एशिया की मंगोल जातियों से , विशेषकर उत्तर-पूर्वी साइबेरिया के निवासियों से, सर्वथा मिलते जुलते हैं। चौंड़ा, चेहरा, उभरी हुई गाल को हड्डियाँ तथा भूरा रंग उनकी विशेषता है। एस्किमो लोग भी इन्हीं की एक उपजाति हैं। लंबा सिर, चौड़ा चेहरा, पतली नाक, तथा मंगोल आँखें, इनकी विशेषताएँ है। इंडियन लोग जैसे जैसे दक्षिण की ओर बढ़ते गए, उनका रंग काला तथा लंबाई कम होती गई।
यद्यपि 8वीं एवं 12वीं सदियों के बीच यूरोप के कुछ निवासी उत्तरी अमरीका में पहुँच गए थे, तथापि औपनिवेशिक काल 1492 ई. के बाद ही प्रारंभ हुआ। मेक्सिको, दक्षिण पश्चिमी संयुक्त राज्य तथा मध्य अमरीका में स्पेनवालों ने सेंट लारेंस की घाटी तथा मिसिसिपी के मुहाने पर फ्रेंच लोगों ने और मध्यवर्ती अटलांटिक तटों पर अंग्रेजों ने अधिकार जमाया। इटालियन, जर्मन, डच आदि यूरोपियनों ने भी अपनी अपनी बस्तियाँ स्थापित कीं। महाद्वीप में इनके प्रवेश के साथ-साथ अधिक मारे जाने के कारण रेड इंडियनों का ्ह्रास होता गया। यूरोपियनों ने इसी औपनिवेशिक काल में दास के रूप में हब्शियों को लाकर बसाया। एशिया निवासी सबसे बाद में इस महाद्वीप में पहुँचे हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 75 |