चेतन आनंद
चेतन आनंद | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- चेतन आनंद (बहुविकल्पी) |
चेतन आनंद
| |
पूरा नाम | चेतन आनंद |
जन्म | 8 जुलाई, 1980 |
जन्म भूमि | विजयवाडा, आंध्र प्रदेश |
अभिभावक | पिता- हर्षवर्धन |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | बैडमिंटन |
पुरस्कार-उपाधि | अर्जुन पुरस्कार, 2006 |
प्रसिद्धि | भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | चेतन आनंद ग्रां प्री टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2008 में बिटबर्गर ओपन अपने नाम किया था। चेतन ने इसके बाद अपने कॅरियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल की थी। |
अद्यतन | 13:01, 14 सितम्बर 2021 (IST)
|
चेतन आनंद (अंग्रेज़ी: Chetan Anand, जन्म- 8 जुलाई, 1980) भारत के जाने-माने बैडमिंटन खिलाडी हैं। तीन बार कॉमनवेल्थ मेडल जीत चुके और 4 बार नेशनल चैंपियन बन चुके चेतन आनंद भारतीय बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। साल 2006 में चेतन आनंद को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
परिचय
8 जुलाई, 1980 को विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में जन्मे चेतन आनंद के पिता हर्षवर्धन ने उन्हें इस खेल से अवगत कराया था और उसके बाद इतिहास ने अपने आप में ही गवाही दी है। बचपन में चेतन आनंद को बैडमिंटन और क्रिकेट दोनों में दिलचस्पी थी और वह ऑल-राउंडर भी बनना चाहते थे। एक समय पर बैडमिंटन कोच भास्कर बाबू ने इस 9 साल के खिलाड़ी को एक प्रतियोगिता में खेलते हुए देखा और उन्होंने इनका कौशल पहचानते हुए बढ़ावा दिया।[1]
कॅरियर
शुरुआती दौर में चेतन आनंद के लिए डबल्स में सफलता आने लग गई। अंडर-12 इवेंट को इस युवा खिलाड़ी ने अपने नाम भी किया था और यह कीर्तिमान डबल्स में दिखाते हुए ख़ुद को स्थापित किया। इतना ही नहीं बल्कि 10 साल की उम्र में वह जूनियर नेशनल में रनर अप भी रहे थे। कम उम्र में ही अच्छे तज़ुर्बे के साथ चेतन ने आगे चल कर अंडर-15 नेशनल डबल्स खिताब भी अपने नाम किया लेकिन सिंगल में अभी भी अव्वल आना बाकी था। आखिरकार 1998 में यह सूखा भी हटा और चेतन ने नेशनल जूनियर सिंगल्स टाइटल जीत कर अपने कॅरियर में चार चांद लगा दिए।
चेतन आनंद ने खिताबी जीत के बाद कहा “उस खिताब ने मुझे काफी आत्मविश्वास दिया और उस साल के आबाद में सिंगल्स पर ज़्यादा फोकस करने लग गया।” इस जीत से वह नेशनल हीरो बन चुके थे और इसके बाद वह हुआ जिसकी कल्पना करना भी एक खिलाड़ी के लिए मुश्किल है। इसके बाद चेतन को दिग्गज प्रकाश पादुकोण ने ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित किया जो किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकता था। इस अवसर को चेतन आनंद ने स्वीकारा और मलेशिया में वर्ल्ड अकादमी में ट्रेनिंग में जुट गए। मेहनत और अवसर की वजह से चेतन ने एशियन सैटेलाइट टूर्नामेंट में सिंगल्स खिताब पर अपने नाम की मुहर लगा दी और अपना नाम बैडमिंटन की दुनिया में हमेशा के लिए अमर कर दिया।
शटलर चेतन आनंद ने आने वाले समय में अपने खेल पर और ज़्यादा काम किया और अपने स्ट्रोक्स को भी और ज़्यादा मांझा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अपना नाम बनाते जा रहे थे लेकिन खिताब जीतने से वंचित थे। साल 2002, 2003 में वह रनर अप रहे और ट्रॉफी जीतने का सपना अभी अधूरा ही था। इस दौरान उन्हें ओलंपिक चैंपियन अभिन श्याम गुप्ता ने मात दी थी। आखिरकार 2004 में चेतन आनंद नेशनल बैडमिंटन चैंपियन बन ही गए और ऐसा करने के लिए उन्होंने अरविंद भट्ट को हराया था। इसके बाद लय को अपने हाथ में रखते हुए इस भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने टूलूज़ ओपन को अपने नाम करते हुए पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता। उसके बाद इनका खेल निखरता गया और इन्होंने आयरिश और स्कॉटिश ओपन भी जीता। भारतीय शटलर ने इसके बाद जर्मन लीग, 2005 में हिस्सा लिया और इस वजह से उनके डिफ़ेंस में भी मजबूती देखी गई।[1]
अर्जुन पुरस्कार
अभी कॅरियर की सबसे बड़ी जीत आने वाली थी और वह 2006 कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान आई। चेतन आनंद गेम के सेमीफाइनल तक पहुंचे थे और वहां उन्हें पूर्व चैंपियन वोंग चूंग हन ने मात दी थी। इसके बाद चेतन ने खुद को संभालते हुए आमिर घफ्फर को प्लेऑफ में पस्त किया और ब्रॉन्ज़ मेडल पर अपना नाम लिख दिया। इतना ही नहीं भारतीय बैडमिंटन टीम जो कि ज्वाला गुट्टा और साइना नेहवाल जैसे बड़े नामों से भरी थी, उस टीम को भी इस खिलाड़ी ने मिक्स्ड इवेंट में ब्रॉन्ज़ मेडल जितवाने में मदद की। 2006 में चेतन आनंद को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।
अब सफलता चेतन को मिलने लगी थी और इसे तब देखा गया, जब वह तीन बार (2007, 2008 और 2010) नेशनल चैंपियन बनें। इसके बाद कुछ ऐसा हुआ जो आज तक भारतीय बैडमिंटन में कभी नहीं हुआ और चेतन आनंद ग्रां प्री टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बने थे। ग़ौरतलब है कि उन्होंने 2008 बिटबर्गर ओपन अपने नाम किया था। चेतन ने इसके बाद अपने कॅरियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल की और वह 2009, 2010 में रैंक 10 पर विराजमान हो गए थे। ऐसे ही उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स का तीसरा पदक भी अपने नाम किया जो कि मिक्स्ड इवेंट में आया था।
अकादमी की स्थापना
हर खिलाड़ी की तरह ही चेतन आनंद के जीवन में भी चोट ने अहम भूमिका निभाई। इंजरी और चोट ने साल 2010 के बाद चेतन के प्रदर्शन पर भी प्रभाव डाला। इसके बाद भी चेतन हमेशा खेल से जुड़े रहना चाहते थे और उन्होंने 2014 में ‘चेतन आनंद बैडमिंटन अकादमी’ की स्थापना भी की। यह अकादमी हैदराबाद शहर में स्थित है। इतना ही नहीं चेतन आनंद ने भारतीय बैडमिंटन के कोच की भूमिका भी निभाई है और जूनियर खिलाड़ियों को उज्जवल भविष्य के लिए तैयार किया।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 बायोग्राफी चेतन आनंद (हिंदी) olympics.com। अभिगमन तिथि: 14 सितम्बर, 2021।