साक्षी मलिक
साक्षी मलिक
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पूरा नाम | साक्षी मलिक |
जन्म | 3 सितम्बर, 1992 |
जन्म भूमि | रोहतक, हरियाणा |
अभिभावक | पिता- सुखबीर मलिक माता- सुदेश मलिक |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | कुश्ती |
पुरस्कार-उपाधि | कांस्य पदक (ओलंपिक 2016) |
प्रसिद्धि | पहलवान |
नागरिकता | भारतीय |
ऊँचाई | 5 फुट 4 इंच (162 से.मी.) |
वज़न | 58 कि.ग्रा. |
ओलंपिक गेम्स | रियो डि जेनेरियो, 2016 - 58 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य |
कॉमनवेल्थ गेम्स | बर्मिंघम, 2022 - 62 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण ग्लास्गो, 2014 - 58 कि.ग्रा. वर्ग - रजत |
ऐशियन चैम्पियनशिप | दोहा, 2015 - 60 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य नई दिल्ली, 2017 - 60 कि.ग्रा. वर्ग - रजत |
कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप | जोहांसबर्ग, 2013 - 63 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य जोहांसबर्ग, 2017 - 62 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप | बुडापेस्ट, 2010 - 59 कि.ग्रा. वर्ग - कांस्य |
एशियन जूनियर चैम्पियनशिप | मनीला, 2019 - 59 कि.ग्रा. वर्ग - रजत अमेठी, 2012 - 63 कि.ग्रा. वर्ग - स्वर्ण |
अन्य जानकारी | साक्षी मलिक ने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। |
अद्यतन | 13:01, 6 अगस्त 2022 (IST)
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साक्षी मलिक (अंग्रेज़ी: Sakshi Malik, जन्म- 3 सितम्बर, 1992, रोहतक, हरियाणा) भारतीय महिला पहलवान हैं। उन्हें भारत के लिए ओलम्पिक पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनने का गौरव प्राप्त है। साक्षी मलिक ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में महिला कुश्ती का काँस्य पदक जीता था। साक्षी ने महिलाओं की फ़्रीस्टाइल कुश्ती के 58 कि.ग्रा. भार वर्ग में यह पदक जीता। इससे पहले उन्होंने ग्लासगो में आयोजित 2014 के राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीता था। 2014 की विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। हाल ही में उन्होंने बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में स्वर्ण पदक जीता है। फाइनल मुकाबले में साक्षी ने कनाडा की एनागोंजालेज को बाय फॉल के जरिए 4-4 से मात दी।
परिचय
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितम्बर, 1992 को हरियाणा राज्य के रोहतक में 'मोखरा' नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुखबीर मलिक है, जो 'दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन' (डीटीसी), दिल्ली में बतौर बस कंडक्टर की नौकरी करते हैं जबकि उनकी माँ सुदेश मलिक रोहतक में आंगनबाड़ी सुपरवाइजर हैं। साक्षी ने महज 12 साल की उम्र से ही कुश्ती की शुरुआत कर दी थी। उनकी माँ नहीं चाहती थीं कि बेटी पहलवान बने। उनका मानना था कि पहलवानों में बुद्धि कम होती है। साक्षी के परिवार में उनके दादा भी पहलवान थे। वह उन्हीं के नक्शे कदम पर हैं।[1]
अभ्यास
साक्षी मलिक प्रतिदिन 6 से 7 घंटे अभ्यास करती हैं। ओलम्पिक की तैयारी के लिए वे पिछले एक साल से रोहतक के 'साई' (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) होस्टल में रह रही थीं। उन्हें वज़न नियंत्रित करने के लिए बेहद कड़ा डाइट चार्ट फॉलो करना पड़ता था। कड़े अभ्यास के बावजूद वे पढ़ाई में अच्छे मार्क्स ला चुकी हैं। कुश्ती की वजह से उनके कमरे में स्वर्ण, रजत व काँस्य पदकों का ढेर लगा है।
रियो ओलम्पिक-2016 में काँस्य विजेता
ब्राजील में आयोजित रियो ओलम्पिक-2016 की महिला कुश्ती में साक्षी मलिक ने किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा को हराकर भारत के लिए काँस्य पदक जीता। मैच के पहले पीरियड में वे किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा से 0-5 से पिछड़ गई थीं। दूसरे पीरियड में शुरुआत में पिछड़ने के बाद साक्षी ने जबर्दस्त वापसी की और 8-5 से दूसरा सेट जीतकर कांस्य पदक जीतने में कामयाब हुईं और भारत की झोली में पदक डाला।
- पहला पीरियड
मैच के पहले पीरियड में किर्गिस्तान की खिलाड़ी ने शुरू में ही साक्षी के पैर को पकड़कर खींचा और इस तरह दो अंक हासिल किए। उसके चंद सेकंड बाद एक और अंक हासिल किया। उसने वैसे ही दूसरे मूव में दो अन्य अंक हासिल किए। इसके चलते साक्षी पहले पीरियड में 0-5 से पिछड़ गई थीं।
- दूसरा पीरियड
इस पीरियड का पहला मिनट बिना स्कोर के ही गुजर गया। दूसरे मिनट में साक्षी ने विरोधी को मैट पर गिराकर दो अंक हासिल किए। चंद सेकंड बाद वैसे ही दूसरे मूव में दो अन्य अंक हासिल कर मुकाबले को 4-5 तक पहुंचाया। जब साक्षी महज एक अंक पीछे रह गईं तो किर्गिस्तान की खिलाड़ी थोड़ा बेचैन दिखी और मौके का फायदा उठाकर तत्काल एक और अंक हासिल कर साक्षी ने स्कोर 5-5 की बराबरी पर पहुंचाया। उसके बाद तीसरे मिनट के अंतिम क्षण में एक और शानदार मूव के जरिये साक्षी ने दो अंक बनाए और मैच समाप्त होने पर 7-5 से जीत हासिल की, लेकिन किर्गिस्तान के कोचिंग स्टाफ ने उस अंतिम मूव पर आपत्ति जताते हुए समीक्षा की अपील की। जजों ने रीप्ले देखने के बाद फैसला साक्षी के हक में दिया और विरोधी की विफल समीक्षा के चलते एक अतिरिक्त अंक साक्षी को दिया गया। नतीजतन साक्षी के पक्ष में अंतिम स्कोर 8-5 रहा।[2]
कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022
साक्षी मलिक ने बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 में स्वर्ण पदक जीता है। महिलाओं के 62 किलो भारवर्ग के फाइनल मुकाबले में साक्षी मलिक ने कनाडा की एनागोंजालेज को बाय फॉल के जरिए 4-4 से मात दी। पहले राउंड में साक्षी के खिलाफ एनागोंजालेज ने दो बार टेक डाउन के जरिए दो-दो प्वाइंट हासिल करते 4-0 की बढ़त ले ली थी। ऐसे में लग रहा था कि मुकाबला साक्षी मलिक के हाथ से निकल सकता है; लेकिन साक्षी ने दूसरे हाफ की शुरुआत में ही और टेक डाउन से दो अंक कर लिए और फिर बेहतरीन दांव लगाते हुए कनाडाई खिलाड़ी को पिन कर गोल्ड मेडल जीत लिया। गोल्ड जीतने के बाद साक्षी मलिक अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाईं और पोडियो पर मेडल सेरमनी के दौरान उनकी आंखें नम थीं। यह साक्षी मलिक का राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक है। इससे पहले वह राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं। साक्षी मलिक ने क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड की केल्सी बार्न्स और सेमीफाइनल में कैमरून की एटेन नोगोले 10-0 से शिकस्त देकर फाइनल का टिकट हासिल किया था।
उपलब्धियाँ
- स्वर्ण पदक - 2011 - जूनियर नेशनल, जम्मू
- काँस्य पदक - 2011 - जूनियर एशियन, जकार्ता
- रजत पदक -2011 - सीनियर नेशनल, गोंडा
- स्वर्ण पदक - 2011 - ऑल इंडिया विवि, सिरसा
- स्वर्ण पदक - 2012 - जूनियर नेशनल, देवघर
- स्वर्ण पदक - 2012 - जूनियर एशियन, कजाकिस्तान
- काँस्य पदक - 2012 - सीनियर नेशनल, गोंडा
- स्वर्ण पदक - 2012 - ऑल इंडिया विवि अमरावती
- स्वर्ण पदक - 2013 - सीनियर नेशनल, कोलकाता
- स्वर्ण पदक - 2014 - ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी, मेरठ
- कांस्य पदक - 2016 - रियो ओलम्पिक, ब्राजील
- स्वर्ण पदक - 2017 - राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप, जोहानसबर्ग
- स्वर्ण पदक - 2022 - कॉमनवेल्थ गेम्स, बर्मिंघम, इंग्लैंड
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बस कंडक्टर की बेटी हैं पहलवान साक्षी मलिक (हिंदी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।
- ↑ साक्षी मलिक ने काँस्य जीतकर रचा इतिहास (हिंदी) एनडीटीवी इण्डिया। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
- मिलिए: भारत को पहला मेडल दिलाने वाली साक्षी मलिक से
- साक्षी मलिक को लक्ष्मीबाई पुरस्कार
- 'दादा को देख, 7 साल की साक्षी ने कुश्ती की ठानी'
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