छपेली उत्तराखंड का पुराना लोकनृत्य है। इस नृत्य का आयोजन आमतौर से शुभ अवसरों पर किया जाता है। इस नृत्य को समूह में किया जाता है।
- छपेली नृत्य को करते समय लड़कियां अपने बाएं हाथ में एक दर्पण और दूसरे हाथ में रंगीन रुमाल रखती हैं और लड़के उत्तराखंड के वाद्य यंत्र 'हुड़का' के साथ ही मंजीरा और बांसुरी बजाते हैं।
- छपेली गीतों की एक पंक्ति मुख्य होती है, जिसे गायक दो पंक्तियों के अंतर के बाद, बार-बार दोहराता है, जिस पर लड़के और लड़कियां मुस्कान के साथ कमर को घुमाते हुए नृत्य करते हैं।[1]
- छपेली गीत
ओ बाना , पनुली चकोरा त्वीले धारौ बोला,
ओ लौंडा कुंदन अमीना त्वीले धारौ बोला।
पहाड़ भोटिया घोड़ो मैदान को होती,
त्वीलें यसी बोली मारी धन छ मेरी छाती।
ओ बाना पनुली चकोरा, त्वीले धारौ बोला॥
इस गीत में प्रेमी अपनी प्रेमिका की तारीफ पहाड़ों के सबसे सुंदर पक्षी चकोरा से करता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रेमिका को रिझाने के लिए प्रेमी करते हैं छपेली नृत्य (हिंदी) gaonconnection.com। अभिगमन तिथि: 18 फरवरी, 2020।
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