मंज़िलों की क़ैद से अब छूट भागे रास्ते
है बक़ाया ज़िन्दगी आवारगी के वास्ते
छोड़ कर रस्मो-रिवाजों की गली को आ गए
अब हुआ हर शख़्स हाज़िर दोस्ती के वास्ते
उसकी महफ़िल और उसके रंग से क्या साबिका [1]
अब हज़ारों मस्तियाँ हर बज़्म दिल के वास्ते [2]
ये सफ़र ताबीर है उन हसरतों के ख़ाब की [3]
जो कभी होती थीं तेरी सुह्बतों के वास्ते [4]
अब कोई आक़ा नियम क़ानून क्या बतलाएगा
आँधियाँ भी रुक गईं हैं इस सबा के वास्ते [5]
माजरा ये देखकर अब दश्त भी हैरान है
मरहले चलने लगे हैं क़ाफ़िलों के वास्ते [6]
मौत के आने से पहले एक लम्हा जी लिया
कौन रगड़े एड़ियाँ अब ज़िन्दगी के वास्ते