वो 'सुबह' जो कभी आनी थी
कब आएगी ?
जिस सुबह को,
सकीना भी स्कूल जाएगी ?
नहीं टपकेगी सुक्खो की छत
और संतो दादी भी पेंशन पाएगी
कल्लो नहीं धोएगी रईसों के पोतड़े
और चंदर की शराब भी छूट जाएगी
परसादी छोड़ देगा तीन पत्ती खेलना
और सुनहरी भी मायके से लौट आएगी
बैजंती छुड़ा लेगी चूड़ियाँ सुनार से
और दोबारा 'रखने' भी नहीं जाएगी
हवालात से छूटेगा बेकसूर घूरेलाल
और पुलिस भी बार-बार नहीं आएगी
इस बार सोनदेई जनमेगी बिटिया को
और उसकी सास भी घी के दीए जलाएगी
ऐसी सुबह मेरे गाँव में कब आएगी ?
ऐसी सुबह तेरे गाँव में कब आएगी ?