सरकारी संग्रहालय उदयपुर
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विवरण | सिटी पैलेस काम्पलेक्स के पास 'करन विलास महल' में स्थित है। |
राज्य | राजस्थान |
नगर | उदयपुर |
स्थापना | 1873 |
प्रसिद्धि | खुदाई वस्तुएँ, शिलालेख, मूर्तियां, चित्रकारी |
खुलने का समय | प्रात: 10.00 बजे से 4.30 बजे तक |
अन्य जानकारी | यह संग्रहालय खुदाई से प्राप्त वस्तुओं, शिलालेख, मूर्तियों, चित्रकारी और हस्तशिल्प कला के नमूनों के लिए प्रसिद्ध है। |
सरकारी अथवा राजकीय संग्रहालय, उदयपुर राजस्थान के सिटी पैलेस काम्पलेक्स के पास 'करन विलास महल' में स्थित है। पहले ये गुलाब बाग़ में स्थित था और इसे 'विक्टोरिया हॉल' कहा जाता था।
स्थापना
महाराणा शम्भूसिंह के काल में 1873 ई. में कर्नल हैचिंसन की सलाह पर इतिहास का महकमा स्थापित हुआ। परंतु सज्जनसिंह के शासन काल (1874-1984 ई.) में श्यामलदास के काल में इसका विकास अधिक हुआ। महाराणा फ़तहसिंह ने 1887 ई. में विक्टोरिया हॉल का निर्माण सज्जन निवास में करवाया और 1890 ई. के नवम्बर में संग्रहालय और पुस्तकालय स्थापित किया गया। 1968 ई. में इसे राजमहल के कर्ण विलास में स्थानांतरित कर दिया गया और प्रताप संग्रहालय नाम रखा गया, जो वर्तमान में राजकीय संग्रहालय, उदयपुर के नाम से जाना जाता है।[1]
संग्रह
यह संग्रहालय खुदाई से प्राप्त वस्तुओं, शिलालेख, मूर्तियों, चित्रकारी और हस्तशिल्प कला के नमूनों के लिए प्रसिद्ध है-
- संग्रहालय में बाल दीर्घा में स्टफ किये गए कंगारू, बंदर, सफ़ेद सांभर, कस्तूरी हिरन, घड़ियाल आदि प्रमुख हैं।
- सांस्कृतिक दीर्घा में छपाई, वस्त्र, हाथी दाँत के कलात्मक नमूने, मेवाड़ी पगड़ियाँ और अस्त्र-शस्त्र, शहज़ादा ख़ुर्रम की पगड़ी कर्णसिंह के समय की रखी गई आदि प्रमुख हैं।
- चित्र दीर्घा में लगभग 8000 लघु चित्र, प्राचीनतम लघु चित्र रसिक प्रिया पर आधारित हैं। इसका चित्रकार साहिबदीन था।
- कादम्बरी, मालती-माधव, गीत-गोविंद, पृथ्वीराज रासो, सूरसागर, बिहारी सतसई, पंचतंत्र, कलीला-दमना, मुल्ला दो प्याजा पर आधारित लघु चित्र रखे गए हैं।
- कृष्ण और रुक्मिणी के मेवाड़ शैली में बने हुए बहुत से चित्र भी संग्रहालय में रखे हुए हैं।
- यहाँ बहुत-सी प्रतिमाएं भी रखी हुई हैं। इसमें ख़ुर्रम (बाद में शाहजहाँ) का साफ़ा भी रखा हुआ है। ख़ुर्रम ने जब जहाँगीर के ख़िलाफ़ विद्रोह किया था तो वह उदयपुर में ही रहा था। उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहर है। उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धरोहर राजस्थान सामान्य ज्ञान |लेखक: कुँवर कनक सिंह राव |प्रकाशक: पिंक सिटी पब्लिशर्स, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: डी-52 |
बाहरी कड़ियाँ
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