रामाअट्टम नृत्य केरल के शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित एक नृत्य नाटिका है। किंवदतियों के अनुसार यह माना जाता है कि जमोरिया और कोट्टारकरा के राजा के बीच प्रतिद्वंद्विता की शाखा के आधार पर 'रामाअट्टम' का जन्म हुआ।
- यह नृत्य लगातार आठ दिन तक सफलतापूर्वक चलता रहता है।
- नृत्य में अधिकांशत: चेहरे के अभिनय और हाथों के इशारों को अधिक महत्व दिया जाता है।
- इसमें गाये जाने वाले सभी गीत मलयालम भाषा में होते हैं।
- समय के साथ-साथ इस नृत्य नाटिका में अब मुखौटों का प्रयोग कम होता जा रहा है और चेहरे की रूपसज्जा की एक समृद्ध प्रणाली विकसित हो रही है।
- रामाअट्टम को कथकली के रूप में भी विकसित किया गया है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कला और संस्कृति (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 जुलाई, 2012।