संघा कली केरल का लोक नृत्य है। इसे 'सस्तरकली', 'चतिहारकली' और 'वतरकली' के नाम से भी जाना जाता है।
केरल लोक नृत्यों की विविधता के मामले में बहुत अमीर है। ये अत्यधिक विकसित हैं और वहां के स्थानीय लोगों के मूड को संगीत और वेशभूषा के साथ दिखाते हैं। प्राकृतिक रूप से चुप इन नृत्यों को लोगों के जीवन जीने के हिसाब से और लोगों के नृत्य करने के अनुसार ढाला गया है। इन सभी लोक नृत्यों में धार्मिक रंगों को देखा जा सकता है, चाहे वे फ़सल के संबंध में मंचन कर रहे हों या फिर बीजों की बुवाई या त्यौहार इत्यादि।
संघा कली मूलत: एक सामाजिक-धार्मिक नृत्य है, जो कि नांबूदरियों का बहुत ही पसंदीदा और प्रसिद्ध नृत्य है, इसका प्रदर्शन मन्नत पूरी होने के पश्चात किया जाता है। संघा कली का मूल प्राचीन केरल के जिमनेशिया (कलारी) के रूप में पाया गया है, जहां पर शारीरिक व्यायाम और सैन्य प्रशिक्षण के साथ शारीरिक पद और असिक्रीड़ा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। नृत्य का अंतिम चरण कुदेमुडुप्पू के नाम से जाना जाता है। यह चरित्र में मार्शल और वास्तव में युद्ध अभ्यास के रूप में असिक्रीड़ा के शास्त्र के रूप में कौशल का प्रदर्शन और अन्य हथियारों के प्रयोग की तकनीक में महारत हासिल करना है।
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