"पुरुगुप्त": अवतरणों में अंतर

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*वह स्कन्दगुप्त का भाई था, और [[कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य|कुमारगुप्त]] की पट्टमहारानी का पुत्र था। इस समय तक वह वृद्ध हो चुका था।  
*वह स्कन्दगुप्त का भाई था, और [[कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य|कुमारगुप्त]] की पट्टमहारानी का पुत्र था। इस समय तक वह वृद्ध हो चुका था।  
*उसके राजगद्दी पर बैठते ही गुप्त साम्राज्य में अव्यवस्था प्रारम्भ हो गई।  
*उसके राजगद्दी पर बैठते ही गुप्त साम्राज्य में अव्यवस्था प्रारम्भ हो गई।  
*हूणों के आक्रमणों से पहले ही गुप्त साम्राज्य को जबर्दस्त चोटें लग रही थीं, अब [[वाकाटक वंश]] ने फिर से सिर उठा लिया।  
*हूणों के आक्रमणों से पहले ही गुप्त साम्राज्य को ज़बर्दस्त चोटें लग रही थीं, अब [[वाकाटक वंश]] ने फिर से सिर उठा लिया।  
*[[समुद्रगुप्त]] ने इन्हीं वाकाटकों को परास्त कर गुप्त साम्राज्य के अधीन किया था। पर अपने प्रदेश में वाकाटक राजा सामन्तों के रूप में विद्यमान थे।  
*[[समुद्रगुप्त]] ने इन्हीं वाकाटकों को परास्त कर गुप्त साम्राज्य के अधीन किया था। पर अपने प्रदेश में वाकाटक राजा सामन्तों के रूप में विद्यमान थे।  
*[[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|चंद्रगुप्त द्वितीय]] ने अपनी कन्या प्रभावती गुप्त का वाकाटक राजा से विवाह कर इनके साथ मैत्री तथा घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित किया था।  
*[[चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य|चंद्रगुप्त द्वितीय]] ने अपनी कन्या प्रभावती गुप्त का वाकाटक राजा से विवाह कर इनके साथ मैत्री तथा घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित किया था।  
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08:03, 24 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

  • स्कन्दगुप्त के बाद गुप्त साम्राज्य का ह्रास प्रारम्भ हो गया।
  • स्कन्दगुप्त की कोई सन्तान नहीं थी, अतः उसकी मृत्यु के बाद पुरुगुप्त सम्राट बना।
  • वह स्कन्दगुप्त का भाई था, और कुमारगुप्त की पट्टमहारानी का पुत्र था। इस समय तक वह वृद्ध हो चुका था।
  • उसके राजगद्दी पर बैठते ही गुप्त साम्राज्य में अव्यवस्था प्रारम्भ हो गई।
  • हूणों के आक्रमणों से पहले ही गुप्त साम्राज्य को ज़बर्दस्त चोटें लग रही थीं, अब वाकाटक वंश ने फिर से सिर उठा लिया।
  • समुद्रगुप्त ने इन्हीं वाकाटकों को परास्त कर गुप्त साम्राज्य के अधीन किया था। पर अपने प्रदेश में वाकाटक राजा सामन्तों के रूप में विद्यमान थे।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपनी कन्या प्रभावती गुप्त का वाकाटक राजा से विवाह कर इनके साथ मैत्री तथा घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित किया था।
  • हूणों के आक्रमणों के समय इन्होंने फिर से अपनी शक्ति को बढ़ाना शुरू किया, और प्रतापी स्कन्दगुप्त के मरते ही वाकाटक राजा नरेन्द्रसेन ने अपने को स्वतंत्र उदघोषित कर दिया।
  • एक शिलालेख से सूचित होता है, कि नरेन्द्रसेन ने अपने वंश की डूबी हुई शक्ति का पुनरुद्धार किया था।
  • इस प्रकार स्कन्दगुप्त के निर्बल भाई पुरुगुप्त के शासन में वाकाटक राज्य फिर से स्वतंत्र हो गया।
  • पुरुगुप्त बौद्ध धर्म का अनुयायी था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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