"नरसिंह गुप्त": अवतरणों में अंतर
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'''नरसिंह गुप्त''' सुविख्यात [[गुप्त वंश]] का एक प्रमुख शासक था। वह सम्राट [[पुरुगुप्त]] का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। | |||
*उसके [[बौद्ध]] पिता ने एक बौद्ध आचार्य को उसकी शिक्षा के लिए नियत किया था। | *उसके [[बौद्ध]] पिता ने एक बौद्ध आचार्य को उसकी शिक्षा के लिए नियत किया था। | ||
*नरसिंहगुप्त ने अपने नाम के साथ 'बालादित्य' उपाधि प्रयुक्त की थी। | *नरसिंहगुप्त ने अपने नाम के साथ 'बालादित्य' उपाधि प्रयुक्त की थी। | ||
*उसके सिक्कों पर एक तरफ़ उसका चित्र है और 'नर' लिखा है, दूसरी तरफ़ 'बालादित्य' लिखा गया है। | *उसके सिक्कों पर एक तरफ़ उसका चित्र है और 'नर' लिखा है, दूसरी तरफ़ 'बालादित्य' लिखा गया है। | ||
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05:41, 30 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
नरसिंह गुप्त सुविख्यात गुप्त वंश का एक प्रमुख शासक था। वह सम्राट पुरुगुप्त का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।
- उसके बौद्ध पिता ने एक बौद्ध आचार्य को उसकी शिक्षा के लिए नियत किया था।
- नरसिंहगुप्त ने अपने नाम के साथ 'बालादित्य' उपाधि प्रयुक्त की थी।
- उसके सिक्कों पर एक तरफ़ उसका चित्र है और 'नर' लिखा है, दूसरी तरफ़ 'बालादित्य' लिखा गया है।
- अपने गुरु की शिक्षाओं के कारण नरसिंह गुप्त ने भी बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था।
- नरसिंहगुप्त बौद्ध धर्म का कट्टर अनुयायी था।
- उसने नालन्दा में, जो उत्तरी भारत में बौद्ध शिक्षा का विश्वविख्यात केन्द्र था, ईंटों का एक भव्य मन्दिर बनवाया था।
- इस मन्दिर में 80 फुट ऊँची बुद्ध की ताम्र-प्रतिमा की स्थापना की गई थी।
- विद्वानों ने बालादित्य को ही हूण शासक मिहिरकुल का विजेता माना है, जिसकी सत्ता 533-534 ई. में समाप्त कर दी गई।
- उसके शासन काल में भी गुप्त साम्राज्य का ह्रास जारी रहा।
- पुरुगुप्त और नरसिंहगुप्त दोनों का राज्यकाल 467 से 473 ई. तक है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख