"हसरतें ले गए -दाग़ देहलवी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Daagh-Dehlvi.jpg |चित्र का नाम=दाग़ दे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| style="background:transparent; float:right"
|-
|
{{सूचना बक्सा कविता
{{सूचना बक्सा कविता
|चित्र=Daagh-Dehlvi.jpg
|चित्र=Daagh-Dehlvi.jpg
पंक्ति 15: पंक्ति 18:
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
}}
}}
|-
|
<div style="border:thin solid #a7d7f9; margin:10px">
{|  align="center"
! दाग़ देहलवी की रचनाएँ
|}
<div style="height: 250px; overflow:auto; overflow-x: hidden; width:99%">
{{दाग़ देहलवी की रचनाएँ}}
</div></div>
|}
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>
<poem>
पंक्ति 45: पंक्ति 59:
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}
{| width="100%"
|-
|


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
पंक्ति 52: पंक्ति 69:
{{उर्दू शायर}}
{{उर्दू शायर}}
[[Category:उर्दू शायर]][[Category:दाग़ देहलवी]][[Category:कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:उर्दू शायर]][[Category:दाग़ देहलवी]][[Category:कविता]][[Category:काव्य कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
|}
__INDEX__
__INDEX__

10:00, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

हसरतें ले गए -दाग़ देहलवी
दाग़ देहलवी
दाग़ देहलवी
कवि दाग़ देहलवी
जन्म 25 मई, 1831
जन्म स्थान दिल्ली
मृत्यु 1905
मृत्यु स्थान हैदराबाद
मुख्य रचनाएँ 'गुलजारे दाग़', 'महताबे दाग़', 'आफ़ताबे दाग़', 'यादगारे दाग़', 'यादगारे दाग़- भाग-2'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दाग़ देहलवी की रचनाएँ

हसरतें ले गए इस बज़्म से चलने वाले
हाथ मलते ही उठे इत्र के मलने वाले।

    वो गए गोर-ए-गरीबाँ[1] पे तो आई ये सदा
    थम ज़रा ओ रविश-ए-नाज़ से चलने वाले।

देखिए क्या हवा लाए मेरे नामे का जवाब
पास उनके हैं बहुत ज़हर उगलने वाले।

    इन जफ़ाओं पे वफ़ा करिए न करिए लेकिन
    दिल बदलता नहीं ओ आँख बदलने वाले।

शर्म आलूदा[2] निगाहें तो करेंगी बिस्मिल
अब कोई आन में ये तीर हैं चलने वाले।

    दिल ने हसरत से कहा तीर जो उसका निकला
    देख इस तरहा निकलते हैं निकलने वाले।

दिल-ए-बेताब वो आते हैं ख़बर आई है
सब्र कर सब्र ज़रा मेरे मचलने वाले।

    इमतेहान तेग़-ए-जफ़ा[3] का जो उन्हें हो मंज़ूर
    बच- चा कर अभी टल जाते हैं टलने वाले।

गरमि-ए-सोहबत-ए-अग़यार[4] के शिकवे पे कहा
आप ऐ दाग़ हमेशा के हैं जलने वाले।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आशिक़ की क़ब्र
  2. शर्म से भरी
  3. अत्याचार की
  4. दुश्मन के अधिक पास रहने पर

संबंधित लेख