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केशवानंद ने संग्रहालय में पूरे देश ही नहीं, बल्कि [[नेपाल]], [[चीन]], [[तिब्बत]], [[श्रीलंका]] व अन्य देशों से संग्रहालय की दुर्लभ वस्तुओं को प्राप्त किया और देखते ही देखते संगरिया में एक विशाल संग्रहालय बन गया। स्वतंत्रता के पूर्व के संयुक्त [[पंजाब]] के किसान नेता सर छोटूराम के संगरिया आगमन के उपलक्ष्य में इसका नाम "सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय ग्रामोत्थान विद्यापीठ" कर दिया गया।
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सालों पुराने संग्रहालय में नेपाल की [[धातु]] प्रतिमाएं, चीन के बर्तन, तिब्बत के [[बौद्ध मठ|बौद्ध मठों]] में काम आने वाली वस्तुएं, [[हाथी]] दांत से निर्मित शृंगार सामग्री, युद्ध में पहने जाने वाले कवच, प्राचीन हथियार, ताम्र वस्तुएं सहित सैकड़ों प्राचीन और ऐतिहासिक वस्तुएं हैं। इसके अलावा स्वामी केशवानंद के जीवन से संबंधित वस्तुएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं।<ref>{{cite web |url= http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-396-3779427.html|title=पहचान खो रही स्वामी केश्वानंद की विरासत|accessmonthday= 25 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=दैनिक भास्कर |language=हिन्दी}}</ref>
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==सरकारी अवहेलना==
==सरकारी अवहेलना==
सरकार द्वारा ध्यान नहीं देने व किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने से सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय का विकास थम-सा गया है। हनुमानगढ़ ज़िले में जब ऐतिहासिक धरोहरों का ज़िक्र होता है तो भले ही इस संग्रहालय का नाम आता है, लेकिन पर्यटन की दृष्टि से यह आज भी पिछड़ा है। वर्तमान में ग्रामोत्थान संस्थान ही इसकी देखभाल कर रही है। किंतु जो मुकाम इसे मिलना चाहिए था, वह उससे कोसों दूर है।
सरकार द्वारा ध्यान नहीं देने व किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने से सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय का विकास थम-सा गया है। हनुमानगढ़ ज़िले में जब ऐतिहासिक धरोहरों का ज़िक्र होता है तो भले ही इस संग्रहालय का नाम आता है, लेकिन पर्यटन की दृष्टि से यह आज भी पिछड़ा है। वर्तमान में ग्रामोत्थान संस्थान ही इसकी देखभाल कर रही है। किंतु जो मुकाम इसे मिलना चाहिए था, वह उससे कोसों दूर है।

08:51, 17 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के 'संगरिया' नामक स्थान पर स्थित है। इसकी स्थापना स्वामी केशवानंद ने थी। स्वामी जी द्वारा इसकी स्थापना वर्ष 1938 ई. में की गई थी। इस संग्रहालय में देश-विदेश की कई महत्त्वपूर्ण दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है।

स्थापना

राजस्थान के इस संग्रहालय की स्थापना स्वामी केशवानंद द्वारा की गई थी। स्वामी जी ने शिक्षा यात्रा के दौरान प्राप्त हुई दो प्रस्तर प्रतिमाओं को संगरिया स्कूल में एक कमरे में रखवाया था। लोग इन्हें बड़ी उत्सुकता के साथ देखने लगे। लोगों की उत्सुकता के कारण स्वामी जी ने देश के संग्रहालयों के दर्शन किए और संगरिया में संग्रहालय की नींव रखी।

नामकरण तथा संग्रह

केशवानंद ने संग्रहालय में पूरे देश ही नहीं, बल्कि नेपाल, चीन, तिब्बत, श्रीलंका व अन्य देशों से संग्रहालय की दुर्लभ वस्तुओं को प्राप्त किया और देखते ही देखते संगरिया में एक विशाल संग्रहालय बन गया। स्वतंत्रता के पूर्व के संयुक्त पंजाब के किसान नेता सर छोटूराम के संगरिया आगमन के उपलक्ष्य में इसका नाम "सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय ग्रामोत्थान विद्यापीठ" कर दिया गया।

सालों पुराने संग्रहालय में नेपाल की धातु प्रतिमाएं, चीन के बर्तन, तिब्बत के बौद्ध मठों में काम आने वाली वस्तुएं, हाथी दांत से निर्मित श्रृंगार सामग्री, युद्ध में पहने जाने वाले कवच, प्राचीन हथियार, ताम्र वस्तुएं सहित सैकड़ों प्राचीन और ऐतिहासिक वस्तुएं हैं। इसके अलावा स्वामी केशवानंद के जीवन से संबंधित वस्तुएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं।[1]

सरकारी अवहेलना

सरकार द्वारा ध्यान नहीं देने व किसी तरह का सहयोग नहीं मिलने से सर छोटूराम स्मारक संग्रहालय का विकास थम-सा गया है। हनुमानगढ़ ज़िले में जब ऐतिहासिक धरोहरों का ज़िक्र होता है तो भले ही इस संग्रहालय का नाम आता है, लेकिन पर्यटन की दृष्टि से यह आज भी पिछड़ा है। वर्तमान में ग्रामोत्थान संस्थान ही इसकी देखभाल कर रही है। किंतु जो मुकाम इसे मिलना चाहिए था, वह उससे कोसों दूर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पहचान खो रही स्वामी केश्वानंद की विरासत (हिन्दी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2014।

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