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*डॉक्टर गुहा की मान्यता है कि इनका सम्बन्ध प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड प्रजातियों से रहा है, जो सांस्कृतिक दृष्टि से 'कोलरी समूह' का ही एक भाग है, क्योंकि इनकी भाषा 'द्रविड़ परिवार', [[तमिल भाषा|तमिल]] और [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] का ही एक आदिरूप है।
*डॉक्टर गुहा की मान्यता है कि इनका सम्बन्ध प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड प्रजातियों से रहा है, जो सांस्कृतिक दृष्टि से 'कोलरी समूह' का ही एक भाग है, क्योंकि इनकी भाषा 'द्रविड़ परिवार', [[तमिल भाषा|तमिल]] और [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] का ही एक आदिरूप है।
*ऐसी मान्यता है कि रिजले जनजाति के लोग पहले [[दक्षिणी भारत]] में राजवंश के रूप में रहते थे।
*ऐसी मान्यता है कि रिजले जनजाति के लोग पहले [[दक्षिणी भारत]] में राजवंश के रूप में रहते थे।
*कालांतर में वहाँ से अपदस्थ होने एवं अन्य कुछ कठिनाइयों के कारण ये दो पृथक समूहों में बंटकर [[उत्तर भारत]] की ओर प्रस्थान कर गये।
*कालांतर में वहाँ से अपदस्थ होने एवं अन्य कुछ कठिनाइयों के कारण ये दो पृथक् समूहों में बंटकर [[उत्तर भारत]] की ओर प्रस्थान कर गये।
*ये [[गोदावरी नदी]] के सहारे पहले [[चन्द्रपुर ज़िला|चन्द्रपुर ज़िले]] में पहुँचे और वहाँ से [[इन्द्रावती नदी]] के संगम तक।
*ये [[गोदावरी नदी]] के सहारे पहले [[चन्द्रपुर ज़िला|चन्द्रपुर ज़िले]] में पहुँचे और वहाँ से [[इन्द्रावती नदी]] के संगम तक।
*यहीं से इस समूह के दो भाग हो गये- 'एक [[बस्तर ज़िला|बस्तर ज़िले]] में इन्द्रावती के सहारे' और 'दूसरा [[सतपुड़ा पर्वतश्रेणी|सतपुड़ा पर्वत]] की ओर बैनगंगा के सहारे'।
*यहीं से इस समूह के दो भाग हो गये- 'एक [[बस्तर ज़िला|बस्तर ज़िले]] में इन्द्रावती के सहारे' और 'दूसरा [[सतपुड़ा पर्वतश्रेणी|सतपुड़ा पर्वत]] की ओर बैनगंगा के सहारे'।

13:26, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

रिजले एक जनजाति का नाम है, जिसका सम्बन्ध द्रविड़ समूह से माना जाता है। दूसरी ओर हैडन, वेंकटाचार्य और डास्टन इन्हें पूर्व-द्रविड़ मानते हैं। मजूमदार इन्हें 'मिश्रित रक्त' का मानते हैं, जिनका मूल रूप राजपूतों के मिश्रण से पर्याप्त रूप से परिवर्तित हो गया है।

  • डॉक्टर गुहा की मान्यता है कि इनका सम्बन्ध प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड प्रजातियों से रहा है, जो सांस्कृतिक दृष्टि से 'कोलरी समूह' का ही एक भाग है, क्योंकि इनकी भाषा 'द्रविड़ परिवार', तमिल और कन्नड़ का ही एक आदिरूप है।
  • ऐसी मान्यता है कि रिजले जनजाति के लोग पहले दक्षिणी भारत में राजवंश के रूप में रहते थे।
  • कालांतर में वहाँ से अपदस्थ होने एवं अन्य कुछ कठिनाइयों के कारण ये दो पृथक् समूहों में बंटकर उत्तर भारत की ओर प्रस्थान कर गये।
  • ये गोदावरी नदी के सहारे पहले चन्द्रपुर ज़िले में पहुँचे और वहाँ से इन्द्रावती नदी के संगम तक।
  • यहीं से इस समूह के दो भाग हो गये- 'एक बस्तर ज़िले में इन्द्रावती के सहारे' और 'दूसरा सतपुड़ा पर्वत की ओर बैनगंगा के सहारे'।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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