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'''मरीचि''' [[हिन्दू]] पौराणिक ग्रंथ [[महाभारत]] के अनुसार एक [[ऋषि]] थे।
* [[ब्रह्मा]] के दस मानस पुत्रों में से एक मरीचि की उत्पत्ति ब्रह्माजी के नेत्र से हुई थी।
* इनकी पत्नी दक्ष-कन्या संभूति थी तथा [[भागवतपुराण|भागवत]] में इनकी पत्नियों के नाम कर्दम्कन्या कला और ऊर्णा मिलते हैं। दक्ष के [[यज्ञ]] में इन्होंने भी [[शिव|शंकर भगवान]] का अपमान किया था। जिसके कारण शंकर भगवान ने इसे भस्म कर डाला।
* मरीचि के अनुसार मानसिक व्याधि चार प्रकार की होती है- भोग्य, गोप्य, प्रत्यक्ष और अज्ञात।
* इन्होंने ही [[भृगु]] को दण्डनीति की शिक्षा दी है। ये सुमेरु के एक शिखर पर निवास करते हैं और महाभारत में इन्हें चित्रशिखण्डी कहा गया है।
* ब्रह्मा ने पुष्करक्षेत्र में जो यज्ञ किया था उसमें ये अच्छावाक् पद पर नियुक्त हुए थे। दस हजार श्लोकों से युक्त ब्रह्मपुराण का दान
पहले-पहल ब्रह्मा ने इन्हीं को किया था।
* [[वेद]] और [[पुराण|पुराणों]] में इनके चरित्र का चर्चा मिलती है।
*मरीचि ने कला नाम की स्त्री से विवाह किया और उनसे उन्हें [[कश्यप]] नामक एक पुत्र मिला। कश्यप की माता 'कला' [[कर्दम]] ऋषि की पुत्री और ऋषि [[कपिल मुनि|कपिल]] देव की बहन थी।
* ब्रह्मा के पोते और मरीचि के पुत्र कश्यप ने ब्रह्मा के दूसरे पुत्र दक्ष की 13 पुत्रियों से विवाह किया।
* मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/sanatan-dharma-history/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%9A%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B2-113100800070_1.htm |title=ब्रह्मा के पहले पुत्र मरीचि का कुल |accessmonthday= 24 दिसम्बर|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=वेब दुनिया |language=हिन्दी }}</ref>
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1. [[ब्रह्मा]] के दस मानास पुत्रों में से एक जिसकी उत्पत्ति उनके नेत्र से हुई थी। यह [[दक्ष]] का दामाद और [[शंकर]] का साढू था। इसकी पत्नि दक्ष-कन्या संभूति थी। भागवत में पत्नियों के नाम कर्दम्कन्या कला और ऊर्णा मिलते हैं। दक्ष के यज्ञ में इसने भी शंकर का अपमान किया था। इस पर शंकर ने इसे भस्म कर डाला।


2. एक धर्मशास्त्रकार जिसके मतों के उदाहरण विभिन्न प्राचीन ग्रंथो से मिलते हैं। अचल संपत्ति के संबंध में मरीचि का कथन है - यदि अचल संपत्ति किसी के हाथ बेचनी है,खरीदनी है,दान में देनी है अथवा उसका बंटवारा होना है तो यह सारे कार्य मौखिक न होकर लिखित होने चाहिए। तभी ये कार्य नियमानुकुल हैं।
==टीका-टिप्पणी और संदर्भ==
 
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मरीचि के अनुसार मानसिक व्याधि चार प्रकार की होती है- भोग्य,गोप्य,प्रत्यक्ष और अज्ञात ।
==संबंधित लेख==
 
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08:21, 24 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

मरीचि हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार एक ऋषि थे।

  • ब्रह्मा के दस मानस पुत्रों में से एक मरीचि की उत्पत्ति ब्रह्माजी के नेत्र से हुई थी।
  • इनकी पत्नी दक्ष-कन्या संभूति थी तथा भागवत में इनकी पत्नियों के नाम कर्दम्कन्या कला और ऊर्णा मिलते हैं। दक्ष के यज्ञ में इन्होंने भी शंकर भगवान का अपमान किया था। जिसके कारण शंकर भगवान ने इसे भस्म कर डाला।
  • मरीचि के अनुसार मानसिक व्याधि चार प्रकार की होती है- भोग्य, गोप्य, प्रत्यक्ष और अज्ञात।
  • इन्होंने ही भृगु को दण्डनीति की शिक्षा दी है। ये सुमेरु के एक शिखर पर निवास करते हैं और महाभारत में इन्हें चित्रशिखण्डी कहा गया है।
  • ब्रह्मा ने पुष्करक्षेत्र में जो यज्ञ किया था उसमें ये अच्छावाक् पद पर नियुक्त हुए थे। दस हजार श्लोकों से युक्त ब्रह्मपुराण का दान

पहले-पहल ब्रह्मा ने इन्हीं को किया था।

  • वेद और पुराणों में इनके चरित्र का चर्चा मिलती है।
  • मरीचि ने कला नाम की स्त्री से विवाह किया और उनसे उन्हें कश्यप नामक एक पुत्र मिला। कश्यप की माता 'कला' कर्दम ऋषि की पुत्री और ऋषि कपिल देव की बहन थी।
  • ब्रह्मा के पोते और मरीचि के पुत्र कश्यप ने ब्रह्मा के दूसरे पुत्र दक्ष की 13 पुत्रियों से विवाह किया।
  • मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए।[1]
लंका के राजा रावण के मामा, सुण्ड एवं ताड़का के पुत्र के लिए देखें मारीच


टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्मा के पहले पुत्र मरीचि का कुल (हिन्दी) (html) वेब दुनिया। अभिगमन तिथि: 24 दिसम्बर, 2015।

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