"जौगड़": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (Adding category Category:अशोक (को हटा दिया गया हैं।)) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ") |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[उड़ीसा]] के 'गंजाम ज़िले' में जौगड़ से [[अशोक|मौर्य सम्राट अशोक]] के [[अशोक के शिलालेख|चतुर्दश शिलालेख]] प्राप्त हुए हैं, किंतु 'ग्यारहवें और तेरहवें लेखों' के स्थान के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान से अशोक के चतुर्दश शिलालेखों की एक प्रति प्राप्त हुई है। | *[[उड़ीसा]] के 'गंजाम ज़िले' में जौगड़ से [[अशोक|मौर्य सम्राट अशोक]] के [[अशोक के शिलालेख|चतुर्दश शिलालेख]] प्राप्त हुए हैं, किंतु 'ग्यारहवें और तेरहवें लेखों' के स्थान के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान से अशोक के चतुर्दश शिलालेखों की एक प्रति प्राप्त हुई है। | ||
*[[धौली]] की भाँति यहाँ भी संख्या 11, 12 तथा 13 के लेख नहीं मिलते, उनके स्थान पर दो अन्य लेख मिले है, जो विशेषरूप से [[कलिंग]] के लिए उत्कीर्ण कराये गये थे। | *[[धौली]] की भाँति यहाँ भी संख्या 11, 12 तथा 13 के लेख नहीं मिलते, उनके स्थान पर दो अन्य लेख मिले है, जो विशेषरूप से [[कलिंग]] के लिए उत्कीर्ण कराये गये थे। | ||
*जौगड़ और धौली वही जगह है, जहाँ कलिंग युद्ध के | *जौगड़ और धौली वही जगह है, जहाँ कलिंग युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक ने स्वयं को पश्चाताप की अग्नि में जलता हुआ महसूस किया था। | ||
इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से [[बौद्ध धर्म]] को स्वीकार कर लिया। | इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से [[बौद्ध धर्म]] को स्वीकार कर लिया। | ||
*[[बौद्ध धर्म]] स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। | *[[बौद्ध धर्म]] स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
* ऐतिहासिक स्थानावली| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, पृष्ठ संख्या - 374 | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उड़ीसा के ऐतिहासिक स्थान}} | {{उड़ीसा के ऐतिहासिक स्थान}}{{अशोक}} | ||
[[Category:उड़ीसा राज्य]] | [[Category:उड़ीसा राज्य]] | ||
[[Category:उड़ीसा राज्य के पर्यटन स्थल]] | [[Category:उड़ीसा राज्य के पर्यटन स्थल]] | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 24: | ||
[[Category:बौद्ध धार्मिक स्थल]] | [[Category:बौद्ध धार्मिक स्थल]] | ||
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | [[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | ||
[[Category:अशोक]] | [[Category:अशोक]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:50, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
- उड़ीसा के 'गंजाम ज़िले' में जौगड़ से मौर्य सम्राट अशोक के चतुर्दश शिलालेख प्राप्त हुए हैं, किंतु 'ग्यारहवें और तेरहवें लेखों' के स्थान के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान से अशोक के चतुर्दश शिलालेखों की एक प्रति प्राप्त हुई है।
- धौली की भाँति यहाँ भी संख्या 11, 12 तथा 13 के लेख नहीं मिलते, उनके स्थान पर दो अन्य लेख मिले है, जो विशेषरूप से कलिंग के लिए उत्कीर्ण कराये गये थे।
- जौगड़ और धौली वही जगह है, जहाँ कलिंग युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक ने स्वयं को पश्चाताप की अग्नि में जलता हुआ महसूस किया था।
इस पश्चाताप के फलस्वरूप अशोक ने पूर्ण रूप से बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया।
- बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक ने जीवन भर अहिंसा का सन्देश दिया तथा बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया।
- अशोक के विश्व प्रसिद्ध पत्थर के स्तम्भों में से एक यहीं पर है।
- इस स्तम्भ में सम्राट अशोक के जीवन से जुड़े तथ्यों का वर्णन किया गया है।
- कलिंग की प्रजा तथा कलिंग की सीमा पर रहने वाले लोगों के प्रति कैसा व्यवहार किया जाए, इस सम्बन्ध में अशोक ने दो आदेश जारी किए। ये दो आदेश धौली और जौगड़ नामक स्थानों पर सुरक्षित हैं। ये आदेश 'तोसली' और 'समासा' के महामात्यों तथा उच्च अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए लिखे गए हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, पृष्ठ संख्या - 374
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख