"सदस्य:DrMKVaish": अवतरणों में अंतर
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<br /><center><div style="text-align:center;width:90%;padding:1em;border:solid 6px green;letter-spacing: 1px;background-color:orange;color:blue;font-weight:bold"><font color="blue" size="+1">'''ख़ूबसूरत बातें''' | <br /><center><div style="text-align:center;width:90%;padding:1em;border:solid 6px green;letter-spacing: 1px;background-color:orange;color:blue;font-weight:bold"><font color="blue" size="+1">'''ख़ूबसूरत बातें''' | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने ख़ूबसूरत ख्वाब समा जाएँ। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ। | ||
* | * ख़ूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल आ जाए। | ||
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# [[भारतीय स्टेट बैंक]] | # [[भारतीय स्टेट बैंक]] | ||
# [[पंजाब नैशनल बैंक]] | # [[पंजाब नैशनल बैंक]] | ||
# [[राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन]] | |||
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# [[बीमारी और फ़िल्म]] | # [[बीमारी और फ़िल्म]] | ||
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# [[सोरियासिस]] | # [[सोरियासिस]] | ||
# [[नींद में चलने की बीमारी]] | # [[नींद में चलने की बीमारी]] | ||
# [[डाउन सिन्ड्रोम]] | |||
# [[हर्पिस जोस्टर]] | |||
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# [[वैष्णो देवी]] | # [[वैष्णो देवी]] | ||
# [[शक्तिपीठ]] | # [[शक्तिपीठ]] | ||
# [[अमरनाथ]] | # [[अमरनाथ]] | ||
# [[कैलाश मानसरोवर]] | # [[कैलाश मानसरोवर]] | ||
# [[देवीपाटन मंदिर]] | |||
# [[मारकण्डेय महादेव मंदिर]] | |||
# [[पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा]] | |||
# [[जीण माता धाम]] | |||
# [[बृहदेश्वर मन्दिर]] | |||
# [[भोजेश्वर मंदिर]] | |||
# [[पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर]] | |||
# [[बगलामुखी मंदिर]] | |||
# [[ॐ]] | # [[ॐ]] | ||
# [[स्वस्तिक]] | # [[स्वस्तिक]] | ||
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# [[रामसेतु]] | # [[रामसेतु]] | ||
# [[कुण्डलिनी]] | # [[कुण्डलिनी]] | ||
# [[पद्मनाभस्वामी मंदिर]] | # [[पद्मनाभस्वामी मंदिर]] | ||
# [[पंचगव्य]] | # [[पंचगव्य]] | ||
# [[अघोरी]] | # [[अघोरी]] | ||
# [[हिंदू विवाह में सात फेरे और सात वचन]] | |||
# [[अंक 7]] | |||
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# [[विलोम शब्द]] | # [[विलोम शब्द]] | ||
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# [[मधुशाला]] | # [[मधुशाला]] | ||
# [[एस एम एस]] | # [[एस एम एस]] | ||
# [[ट्विटर]] | |||
# [[ | |||
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# [[माउंट एवरेस्ट]] | # [[माउंट एवरेस्ट]] | ||
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# [[डल झील]] | # [[डल झील]] | ||
# [[रूपकुंड झील]] | # [[रूपकुंड झील]] | ||
# [[लोनार झील]] | |||
# [[जवाहर सुरंग]] | # [[जवाहर सुरंग]] | ||
# [[भूकंप]] | # [[भूकंप]] | ||
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# [[पुनर्जन्म]] | # [[पुनर्जन्म]] | ||
# [[स्वप्न]] | # [[स्वप्न]] | ||
# [[सम्मोहन]] | |||
# [[कोहिनूर हीरा]] | # [[कोहिनूर हीरा]] | ||
# [[जैकब हीरा]] | # [[जैकब हीरा]] | ||
# [[ग्रेट मुग़ल हीरा]] | # [[ग्रेट मुग़ल हीरा]] | ||
# [[फ़ॉर्मूला वन]] | # [[फ़ॉर्मूला वन]] | ||
# [[बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट]] | # [[बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट]] | ||
# [[गुलाल]] | # [[गुलाल]] | ||
# [[मिट्टी]] | # [[मिट्टी]] | ||
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# [[सांता क्लॉज]] | # [[सांता क्लॉज]] | ||
# [[क्रिसमस ट्री]] | # [[क्रिसमस ट्री]] | ||
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# [[मैडम तुसाद संग्रहालय]] | |||
# [[बुर्ज ख़लीफ़ा]] | |||
# [[बरमूडा त्रिकोण]] | |||
# [[ईस्टर द्वीप]] | |||
# [[माया कैलेंडर]] | |||
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# [[महत्त्वपूर्ण दिवस]] | # [[महत्त्वपूर्ण दिवस]] | ||
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# [[विश्व रेडक्रॉस दिवस]] | # [[विश्व रेडक्रॉस दिवस]] | ||
# [[अप्रैल फूल दिवस]] | # [[अप्रैल फूल दिवस]] | ||
# [[विश्व जल दिवस]] | |||
# [[विश्व धूम्रपान निषेध दिवस]] | |||
# [[पाई दिवस]] | |||
# [[विश्व कैंसर दिवस]] | |||
# [[अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस]] | |||
# [[अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस]] | |||
# [[अंतरराष्ट्रीय मैत्री दिवस]] | |||
# [[विश्व ओजोन दिवस]] | |||
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# [[परमवीर चक्र]] | # [[परमवीर चक्र]] | ||
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# [[अग्नि-2 मिसाइल]] | # [[अग्नि-2 मिसाइल]] | ||
# [[शौर्य मिसाइल]] | # [[शौर्य मिसाइल]] | ||
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# [[अण्णा हज़ारे]] | |||
# [[स्वामी रामदेव]] | |||
# [[किरण बेदी]] | |||
# [[मेधा पाटकर]] | |||
# [[अरविंद केजरीवाल]] | |||
# [[सत्य साईं बाबा]] | |||
# [[राहुल गांधी]] | |||
# [[दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो]] | |||
# [[पंडित जसराज]] | |||
# [[श्रीलाल शुक्ल]] | |||
# [[श्रीनिवास अयंगर रामानुजन]] | |||
# [[तिरुवल्लुवर]] | |||
# [[स्टीफन हॉकिंग]] | |||
# [[गैलिलियो गैलीली]] | |||
# [[पंडित श्रद्धाराम शर्मा]] | |||
# [[जय गुरुदेव]] | |||
# [[प्रणब मुखर्जी]] | |||
# [[कैप्टन लक्ष्मी सहगल]] | |||
# [[नील आर्मस्ट्रांग]] | |||
# [[सुनीता विलियम्स]] | |||
# [[के एस सुदर्शन]] | |||
# [[मोहन भागवत]] | |||
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# [[दिलीप कुमार]] | # [[दिलीप कुमार]] | ||
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# [[शशि कपूर]] | # [[शशि कपूर]] | ||
# [[देव आनंद]] | # [[देव आनंद]] | ||
# [[दारा सिंह]] | |||
# [[शत्रुघ्न सिन्हा]] | |||
# [[कैटरीना कैफ़]] | # [[कैटरीना कैफ़]] | ||
# [[ऐश्वर्या राय]] | # [[ऐश्वर्या राय]] | ||
# [[भूपेन हज़ारिका]] | # [[भूपेन हज़ारिका]] | ||
# [[सत्यदेव दुबे]] | # [[सत्यदेव दुबे]] | ||
# [[लक्ष्मीकांत]] | |||
# [[बी आर इशारा]] | |||
# [[साधना (अभिनेत्री)]] | |||
# [[ए. के. हंगल]] | |||
# [[रामानन्द सागर]] | |||
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# [[सिंह]] | |||
# [[बंदर]] | |||
# [[कंगारू]] | |||
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# [[सौरमण्डल]] | |||
# [[सूर्य (तारा)]] | |||
# [[बुध ग्रह]] | |||
# [[शुक्र ग्रह]] | |||
# [[मंगल ग्रह]] | |||
# [[यम ग्रह]] | |||
# [[सूर्य ग्रहण]] | |||
# [[चन्द्र ग्रहण]] | |||
# [[क्षुद्र ग्रह]] | |||
# [[धूमकेतु]] | |||
# [[हैली धूमकेतु]] | |||
# [[ल्यूलिन धूमकेतु]] | |||
# [[एपोफिस क्षुद्र ग्रह]] | |||
# [[सेरेस]] | |||
# [[हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन]] | |||
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# [[अनमोल वचन 1]] | |||
# [[अनमोल वचन 2]] | |||
# [[अनमोल वचन 3]] | |||
# [[अनमोल वचन 4]] | |||
# [[अनमोल वचन 5]] | |||
# [[अनमोल वचन 6]] | |||
# [[अनमोल वचन 7]] | |||
# [[अनमोल वचन 8]] | |||
# [[अनमोल वचन 9]] | |||
# [[अनमोल वचन 10]] | |||
# [[अनमोल वचन 11]] | |||
# [[अनमोल वचन 12]] | |||
# [[अनमोल वचन 13]] | |||
# [[अनमोल वचन 14]] | |||
# [[अनमोल वचन 15]] | |||
# [[महात्मा गाँधी के अनमोल वचन]] | |||
# [[स्वामी विवेकानन्द के अनमोल वचन]] | |||
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# [[पीपल]] | |||
# [[नीम]] | |||
# [[बरगद]] | |||
# [[अशोक वृक्ष]] | |||
# [[चन्दन]] | |||
# [[बाँस]] | |||
# [[तुलसी]] | |||
# [[पुदीना]] | |||
# [[शीशम]] | |||
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# [[साबूदाना]] | |||
# [[मखाना]] | |||
# [[हल्दी]] | |||
# [[केसर]] | |||
# [[खजूर]] | |||
# [[लहसुन]] | |||
# [[आंवला]] | |||
# [[लौंग]] | |||
# [[शहद]] | |||
# [[घी]] | |||
# [[अदरक]] | |||
# [[सोयाबीन]] | |||
# [[बादाम]] | |||
# [[नाशपाती]] | |||
# [[केला]] | |||
# [[करौंदा]] | |||
# [[इमली]] | |||
# [[दाल]] | |||
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# [[इंडियन प्रीमियर लीग]] | |||
# [[इंडियन प्रीमियर लीग 2008]] | |||
# [[इंडियन प्रीमियर लीग 2009]] | |||
# [[इंडियन प्रीमियर लीग 2010]] | |||
# [[इंडियन प्रीमियर लीग 2011]] | |||
# [[मुंबई इंडियंस]] | |||
# [[चेन्नई सुपर किंग्स]] | |||
# [[कोलकाता नाईटराइडर्स]] | |||
# [[डेक्कन चार्जर्स]] | |||
# [[राजस्थान रॉयल्स]] | |||
# [[रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर]] | |||
# [[किंग्स इलेवन पंजाब]] | |||
# [[दिल्ली डेयरडेविल्स]] | |||
# [[सहारा पुणे वॉरियर्स]] | |||
# [[कोच्चि टस्कर्स केरल]] | |||
# [[सचिन तेंदुलकर]] | |||
# [[कपिल देव]] | |||
# [[सुनील गावस्कर]] | |||
# [[रवि शास्त्री]] | |||
# [[मंसूर अली खान पटौदी]] | |||
# [[वीरेन्द्र सहवाग]] | |||
# [[महेन्द्र सिंह धोनी]] | |||
# [[ओलंपिक खेल]] | |||
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# [[दे दी हमें आज़ादी]] | |||
# [[रघुपति राघव राजा राम]] | |||
# [[वैष्णव जन तो तेने कहिये]] | |||
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# [[मेरे देश की धरती]] | |||
# [[हर करम अपना करेंगे]] | |||
# [[ऐ मेरे प्यारे वतन]] | |||
# [[इन्साफ की डगर पर]] | |||
# [[हम लाये हैं तूफ़ान से]] | |||
# [[जिस देश में गंगा बहती है]] | |||
# [[यह देश है वीर जवानों का]] | |||
# [[है प्रीत जहाँ की रीत सदा]] | |||
# [[नन्हें मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी मैं क्या है]] | |||
# [[मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये]] | |||
# [[भारत हमको जान से प्यारा है]] | |||
# [[अपनी आजादी को हम]] | |||
# [[ऐ वतन ऐ वतन]] | |||
# [[मेरा रंग दे बसंती चोला]] | |||
# [[सरफरोशी की तमन्ना]] | |||
# [[नन्हा मुन्ना राही हूँ]] | |||
# [[जहाँ डाल डाल पर]] | |||
# [[संदेशे आते है]] | |||
# [[बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो]] | |||
# [[छोड़ो कल की बातें]] | |||
# [[कदम कदम बढाये जा]] | |||
# [[विजयी विश्व तिरंगा प्यारा]] | |||
# [[आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं]] | |||
# [[चन्दन है इस देश की माटी]] | |||
# [[नफ़रत की लाठी तोड़ो]] | |||
# [[थोड़ी सी धूल मेरी]] | |||
# [[कर चले हम फ़िदा]] | |||
# [[जय जननी ने भारत माँ]] | |||
# [[वतन पे जो फ़िदा होगा]] | |||
# [[ए मेरे वतन के लोगो]] | |||
# [[पासे सभी उलट गए]] | |||
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# [[दुर्गा माता के 108 नाम]] | # [[दुर्गा माता के 108 नाम]] | ||
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# [[विद्यारंभ संस्कार]] | # [[विद्यारंभ संस्कार]] | ||
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# [[ | # [[पंचतंत्र]] | ||
# [[बंदर]] | # [[अक्लमंद हंस]] | ||
# [[ | # [[आपस की फूट]] | ||
# [[एक और एक ग्यारह]] | |||
# [[एकता का बल]] | |||
# [[कौए और उल्लू]] | |||
# [[खरगोश की चतुराई]] | |||
# [[गजराज व मूषकराज]] | |||
# [[गधा रहा गधा ही]] | |||
# [[गोलू-मोलू और भालू]] | |||
# [[घंटीधारी ऊंट]] | |||
# [[चापलूस मंडली]] | |||
# [[झगडालू मेढक]] | |||
# [[झूठी शान]] | |||
# [[ढोंगी सियार]] | |||
# [[ढोल की पोल]] | |||
# [[तीन मछलियां]] | |||
# [[दुश्मन का स्वार्थ]] | |||
# [[दुष्ट सर्प]] | |||
# [[नकल करना बुरा है]] | |||
# [[बंदर का कलेजा]] | |||
# [[बगुला भगत]] | |||
# [[बडे नाम का चमत्कार]] | |||
# [[बहरुपिया गधा]] | |||
# [[बिल्ली का न्याय]] | |||
# [[बुद्धिमान सियार]] | |||
# [[मक्खीचूस गीदड]] | |||
# [[मित्र की सलाह]] | |||
# [[मुफ़्तखोर मेहमान]] | |||
# [[मूर्ख गधा]] | |||
# [[मूर्ख को सीख]] | |||
# [[मूर्ख बातूनी कछुआ]] | |||
# [[रंग में भंग]] | |||
# [[रंगा सियार]] | |||
# [[शत्रु की सलाह]] | |||
# [[शरारती बंदर]] | |||
# [[संगठन की शक्ति]] | |||
# [[सच्चा शासक]] | |||
# [[सच्चे मित्र]] | |||
# [[सांड और गीदड़]] | |||
# [[सिंह और सियार]] | |||
# [[स्वजाति प्रेम]] | |||
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# [[ | # [[हितोपदेश]] | ||
# [[ | # [[सुवर्णकंकणधारी बूढ़ा बाघ और मुसाफिर की कहानी]] | ||
# [[ | # [[कबुतर, काक, कछुआ, मृग और चूहे की कहानी]] | ||
# [[ | # [[मृग, काक और गीदड़ की कहानी]] | ||
# [[ | # [[भैरव नामक शिकारी, मृग, शूकर, साँप और गीदड़ की कहानी]] | ||
# [[ | # [[धूर्त गीदड़ और हाथी की कहानी]] | ||
# [[ | # [[एक बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों की कहानी]] | ||
# [[ | # [[धोबी, धोबन, गधा और कुत्ते की कहानी]] | ||
# [[ | # [[सिंह, चूहा और बिलाव की कहानी]] | ||
# [[ | # [[बंदर, घंटा और कराला नामक कुटनी की कहानी]] | ||
# [[ | # [[सिंह और बूढ़ शशक की कहानी]] | ||
# [[ | # [[कौए का जोड़ा और काले साँप की कहानी]] | ||
# [[ | # [[पक्षी और बंदरो की कहानी]] | ||
# [[ | # [[बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेतवाले की कहानी]] | ||
# [[हाथियों का झुंड और बूढ़े शशक की कहानी]] | |||
# [[हंस, कौआ और एक मुसाफिर की कहानी]] | |||
# [[नील से रंगे हुए एक गीदड़ की कहानी]] | |||
# [[राजकुमार और उसके पुत्र के बलिदान की कहानी]] | |||
# [[एक क्षत्रिय, नाई और भिखारी की कहानी]] | |||
# [[सन्न्यासी और एक चूहे की कहानी]] | |||
# [[बूढ़े बगुले, केंकड़े और मछलियों की कहानी]] | |||
# [[सुन्द, उपसुन्द नामक दो दैत्यों की कहानी]] | |||
# [[एक ब्राह्मण, बकरा और तीन धुता की कहानी]] | |||
# [[माधव ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और साँप की कहानी]] | |||
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# [[ | # [[चाणक्य नीति]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 1]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 2]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 3]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 4]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 5]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 6]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 7]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 8]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 9]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 10]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 11]] | ||
# [[ | # [[चाणक्यनीति - अध्याय 12]] | ||
# [[चाणक्यनीति - अध्याय 13]] | |||
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'''फ़ोन''' --> 09451908700 <br> | '''फ़ोन''' --> 09451908700 <br> | ||
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आषाढ़ी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीर्थनगरी में गंगा स्नान करने व गुरु पूजन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, दिल्ली के कोने-कोने से आज पूर्णिमा स्नान के साथ ही कस्बे में एक माह तक चलने वाला कॉवर मेला प्रारम्भ हो जाएगा। | आषाढ़ी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीर्थनगरी में गंगा स्नान करने व गुरु पूजन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, दिल्ली के कोने-कोने से आज पूर्णिमा स्नान के साथ ही कस्बे में एक माह तक चलने वाला कॉवर मेला प्रारम्भ हो जाएगा। | ||
मकर संकंराति के अवसर पर बरमान से बांदकपुर भगवान भोलेशंकर के चरणों में जल चढ़ाने के लिए जा रहे कावडिय़ों का गुरुवार को तालसेमरा में संतश्री | मकर संकंराति के अवसर पर बरमान से बांदकपुर भगवान भोलेशंकर के चरणों में जल चढ़ाने के लिए जा रहे कावडिय़ों का गुरुवार को तालसेमरा में संतश्री 108 सीताराम महराज बादकपुर जाकर भगवान भोलेशंकर के चरणों में अर्पित करते हैं। कॉवरियों द्वारा यह सारी यात्रा पैदल ही की जाती है। स्वागत करने वालों में लक्ष्मीनारायण जारोलिया, पप्पू जारोलिया, हरदास पटेल, अशोक पटेल आदि शामिल हैं। | ||
बेवर: महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर काबड़ियों ने फर्रुखाबाद से जल भरकर विभिन्न शिवालयों में चढ़ाकर मन्नत मांगी तो कुछ काबड़ियों ने भोलेनाथ से पुन: जल लेकर आने का वादा किया। | बेवर: महाशिव रात्रि के पावन पर्व पर काबड़ियों ने फर्रुखाबाद से जल भरकर विभिन्न शिवालयों में चढ़ाकर मन्नत मांगी तो कुछ काबड़ियों ने भोलेनाथ से पुन: जल लेकर आने का वादा किया। | ||
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| संस्कृत सुभाषित एवं सूक्तियाँ हिन्दी में अर्थ सहित---- | | संस्कृत सुभाषित एवं सूक्तियाँ हिन्दी में अर्थ सहित---- | ||
( | (1) न राज्यं न च राजासीत् , न दण्डो न च दाण्डिकः । | ||
स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ | स्वयमेव प्रजाः सर्वा , रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥ | ||
( न राज्य था और ना राजा था , न दण्ड था और न दण्ड देने | (न राज्य था और ना राजा था, न दण्ड था और न दण्ड देने वाला। स्वयं सारी प्रजा ही एक-दूसरे की रक्षा करती थी॥) | ||
( | (2) रत्नं रत्नेन संगच्छते । | ||
( रत्न , रत्न के साथ जाता है ) | (रत्न, रत्न के साथ जाता है) | ||
( | (3) गुणः खलु अनुरागस्य कारणं , न बलात्कारः । | ||
( केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है , बल प्रयोग नहीं ) | (केवल गुण ही प्रेम होने का कारण है, बल प्रयोग नहीं) | ||
( | (4) निर्धनता प्रकारमपरं षष्टं महापातकम् । | ||
( गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक | (गरीबी दूसरे प्रकार से छठा महापातक है।) | ||
( | (5) अपेयेषु तडागेषु बहुतरं उदकं भवति । | ||
( जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता , उसमें बहुत जल भरा होता | (जिस तालाब का पानी पीने योग्य नहीं होता, उसमें बहुत जल भरा होता है।) | ||
( | (6) अङ्गुलिप्रवेशात् बाहुप्रवेश: | | ||
( अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता | (अंगुली प्रवेश होने के बाद हाथ प्रवेश किया जता है।) | ||
( | (7) अति तृष्णा विनाशाय | | ||
( अधिक लालच नाश कराती | (अधिक लालच नाश कराती है।) | ||
( | (8) अति सर्वत्र वर्जयेत् । | ||
( अति ( को करने ) से सब जगह बचना | (अति (को करने) से सब जगह बचना चाहिये।) | ||
( | (9) अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्। | ||
( शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती | (शेर की कृपा से बकरी जंगल मे बिना भय के चरती है।) | ||
( | (10) अतिभक्ति चोरलक्षणम्। | ||
( अति-भक्ति चोर का लक्षण | (अति-भक्ति चोर का लक्षण है।) | ||
( | (11) अल्पविद्या भयङ्करी। | ||
( अल्पविद्या भयंकर होती | (अल्पविद्या भयंकर होती है।) | ||
( | (12) कुपुत्रेण कुलं नष्टम्। | ||
( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता | ( कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है।) | ||
( | (13) ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:। | ||
( ज्ञानहीन पशु के समान | (ज्ञानहीन पशु के समान हैं।) | ||
( | (14) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्। | ||
( सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती | (सोलह वर्ष की होने पर गदही भी अप्सरा बन जाती है।) | ||
( | (15) प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्। | ||
( सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरण करना | (सोलह वर्ष की अवस्था को प्राप्त पुत्र से मित्र की भाँति आचरण करना चाहिये।) | ||
( | (16) मधुरेण समापयेत्। | ||
( मिठास के साथ ( मीठे वचन या मीठा स्वाद ) समाप्त करना | (मिठास के साथ (मीठे वचन या मीठा स्वाद) समाप्त करना चाहिये।) | ||
( | (17) मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना। | ||
( हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता | (हर व्यक्ति अलग तरह से सोचता है।) | ||
( | (18) शठे शाठ्यं समाचरेत् । | ||
( दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना | (दुष्ट के साथ दुष्टता का वर्ताव करना चाहिये।) | ||
( | (19) सत्यं शिवं सुन्दरम्। | ||
( सत्य , कल्याणकारी और | (सत्य, कल्याणकारी और सुन्दर। (किसी रचना/कृति या विचार को परखने की कसौटी)) | ||
( | (20) सा विद्या या विमुक्तये। | ||
( विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती | (विद्या वह है जो बन्धन-मुक्त करती है।) | ||
( | (21) त्रियाचरित्रं पुरुषस्य भग्यं दैवो न जानाति कुतो नरम् । | ||
( स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता , मनुष्य कहाँ लगता | (स्त्री के चरित्र को और पुरुष के भाग्य को भगवान् भी नहीं जानता, मनुष्य कहाँ लगता है।) | ||
( | (22) कामासक्त व्यक्ति की कोई चिकित्सा नहीं है। - नीतिवाक्यामृत-3।12 | ||
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* कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। | * कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। | ||
* हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। | * हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। | ||
* बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक | * बहुमत की आवाज न्याय का द्योतक नहीं है। | ||
* हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो, परन्तु दुनिया हमे हमारे कर्मो के द्वारा पहचानती है| | * हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हो, परन्तु दुनिया हमे हमारे कर्मो के द्वारा पहचानती है| | ||
* यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते| | * यदि आप मरने का डर है तो इसका यही अर्थ है की आप जीवन के महत्व को ही नहीं समझते| | ||
* अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है| | * अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से अंहकार आ सकता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते है उतनी ही नम्रता आती है| | ||
* मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | * मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है। | ||
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल | * अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | ||
* मुस्कान प्रेम की भाषा है। | * मुस्कान प्रेम की भाषा है। | ||
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | * सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | ||
* अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम | * अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता। | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* कर्म सरल है, विचार कठिन। | * कर्म सरल है, विचार कठिन। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* धन अपना पराया | * धन अपना पराया नहीं देखता। | ||
* पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं। | * पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं। | ||
* संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। | * संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति। | ||
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* तुलसी इस संसार मे, सबसे मिलिये धाय। ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय॥ | * तुलसी इस संसार मे, सबसे मिलिये धाय। ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाँय॥ | ||
* प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। - ईसा मसीह | * प्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। - ईसा मसीह | ||
* जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, | * जो हमारा हितैषी हो, दुख-सुख में बराबर साथ निभाए, ग़लत राह पर जाने से रोके और अच्छे गुणों की तारीफ करे, केवल वही व्यक्ति मित्र कहलाने के काबिल है। - वेद | ||
* दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत। इंसान जरा सैर करे, घर से निकल कर॥ - दाग | * दुनिया में ही मिलते हैं हमे दोजखो-जन्नत। इंसान जरा सैर करे, घर से निकल कर॥ - दाग | ||
* स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। | * स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। | ||
* शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम। (यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते है) | * शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम। (यह शरीर ही सारे अच्छे कार्यों का साधन है / सारे अच्छे कार्य इस शरीर के द्वारा ही किये जाते है) | ||
* मुक्त बाज़ार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है। यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें ख़रीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | * मुक्त बाज़ार में स्वतंत्र अभिव्यक्ति भी न्याय, मानवाधिकार, पेयजल तथा स्वच्छ हवा की तरह ही उपभोक्ता-सामग्री बन चुकी है। यह उन्हें ही हासिल हो पाती हैं, जो उन्हें ख़रीद पाते हैं। वे मुक्त अभिव्यक्ति का प्रयोग भी उस तरह का उत्पादन बनाने में करते हैं जो सर्वथा उनके अनुकूल होता है। - अरुंधती राय | ||
* कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् | * कुलीनता यही है और गुणों का संग्रह भी यही है कि सदा सज्जनों से सामने विनयपूर्वक सिर झुक जाए। - दर्पदलनम् 1।29 | ||
* तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | * तुम प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हो, तुम सुन्दर चेहरा बनवा सकते हो, सुंदर आंखें सुंदर नाक, तुम अपनी चमड़ी बदलवा सकते हो, तुम अपना आकार बदलवा सकते हो। इससे तुम्हारा स्वभाव नहीं बदलेगा। भीतर तुम लोभी बने रहोगे, वासना से भरे रहोगे, हिंसा, क्रोध, ईर्ष्या, शक्ति के प्रति पागलपन भरा रहेगा। इन बातों के लिये प्लास्टिक सर्जन कुछ कर नहीं सकता। - ओशो | ||
* पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा | * पशु पालक की भांति देवता लाठी ले कर रक्षा नहीं करते, वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धी से समायुक्त कर देते है। महाभारत -उद्योग पर्व | ||
* विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। - गीता (अध्याय 2/62, 63) | * विषयों का चिंतन करने वाले मनुष्य की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है। क्रोध से मूढ़ता और बुद्धि भ्रष्टता उत्पन्न होती है। बुद्धि के भ्रष्ट होने से स्मरण-शक्ति विलुप्त हो जाती है, यानी ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है। और जब बुद्धि तथा स्मृति का विनाश होता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। - गीता (अध्याय 2/62, 63) | ||
* एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये, रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम | * एक साधै सब सधे, सब साधे सब जाये, रहीमन, मुलही सिंचीबो, फुले फले अगाय । -रहीम | ||
* जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग, चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम | * जो रहीम उत्तम प्रकृती, का करी सकत कुसंग, चन्दन विष व्यापत नही, लिपटे रहत भुजंग । -रहीम | ||
* रहीमन देखि बडेन को, लघु ना दिजिए डारी, जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम | * रहीमन देखि बडेन को, लघु ना दिजिए डारी, जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारी । -रहीम | ||
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| ;टैगोर व मदर टेरेसा की जयंती पर विशेष डाक टिकट व ट्रेन | | ;टैगोर व मदर टेरेसा की जयंती पर विशेष डाक टिकट व ट्रेन | ||
* डाक विभाग, कोलकाता नोबल पुरस्कार से सम्मानित विश्व कवि कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती तथा मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा की 100वीं जन्म शताब्दी पर डाक टिकट जारी करेगा। संयोग से वर्ष 2010 में टैगोर की 150वी और मदर टेरेसा की 100वीं जयंती है। कोलकाता जीपीओ के निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि कविगुरु ने एक नाटक '''डाक घर''' लिखा था तथा बचपन में वह पोस्टऑफिस में ही काम करना चाहते थे। कविगुरु और मदर पर डाक टिकट के अलावा डायरी, ग्रीटिंग कार्ड और कैलेंडर भी इस वर्ष जारी किये जायेंगे। श्री कुमार ने बताया कि इस बारे में शोध कार्य किया जा रहा है कि मदर टेरेसा के मिशनरोज ऑफ चैरिटी के जरिए गरीबों की सेवा तथा उनके जीवन के अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को ‘बेहतर तरीके’ से कैसे व्यक्त किया जा सके। | * डाक विभाग, कोलकाता नोबल पुरस्कार से सम्मानित विश्व कवि कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती तथा मिशनरीज आफ चैरिटी की संस्थापक मदर टेरेसा की 100वीं जन्म शताब्दी पर डाक टिकट जारी करेगा। संयोग से वर्ष 2010 में टैगोर की 150वी और मदर टेरेसा की 100वीं जयंती है। कोलकाता जीपीओ के निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि कविगुरु ने एक नाटक '''डाक घर''' लिखा था तथा बचपन में वह पोस्टऑफिस में ही काम करना चाहते थे। कविगुरु और मदर पर डाक टिकट के अलावा डायरी, ग्रीटिंग कार्ड और कैलेंडर भी इस वर्ष जारी किये जायेंगे। श्री कुमार ने बताया कि इस बारे में शोध कार्य किया जा रहा है कि मदर टेरेसा के मिशनरोज ऑफ चैरिटी के जरिए गरीबों की सेवा तथा उनके जीवन के अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यो को ‘बेहतर तरीके’ से कैसे व्यक्त किया जा सके। | ||
* इसके अलावा इस साल टैगोर तथा मदर पर डाक टिकट, डायरियां, ग्रीटिंग कार्ड और कलेंडर जारी किए जाएंगे। कॉफी के मग पर दोनों महान विभूतियां के दुर्लभ चित्र और संदेश लिखकर उन्हें बेचा जाएगा। ये सभी वस्तुएं फिलाटेलिक ब्यूरो में उपलब्ध रहेंगे, जिन्हें कलेक्टर्स (संग्रहकर्ता) को पार्सल या वीपीपी से भेजा जायेगा। डाक विभाग को आशा है कि इन उत्पादों की कोलकाता में काफ़ी कद्र होगी, क्योंकि देश भर में सर्वाधिक 52 | * इसके अलावा इस साल टैगोर तथा मदर पर डाक टिकट, डायरियां, ग्रीटिंग कार्ड और कलेंडर जारी किए जाएंगे। कॉफी के मग पर दोनों महान विभूतियां के दुर्लभ चित्र और संदेश लिखकर उन्हें बेचा जाएगा। ये सभी वस्तुएं फिलाटेलिक ब्यूरो में उपलब्ध रहेंगे, जिन्हें कलेक्टर्स (संग्रहकर्ता) को पार्सल या वीपीपी से भेजा जायेगा। डाक विभाग को आशा है कि इन उत्पादों की कोलकाता में काफ़ी कद्र होगी, क्योंकि देश भर में सर्वाधिक 52 हज़ार स्टैंप कलेक्टर यहां हैं। उन्होंने बताया कि यह टिकट संग्रहण ब्यूरो में उपलब्ध होगा तथा मांग पर ज़िलाधिकारी को भेजा जाएगा। | ||
* श्री कुमार ने बताया कि अभिनेता उत्तम कुमार और जादूगर पीसी सरकार पर आधारित उत्पादों की बिक्री भी | * श्री कुमार ने बताया कि अभिनेता उत्तम कुमार और जादूगर पीसी सरकार पर आधारित उत्पादों की बिक्री भी ख़ासी हुई थी। नदिया ज़िले के कृष्णनगर पोस्ट ऑफिस से भगवान कृष्ण पर आधारित 10 हज़ार कैलेंडर बेचे गये थे। उन्होंने बताया कि वह लोगों को डाक टिकट के क़रीब लाना चाहते हैं, क्योंकि इसके ज़रिये देश के इतिहास, संस्कृति, जीवन और विकास का पता चलता है। | ||
* इधर रेलवे की ओर से घोषणा की गयी है कि मदर टेरेसा के नाम पर मदर एक्सप्रेस की शुरूआत की जायेगी। गुरुवार को रेल मंत्री ममता बनर्जी इसकी शुरूआत सियालदह से करेंगी। यह ट्रेन देश भर के विभिन्न स्टेशनों पर अगले छह महीने तक जायेगी। | * इधर रेलवे की ओर से घोषणा की गयी है कि मदर टेरेसा के नाम पर मदर एक्सप्रेस की शुरूआत की जायेगी। गुरुवार को रेल मंत्री ममता बनर्जी इसकी शुरूआत सियालदह से करेंगी। यह ट्रेन देश भर के विभिन्न स्टेशनों पर अगले छह महीने तक जायेगी। | ||
* उदघाटन के मौके पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर प्रेमा, सिस्टर निर्मला, सिस्टर ऐंसी, सिस्टर जोसफ, सिस्टर गेरार्ड, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी, केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री मुकुल राय, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुलतान अहमद, सुदीप बनर्जी, सोमेन मित्रा, शोभन चटर्जी, शिखा मित्रा, शुभाप्रसन्ना, सांवली मित्रा, डेरेक ओ ब्रायन व अन्य मौजूद रहेंगे। | * उदघाटन के मौके पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर प्रेमा, सिस्टर निर्मला, सिस्टर ऐंसी, सिस्टर जोसफ, सिस्टर गेरार्ड, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी, केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री मुकुल राय, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुलतान अहमद, सुदीप बनर्जी, सोमेन मित्रा, शोभन चटर्जी, शिखा मित्रा, शुभाप्रसन्ना, सांवली मित्रा, डेरेक ओ ब्रायन व अन्य मौजूद रहेंगे। | ||
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| विभिन्न क्षेत्रों भारत में प्रथम | | विभिन्न क्षेत्रों भारत में प्रथम | ||
6. फील्ड मार्शल- S.H.F.J. मानेकशा | 6. फील्ड मार्शल - S.H.F.J. मानेकशा | ||
9. वायसराय एक्जिक्यूटिव कौंसिल के प्रथम भारतीय सदस्य- एस. पी. सिन्हा | 9. वायसराय एक्जिक्यूटिव कौंसिल के प्रथम भारतीय सदस्य - एस. पी. सिन्हा | ||
26. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय | 26. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फ़िल्म (silent film) - राजा हरिश्चन्द्र, 1913 में | ||
27. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय | 27. भारत में निर्मित प्रथम भारतीय फ़िल्म (silent film) के निर्माण कर्ता - दादा साहेब फाल्के | ||
28. प्रथम भारतीय रंगीन | 28. प्रथम भारतीय रंगीन फ़िल्म - किशन कन्हैया (1937) | ||
29. सिनेमास्कोप | 29. सिनेमास्कोप फ़िल्म - काग़ज़ के फूल (1959) | ||
30. लाइफ टाइम अचिवमेंट के ऑस्कर पुरस्कार विजेता- सत्यजीत राय (1992) | 30. लाइफ टाइम अचिवमेंट के ऑस्कर पुरस्कार विजेता - सत्यजीत राय (1992) | ||
31. बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन ऑस्कर विजेता- भानु अथैया (1982) | 31. बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन ऑस्कर विजेता - भानु अथैया (1982) | ||
45. ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम भारोत्तोलक - कर्णम मल्लेश्वरी देवी (सिडनी, 2000) | |||
45. ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम भारोत्तोलक- कर्णम मल्लेश्वरी देवी (सिडनी, 2000) | |||
46. शतरंज में प्रथम विश्व चैम्पियन भारतीय - विश्वनाथन आनंद | 46. शतरंज में प्रथम विश्व चैम्पियन भारतीय - विश्वनाथन आनंद | ||
49. दलित वर्ग से प्रथम लोकसभा अध्यक्ष- G. M. C. बालयोगी | 49. दलित वर्ग से प्रथम लोकसभा अध्यक्ष - G. M. C. बालयोगी | ||
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| | | कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचन इस प्रकार है। | ||
विवाह के बाद कन्या वर के वाम अंग में बैठने से पूर्व उससे सात वचन लेती है। | |||
1-तीर्थव्रतोद्यापनयज्ञ दानं मया सह त्वं यदि कान्तकुर्या:। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद वाक्यं प्रथमं कुमारी।। | |||
कन्या कहती है, स्वामिन् तीर्थ व्रत, उद्यापन, यज्ञ, दान आदि सभी शुभ कार्य तुम मेरे साथ करो तो में तुम्हारे वाम अंग में आऊ।। | |||
2-हव्यप्रदानैरमरान् पितृश्चं कव्यं प्रदानैर्यदि पूजयेथा:। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं द्वितीयकम्।। | |||
यदि तुम हव्य देकर देवताओं को और कव्य देकर पितरों की पूजा करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग मैं आऊ। | |||
3-कुटुम्बरक्षाभरंणं यदि त्वं कुर्या: पशूनां परिपालनं च। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं तृतीयम्।। | |||
यदि तुम मेरी तथा परिवार की रक्षा करो तथा पशुओं का पालन करो तो मै तुम्हारे वाम अंग मै आऊँ। यह तीसरी बात कन्या ने कही। | |||
4-आयं व्ययं धान्यधनादिकानां पृष्टवा निवेशं प्रगृहं निदध्या:।। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं चतुर्थकम्।। | |||
यदि तुम धन-धान्यादिकों का आय व्यय मेरी सम्मती से करो तो मै तुम्हारे वाग अंग में आऊँ। यह चौथा वचन है। | |||
5-देवालयारामतडागकूपं वापी विदध्या:यदि पूजयेथा:। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं पंचमम्।। | |||
यदि देवालय, बाग, कूप, तालाब, बावली बनवाकर पूजा करो तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आऊँ। | |||
6-देशान्तरे वा स्वपुरान्तरे वा यदा विदध्या:क्रयविक्रये त्वम्। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं षष्ठम्।। | |||
यदि तुम अपने नगर में या किसी विदेश में जाकर व्यापार या नौकरी करो तो मैं तुम्हारे वाग अंग में आऊँ। | |||
7-न सेवनीया परिकी यजाया त्वया भवेभाविनि कामनीश्च। | |||
वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं सप्तम्।। | |||
यदि तुम परायी स्त्री को स्पर्श न करो तो मैं तुम्हारे वाम अंग में आऊँ। यह सातवां वचन है। | |||
चलिये हम याद दिलवा देते हैं उन वचनों को। | |||
वधू के द्वारा वर से लिये गये वचनः | |||
प्रथम वचनः यदि यज्ञं कुर्यात्तस्मिन्मम सम्मतिं गृ्हणीयात !! | |||
अर्थात् यज्ञादि शुभ कार्य मेरी सम्मति से ही करेंगे। | |||
द्वितीय वचनः यदि दानं कुर्यात्तस्मिन्नपि मम सम्मति गृ्हणियात !! | |||
दानादि मेरी सम्मति से ही करेंगे। | |||
तृतीय वचनः अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात !! | |||
अर्थात् युवा, प्रौढ़ और वृ्द्ध तीनों अवस्थाओं में मेरा पालन करेंगे। | |||
चतुर्थ वचनः धनादिगोपने मम सम्मतिं गृ्हणीयात !! | |||
अर्थात् गुप्त रूप से धनादि संचय मेरी सम्मति से ही करेंगे। | |||
पंचम वचनः गवादि पशु क्रय-विक्रये मम सम्मतिं गृ्हणीयात !! | |||
अर्थात् गाय, बैल, घोडा आदि पशुओं (वर्तमान में वाहनादि) के क्रय विक्रय में भी मेरी सम्मति लेंगे। | |||
षष्ठम वचनः बसन्तादि षटऋतुषु मम पालनं कुर्यात !! | |||
अर्थात् वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर इन छहों ऋतुओं में मेरा पालन करेंगे। | |||
सप्तम वचनः सखीष्य मम हास्यं कटुवाक्यम न वदेत न कुर्यात! तद्दहं भवतां वामांगें आगच्छामि !! | |||
अर्थात् मेरे साथ की सखी सहेलियों के सामने मेरी हँसीं न उडाएं और न ही कठोर कटु वचनों का प्रयोग करें। | |||
आप उपरोक्त सातों वचनों का पालन करेंगे तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूँ। | |||
वर के द्वारा वधू से लिया गया वचनः | |||
उद्याने मद्यपाने च पितागृ्हगमनेन च !! | |||
आज्ञा भंगो न कर्तव्यं वरवाक्यचतुष्टयकम !! | |||
अर्थात निर्जन स्थान, उद्यान, वनादि में न जाए, दूसरे मद्य (शराब) पीने वाले मनुष्य के सामने न जाए, तीसरे यहाँ तक कि अपने पिता के घर भी मेरी आज्ञा के बिना न जाए, चौथे धर्म शास्त्रोचित कभी भी मेरी आज्ञा भंग न करे तो ही तुम मेरे वामांग में स्थान ग्रहण कर सकती हो। | |||
शादी में सात फेरे क्यों लगाए जाते हैं? | |||
जिसमें पहला वचन होता है, पति-पत्नी को जीवन भर पर्याप्त और सम्मानित ढंग से भोजन मिलता रहे, दूसरा दोनों का जीवन शांतिपूर्ण और स्वस्थ ढंग से बीते, तीसरा दोनों अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक दायित्वों को निभा सकें, चौथा फेरा इस वचन के साथ लिया जाता है कि दोनों सौहार्द्र और परस्पर प्रेम के साथ जीवन बितायें, पाँचवे फेरे का वचन होता है विश्व का कल्याण हो और संतान कि प्राप्ति हो, छठे में प्रार्थना की जाती है कि सभी ऋतुएं अपने अपने ढंग से समुचित धनधान्य उत्पन्न करके दुनिया भर को सुख दें क्योंकि सभी के सुख में दंपत्ति का भी भला होता है और सातवें फेरे में पति-पत्नी परस्पर विश्वास, एकता, मतैक्य और शांति के साथ जीवन बिता सकें। इन सात फेरों के साथ लिए वचनों में अपने और विश्व की शांति और सुख की प्रार्थना की जाती है। | |||
वर के द्वारा दिए जाने वाले वचन ऐसे है जिनमें उसे गृहस्थी का सम्पूर्ण दायित्व सौपा जाता है ताकि दोनों की गृहस्थी सुख पूर्वक चले। | |||
वर से वधु द्वारा लिए जाने वाले वचन इस प्रकार है। गृहस्थ जीवन में सुख-दु:ख की स्थितियां आती रहती हैं, लेकिन तुम हमेशा अपना स्वभाव मधुर रखोगे। मुझे बताये बिना कुआं - बावड़ी - तालाब का निर्माण, यज्ञ-महोत्सव का आयोजन और यात्रा नहीं करोगे। | |||
मेरे व्रत, दान और धर्म कार्यों में रोक-टोक नहीं करोगे। मेहनत से जो कुछ भी अर्जित करोगे, मुझे सौंपोगे। मेरी राय के बिना कोई भी चल-अचल सम्पति का क्रय-विक्रय नहीं करोगे। घर की सभी कीमती चीजें, गहने, आभूषण मुझे रखने के लिए दोगे। माता-पिता के किसी आयोजन में मेरे मायके जाने पर आपत्ति नहीं लोगे। | |||
वचन जो वर लेता है वधु से | |||
पहला – अगर तुम मेरी अर्द्धांगिनी बनना चाहती हो तो किसी पर पुरुष से नहीं मिलना, बिना बताए मायके नहीं जाना और किसी निर्जन स्थान पर नहीं जाना। | |||
दूसरा – रात में घर से नहीं निकलना और पानी भरने नहीं जाना। | |||
तीसरा – किसी भी पूजन, जप, तप में मेरे साथ रहना। | |||
चौथा – कभी कोई दान अकेले नहीं करना, उसमें मुझे सहभागी बनाना। | |||
पांचवां – किसी पर पुरुष के साथ नहीं रहना और कहीं भी अकेले नहीं जाना। | |||
वचन जो वधु लेती है वर से | |||
छठवां – आप मुझे हर स्थान पर अपने साथ लेकर चलना, देश हो या विदेश। | |||
सातवां – किसी भी काम को करने से पहले मुझसे सलाह ज़रूर लेना। | |||
और ये वचन दोनों के लिए | |||
आठवां – शादी के तुरंत बाद अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूर कराएंगे। | |||
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| | | ओ3म् (ॐ) नाम में हिन्दू, मुस्लिम या ईसाइ जैसी कोई बात नहीं है। यह सोचना कि ओ3म् किसी एक धर्म की निशानी है, ठीक बात नहीं, अपितु यह तो तब से चला आया है जब कोई अलग धर्म ही नहीं बना था। बल्कि ओ3म् तो किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है। यह तो अच्छाई, शक्ति, ईश्वर भक्ति और आदर का प्रतीक है। उदाहरण के लिए अगर हिन्दू अपने सब मन्त्रों और भजनों में इसको शामिल करते हैं तो ईसाई और यहूदी भी इसके जैसे ही एक शब्द आमेन का प्रयोग धार्मिक सहमति दिखाने के लिए करते हैं। मुस्लिम इसको आमीन कह कर याद करते हैं, बौद्ध इसे ओं मणिपद्मे हूं कह कर प्रयोग करते हैं। सिख मत भी इक ओंकार अर्थात एक ओ3म के गुण गाता है। अंग्रेज़ी का शब्द omni, जिसके अर्थ अनंत और कभी ख़त्म न होने वाले तत्त्वों पर लगाए जाते हैं (जैसे omnipresent, omnipotent) भी वास्तव में इस ओ3म् शब्द से ही बना है। इतने से यह सिद्ध है कि ओ3म् किसी मत, मज़हब या सम्प्रदाय से न होकर पूरी इंसानियत का है। ठीक उसी तरह जैसे कि हवा, पानी, सूर्य, ईश्वर, वेद आदि सब पूरी इंसानियत के लिए हैं न कि केवल किसी एक सम्प्रदाय के लिए। | ||
यजुर्वेद [2/13, 40/15, 17] ऋग्वेद [1/3/7] आदि स्थानों पर तथा इसके अलावा गीता और उपनिषदों में | यजुर्वेद [2/13, 40/15, 17] ऋग्वेद [1/3/7] आदि स्थानों पर तथा इसके अलावा गीता और उपनिषदों में ओ3म् का बहुत गुणगान हुआ है। मांडूक्य उपनिषद तो इसकी महिमा को ही समर्पित है। | ||
; | ;ओ3म् का अर्थ | ||
वैदिक साहित्य इस बात पर एकमत है कि | वैदिक साहित्य इस बात पर एकमत है कि ओ3म् ईश्वर का मुख्य नाम है। योग दर्शन [1/27, 28] में यह स्पष्ट है। यह ओ3म् शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है - अ, उ, म । प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है। जैसे अ से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है। उ से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है। म से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है। ये तो बहुत थोड़े से उदाहरण हैं जो ओ3म् के प्रत्येक अक्षर से समझे जा सकते हैं। वास्तव में अनंत ईश्वर के अनगिनत नाम केवल इस ओ3म् शब्द में ही आ सकते हैं, और किसी में नहीं। | ||
वास्तव में हरेक ध्वनि हमारे मन में कुछ भाव उत्पन्न करती है। सृष्टि की शुरूआत में जब ईश्वर ने ऋषियों के हृदयों में वेद प्रकाशित किये तो हरेक शब्द से सम्बंधित उनके निश्चित अर्थ ऋषियों ने ध्यान अवस्था में प्राप्त किये। ऋषियों के अनुसार | वास्तव में हरेक ध्वनि हमारे मन में कुछ भाव उत्पन्न करती है। सृष्टि की शुरूआत में जब ईश्वर ने ऋषियों के हृदयों में वेद प्रकाशित किये तो हरेक शब्द से सम्बंधित उनके निश्चित अर्थ ऋषियों ने ध्यान अवस्था में प्राप्त किये। ऋषियों के अनुसार ओ3म् शब्द के तीन अक्षरों से भिन्न भिन्न अर्थ निकलते हैं, जिनमें से कुछ ऊपर दिए गए हैं। | ||
ऊपर दिए गए शब्द-अर्थ सम्बन्ध का ज्ञान ही वास्तव में वेद मन्त्रों के अर्थ में सहायक होता है और इस ज्ञान के लिए मनुष्य को योगी अर्थात ईश्वर को जानने और अनुभव करने वाला होना चाहिए। परन्तु दुर्भाग्य से वेद पर अधिकतर उन लोगों ने कलम चलाई है जो योग तो दूर, यम नियमों की परिभाषा भी नहीं जानते थे। सब पश्चिमी वेद भाष्यकार इसी श्रेणी में आते हैं। तो अब प्रश्न यह है कि जब तक साक्षात ईश्वर का प्रत्यक्ष ना हो तब तक वेद कैसे समझें ? तो इसका उत्तर है कि ऋषियों के लेख और अपनी बुद्धि से सत्य असत्य का निर्णय करना ही सब बुद्धिमानों को अत्यंत उचित है। ऋषियों के ग्रन्थ जैसे उपनिषद्, दर्शन, ब्राह्मण ग्रन्थ, निरुक्त, निघंटु, सत्यार्थ प्रकाश, भाष्य भूमिका इत्यादि की सहायता से वेद मन्त्रों पर विचार करके अपने सिद्धांत बनाने चाहियें और इसमें यह भी है कि पढने के साथ साथ यम नियमों का कड़ाई से पालन बहुत जरूरी है। वास्तव में वेदों का सच्चा स्वरुप तो समाधि अवस्था में ही स्पष्ट होता है, जो कि यम नियमों के अभ्यास से आती है। | ऊपर दिए गए शब्द-अर्थ सम्बन्ध का ज्ञान ही वास्तव में वेद मन्त्रों के अर्थ में सहायक होता है और इस ज्ञान के लिए मनुष्य को योगी अर्थात ईश्वर को जानने और अनुभव करने वाला होना चाहिए। परन्तु दुर्भाग्य से वेद पर अधिकतर उन लोगों ने कलम चलाई है जो योग तो दूर, यम नियमों की परिभाषा भी नहीं जानते थे। सब पश्चिमी वेद भाष्यकार इसी श्रेणी में आते हैं। तो अब प्रश्न यह है कि जब तक साक्षात ईश्वर का प्रत्यक्ष ना हो तब तक वेद कैसे समझें ? तो इसका उत्तर है कि ऋषियों के लेख और अपनी बुद्धि से सत्य असत्य का निर्णय करना ही सब बुद्धिमानों को अत्यंत उचित है। ऋषियों के ग्रन्थ जैसे उपनिषद्, दर्शन, ब्राह्मण ग्रन्थ, निरुक्त, निघंटु, सत्यार्थ प्रकाश, भाष्य भूमिका इत्यादि की सहायता से वेद मन्त्रों पर विचार करके अपने सिद्धांत बनाने चाहियें और इसमें यह भी है कि पढने के साथ साथ यम नियमों का कड़ाई से पालन बहुत जरूरी है। वास्तव में वेदों का सच्चा स्वरुप तो समाधि अवस्था में ही स्पष्ट होता है, जो कि यम नियमों के अभ्यास से आती है। | ||
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# अहिंसा (किसी सज्जन और बेगुनाह को मन, वचन या कर्म से दुःख न देना) | # अहिंसा (किसी सज्जन और बेगुनाह को मन, वचन या कर्म से दुःख न देना) | ||
# सत्य (जो मन में सोचा हो वही वाणी से बोलना और वही अपने कर्म में करना) | # सत्य (जो मन में सोचा हो वही वाणी से बोलना और वही अपने कर्म में करना) | ||
# अस्तेय (किसी की कोई | # अस्तेय (किसी की कोई चीज़ विना पूछे न लेना) | ||
# ब्रह्मचर्य (अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना विशेषकर अपनी यौन इच्छाओं पर पूर्ण नियंत्रण) | # ब्रह्मचर्य (अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना विशेषकर अपनी यौन इच्छाओं पर पूर्ण नियंत्रण) | ||
# अपरिग्रह (सांसारिक वस्तु भोग व धन आदि में लिप्त न होना) | # अपरिग्रह (सांसारिक वस्तु भोग व धन आदि में लिप्त न होना) | ||
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# ईश्वर प्रणिधान (अपने सब काम ऐसे करना जैसे कि ईश्वर सदा देख रहा है और फिर काम करके उसके फल की चिंता ईश्वर पर ही छोड़ देना) | # ईश्वर प्रणिधान (अपने सब काम ऐसे करना जैसे कि ईश्वर सदा देख रहा है और फिर काम करके उसके फल की चिंता ईश्वर पर ही छोड़ देना) | ||
*'''ध्यान का नियम''' -- यम नियम तो आत्मा रुपी बर्तन की सफाई के लिए है ताकि उसमें ईश्वर अपने प्रेम का भोजन दे सके। वह भोजन सुबह शाम एकाग्र मन के साथ ईश्वर से माँगना चाहिए। | *'''ध्यान का नियम''' -- यम नियम तो आत्मा रुपी बर्तन की सफाई के लिए है ताकि उसमें ईश्वर अपने प्रेम का भोजन दे सके। वह भोजन सुबह शाम एकाग्र मन के साथ ईश्वर से माँगना चाहिए। ओ3म् का उच्चारण इसी भोजन मांगने की प्रक्रिया है, अब क्या करना चाहिए वह नीचे लिखते हैं। | ||
# किसी जगह जहाँ शुद्ध हवा हो, वहां अच्छी जगह पर कमर सीधी कर के बैठ जाएँ, आँख बंद करके थोड़ी देर गहरे सांस धीरे धीरे लीजिये और छोड़िये जिससे शरीर में कोई तनाव न रहे। | # किसी जगह जहाँ शुद्ध हवा हो, वहां अच्छी जगह पर कमर सीधी कर के बैठ जाएँ, आँख बंद करके थोड़ी देर गहरे सांस धीरे धीरे लीजिये और छोड़िये जिससे शरीर में कोई तनाव न रहे। | ||
# दिन में 4 बार | # दिन में 4 बार ओ3म् का उच्चारण बहुत उपयोगी है, पहला सुबह सोकर उठते ही, दूसरा शौच व स्नान के बाद, तीसरा सूर्यास्त के समय शाम को और चौथा रात सोने से एकदम पहले। इसके अलावा जब कभी ख़ाली बैठे किसी की प्रतीक्षा या यात्रा कर रहे हों तो भी इसे कर सकते हैं। | ||
# धीरे धीरे उच्चारण की लम्बाई बढ़ा सकते हैं, पर उतनी ही जितनी अपने सामर्थ्य में हो। | # धीरे धीरे उच्चारण की लम्बाई बढ़ा सकते हैं, पर उतनी ही जितनी अपने सामर्थ्य में हो। | ||
# कम से कम एक समय में 5 बार | # कम से कम एक समय में 5 बार ज़रूर उच्चारण करें, मुंह से बोलने के बजाय मन में भी उच्चारण कर सकते हैं। | ||
# अपने हर बार के उच्चारण में ईश्वर को पाने की इच्छा और उसके लिए प्रयास करने का वादा मन ही मन ईश्वर से करना चाहिए। | # अपने हर बार के उच्चारण में ईश्वर को पाने की इच्छा और उसके लिए प्रयास करने का वादा मन ही मन ईश्वर से करना चाहिए। | ||
# हर बार उठने से पहले यह प्रतिज्ञा करनी कि अगली बार बैठूँगा तो इस बार से श्रेष्ठ चरित्र का व्यक्ति होकर बैठूँगा, अर्थात हर बार उठने के बाद अपने जीवन का हर काम अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए करना, कभी ईश्वर को दी हुई प्रतिज्ञा नहीं तोड़ना। | # हर बार उठने से पहले यह प्रतिज्ञा करनी कि अगली बार बैठूँगा तो इस बार से श्रेष्ठ चरित्र का व्यक्ति होकर बैठूँगा, अर्थात हर बार उठने के बाद अपने जीवन का हर काम अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए करना, कभी ईश्वर को दी हुई प्रतिज्ञा नहीं तोड़ना। |
12:05, 2 मई 2015 के समय का अवतरण
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
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ख़ूबसूरत बातें
- ख़ूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है।
- ख़ूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए।
- ख़ूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए।
- ख़ूबसूरत है वो जज़बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे।
- ख़ूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो।
- ख़ूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ।
- ख़ूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने ख़ूबसूरत ख्वाब समा जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए।
- ख़ूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ।
- ख़ूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल आ जाए।
डा॰ मनीष कुमारवैश्य |
National Anthem =
मेरे पृष्ट पर आप का स्वागत है !
Hello.
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