"ओडिसी नृत्य": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('ओडिसी को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "निरुपण" to "निरूपण")
 
(6 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
ओडिसी को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित [[शास्त्रीय नृत्‍य]] रूपों में से एक माना जाता है। [[उड़ीसा]] के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओडिसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। ओडिसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही कोणार्क के सूर्य मंदिर के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।
[[चित्र:Odissi-Dance.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]|250px|thumb]]
'''ओडिसी नृत्य''' को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित [[शास्त्रीय नृत्य]] रूपों में से एक माना जाता है। [[उड़ीसा]] के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओडिसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। ओडिसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही कोणार्क के सूर्य मंदिर के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।
==प्रमुख पक्ष==
==प्रमुख पक्ष==
किसी अन्‍य भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य रूप के समान ओडिसी के दो प्रमुख पक्ष हैं: नृत्‍य या गैर निरुपण नृत्‍य, जहाँ अंतरिक्ष और समय में शरीर की भंगिमाओं का उपयोग करते हुए सजावटी पैटर्न सृजित किए जाते हैं। इसका एक अन्‍य रूप अभिनय है, जिसे सांकेतिक हाथ के हाव भाव और चेहरे की अभिव्‍यक्तियों को कहानी या विषयवस्तु समझाने में उपयोग किया जाता है।
किसी अन्‍य भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य रूप के समान ओडिसी के दो प्रमुख पक्ष हैं: नृत्‍य या गैर निरूपण नृत्‍य, जहाँ अंतरिक्ष और समय में शरीर की भंगिमाओं का उपयोग करते हुए सजावटी पैटर्न सृजित किए जाते हैं। इसका एक अन्‍य रूप अभिनय है, जिसे सांकेतिक हाथ के हाव भाव और चेहरे की अभिव्‍यक्तियों को कहानी या विषयवस्तु समझाने में उपयोग किया जाता है।
==त्रिभंग==
==त्रिभंग==
इसमें त्रिभंग पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है, जिसका अर्थ है शरीर को तीन भागों में बांटना, सिर, शरीर और पैर; मुद्राएं और अभिव्‍यक्तियाँ भरत नाट्यम के समान होती है। ओडिसी नृत्‍य में [[कृष्ण]], भगवान [[विष्णु]] के आठवें अवतार के बारे में कथाएं बताई जाती हैं। यह एक कोमल, कवितामय शास्‍त्री नृत्‍य है जिसमें उड़ीसा के परिवेश तथा इसके सर्वाधिक लोकप्रिय [[देवता]], भगवान [[जगन्नाथ]] की महिमा का गान किया जाता है।
इसमें त्रिभंग पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है, जिसका अर्थ है शरीर को तीन भागों में बांटना, सिर, शरीर और पैर; मुद्राएं और अभिव्‍यक्तियाँ भरत नाट्यम के समान होती है। ओडिसी नृत्‍य में [[कृष्ण]], भगवान [[विष्णु]] के आठवें अवतार के बारे में कथाएं बताई जाती हैं। यह एक कोमल, कवितामय शास्‍त्री नृत्‍य है जिसमें उड़ीसा के परिवेश तथा इसके सर्वाधिक लोकप्रिय [[देवता]], भगवान [[जगन्नाथ]] की महिमा का गान किया जाता है।
पंक्ति 7: पंक्ति 8:
ओडिसी नृत्‍य भगवान कृष्‍ण के प्रति समर्पित है और इसके छंद संस्‍कृति नाटक गीत गोविंदम से लिए गए हैं, जिन्‍हें प्रेम और भगवान के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करने में उपयोग किया जाता है।
ओडिसी नृत्‍य भगवान कृष्‍ण के प्रति समर्पित है और इसके छंद संस्‍कृति नाटक गीत गोविंदम से लिए गए हैं, जिन्‍हें प्रेम और भगवान के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करने में उपयोग किया जाता है।


[[Category:कला कोश]] [[Category:कला]]
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==वीथिका==
<gallery>
चित्र:Odissi-Dance-1.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
चित्र:Odissi-Dance-2.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
चित्र:Odissi-Dance-3.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
चित्र:Odissi-Dance-5.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
चित्र:Odissi-Dance-6.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
चित्र:Odissi-Dance-7.jpg|ओडिसी नृत्य, [[उड़ीसा]]
 
</gallery>
 
==संबंधित लेख==
{{नृत्य कला}}
[[Category:शास्त्रीय नृत्य]]
[[Category:नृत्य कला]]
[[Category:कला कोश]]
[[Category:संस्कृति कोश]]  
__INDEX__
__NOTOC__

07:52, 6 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

ओडिसी नृत्य, उड़ीसा

ओडिसी नृत्य को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक माना जाता है। उड़ीसा के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओडिसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। ओडिसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही कोणार्क के सूर्य मंदिर के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।

प्रमुख पक्ष

किसी अन्‍य भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य रूप के समान ओडिसी के दो प्रमुख पक्ष हैं: नृत्‍य या गैर निरूपण नृत्‍य, जहाँ अंतरिक्ष और समय में शरीर की भंगिमाओं का उपयोग करते हुए सजावटी पैटर्न सृजित किए जाते हैं। इसका एक अन्‍य रूप अभिनय है, जिसे सांकेतिक हाथ के हाव भाव और चेहरे की अभिव्‍यक्तियों को कहानी या विषयवस्तु समझाने में उपयोग किया जाता है।

त्रिभंग

इसमें त्रिभंग पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है, जिसका अर्थ है शरीर को तीन भागों में बांटना, सिर, शरीर और पैर; मुद्राएं और अभिव्‍यक्तियाँ भरत नाट्यम के समान होती है। ओडिसी नृत्‍य में कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार के बारे में कथाएं बताई जाती हैं। यह एक कोमल, कवितामय शास्‍त्री नृत्‍य है जिसमें उड़ीसा के परिवेश तथा इसके सर्वाधिक लोकप्रिय देवता, भगवान जगन्नाथ की महिमा का गान किया जाता है।

ओडिसी नृत्‍य भगवान कृष्‍ण के प्रति समर्पित है और इसके छंद संस्‍कृति नाटक गीत गोविंदम से लिए गए हैं, जिन्‍हें प्रेम और भगवान के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करने में उपयोग किया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

संबंधित लेख