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'''नेजा नृत्य''' [[राजस्थान]] के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। यह नृत्य प्रसिद्ध [[हिन्दू]] त्योहार '[[होली]]' के तीसरे दिन किया जाता है।
'''नेजा नृत्य''' [[राजस्थान]] के प्रसिद्ध [[लोक नृत्य|लोक नृत्यों]] में से एक है। यह नृत्य प्रसिद्ध [[हिन्दू]] त्योहार '[[होली]]' के तीसरे दिन किया जाता है।<br />
 
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*इस [[नृत्य]] में [[भील|भील जाति]] के स्त्री तथा पुरुष भाग लेते हैं।
*इस नृत्य को भील व मीणा जाति के लोग मिलकर करते हैं ।
*राजस्थान के डूँगरपुर, [[उदयपुर]], [[पाली]] व [[सिरोही]] क्षेत्र में नेजा नृत्य अधिक प्रचलित है।
*राजस्थान के डूँगरपुर, [[उदयपुर]], [[पाली]] व [[सिरोही]] क्षेत्र में नेजा नृत्य अधिक प्रचलित है।
*यह भीलों का एक खेल नृत्य है।
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*खम्बे से नारियल उतारने वाले पुरुष को घेरकर खड़ी स्त्रियाँ छड़ियों व कोड़ों से पीटती हैं।
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15:21, 2 जून 2021 के समय का अवतरण

नेजा नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार 'होली' के तीसरे दिन किया जाता है।

  • इस नृत्य को भील व मीणा जाति के लोग मिलकर करते हैं ।
  • राजस्थान के डूँगरपुर, उदयपुर, पालीसिरोही क्षेत्र में नेजा नृत्य अधिक प्रचलित है।
  • यह भीलों का एक खेल नृत्य है।
  • होली के तीसरे दिन खम्भे को भूमि में रोपकर उसके ऊपरी सिरे पर नारियल रखकर इस नृत्य को किया जाता है।
  • खम्बे से नारियल उतारने वाले पुरुष को घेरकर खड़ी स्त्रियाँ छड़ियों व कोड़ों से पीटती हैं।
  • इस नृत्य के अवसर पर ढोल पर पगाल्या लेना नामक थाप दी जाती है।
  • नेजा नृत्य मेवाड़ क्षेत्र में किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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