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'''सावर्णि मनु''' [[हिन्दू]] मान्यताओं तथा पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार [[मनु|14 मनु]] में से आठवें [[मनु]] थे। सूर्य का तेज सहन न कर सकने के कारण उनकी पत्नी संज्ञा पिता के घर चली गयी और अपनेर वर्ण की एक छाया (सवर्णा) छोड़ गयी। सावर्णि इसी सवर्णा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य के पुत्र थे। | '''सावर्णि मनु''' [[हिन्दू]] मान्यताओं तथा पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार [[मनु|14 मनु]] में से आठवें [[मनु]] थे। सूर्य का तेज सहन न कर सकने के कारण उनकी पत्नी संज्ञा पिता के घर चली गयी और अपनेर वर्ण की एक छाया (सवर्णा) छोड़ गयी। सावर्णि इसी सवर्णा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य के पुत्र थे। | ||
06:02, 9 जून 2016 के समय का अवतरण
सावर्णि | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सावर्णि (बहुविकल्पी) |
सावर्णि मनु हिन्दू मान्यताओं तथा पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार 14 मनु में से आठवें मनु थे। सूर्य का तेज सहन न कर सकने के कारण उनकी पत्नी संज्ञा पिता के घर चली गयी और अपनेर वर्ण की एक छाया (सवर्णा) छोड़ गयी। सावर्णि इसी सवर्णा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य के पुत्र थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 519 |
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