"वन्यजीव सप्ताह": अवतरणों में अंतर
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'''वन्यजीव सप्ताह''' प्रतिवर्ष [[भारत]] में [[2 अक्टूबर]] से [[8 अक्टूबर]] तक मनाया जाता है। केंद्र व राज्य सरकारों, पर्यावरणविदों, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों आदि द्वारा लोगों में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेज़ीलाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। भारत में विभिन्न प्रजातियों का विशाल भण्डार है, इसलिए भी भारत में कई सम्मेलनों, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रकृति प्रेमियों के बीच सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में बच्चों के लिए वन्यजीवों से संबंधित [[निबन्ध]] लेखन, चित्रकला, संभाषण, फ़िल्म स्क्रीनिंग आदि प्रयोगिताओं का आयोजन किया जाता है। | |||
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इस अभियान की उद्देशिका यह है कि हमें हमेशा प्रत्येक वन्यप्राणी, पशु-पक्षियों और पौधों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार ने कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी घोषित किया है। सरकार ने अधिनियम के तहत सभी जंगली जानवरों और पक्षियों आदि के शिकार पर रोक लगाई। सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान भी रखा गया। प्रकृति के अनुसार मानव, पर्यावरण और वन्यजीव एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। [[मानव शरीर]] व [[मस्तिष्क]] को स्वस्थ रखने, शुद्ध [[ऊर्जा]] प्राप्त करने के लिये पर्यावरण को शुद्ध व साफ सुथरा रखना बेहद ही | इस अभियान की उद्देशिका यह है कि हमें हमेशा प्रत्येक वन्यप्राणी, पशु-पक्षियों और पौधों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार ने कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी घोषित किया है। सरकार ने अधिनियम के तहत सभी जंगली जानवरों और पक्षियों आदि के शिकार पर रोक लगाई। सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान भी रखा गया। प्रकृति के अनुसार मानव, पर्यावरण और वन्यजीव एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। [[मानव शरीर]] व [[मस्तिष्क]] को स्वस्थ रखने, शुद्ध [[ऊर्जा]] प्राप्त करने के लिये पर्यावरण को शुद्ध व साफ सुथरा रखना बेहद ही ज़रूरी है। पर्यावरण से ही मानव का जीवन सम्भव है और पर्यावरण को शुद्ध व साफ-सुथरा रखना है तो वन व वन्यजीवों की सुरक्षा करना ज़रूरी है। | ||
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वन्यजीव सप्ताह मनाने की गंभीरता; स्कूली बच्चों, युवा लोगों और आम जनता को वन्य जीवन के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के साथ-साथ सरकार के काम करने में, नीतियों को डिज़ाइन करने में तथा आज के बदलते परिवेश में वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों का समाधान करने में भी मदद करती है। भारत [[संस्कृति]] और सभ्यता का प्रतीक है। यहाँ प्रत्येक दिन को महत्ता दी गई है, जिसे हम किसी न किसी रूप में मनाते हैं। इसी के चलते देश में [[2 अक्टूबर]] से [[8 अक्टूबर]] तक वन्यजीव सप्ताह के रूप में मनाते हैं। वन्यजीव पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। देश के धन का गठन इन्हीं से होता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं। | वन्यजीव सप्ताह मनाने की गंभीरता; स्कूली बच्चों, युवा लोगों और आम जनता को वन्य जीवन के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के साथ-साथ सरकार के काम करने में, नीतियों को डिज़ाइन करने में तथा आज के बदलते परिवेश में वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों का समाधान करने में भी मदद करती है। भारत [[संस्कृति]] और सभ्यता का प्रतीक है। यहाँ प्रत्येक दिन को महत्ता दी गई है, जिसे हम किसी न किसी रूप में मनाते हैं। इसी के चलते देश में [[2 अक्टूबर]] से [[8 अक्टूबर]] तक वन्यजीव सप्ताह के रूप में मनाते हैं। वन्यजीव पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। देश के धन का गठन इन्हीं से होता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं। |
08:24, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
वन्यजीव सप्ताह
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विवरण | 'वन्यजीव सप्ताह' भारत में केंद्र व राज्य सरकारों, पर्यावरणविदों, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों आदि द्वारा लोगों में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेज़ीलाने के लिए मनाया जाता है। |
देश | भारत |
तिथि | 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर |
उद्देश्य | वन्यजीव व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूक रहना। |
संबंधित लेख | भारत में वन्य जीवन, विश्व पर्यावरण दिवस |
अन्य जानकारी | भारत में 1927 में 'भारतीय वन अधिनियम' अस्तित्व में आया, जिसके प्रावधानों के अनुसार वन्यजीवों के शिकार एवं वनों की अवैध कटाई को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया। |
वन्यजीव सप्ताह प्रतिवर्ष भारत में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक मनाया जाता है। केंद्र व राज्य सरकारों, पर्यावरणविदों, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों आदि द्वारा लोगों में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेज़ीलाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। भारत में विभिन्न प्रजातियों का विशाल भण्डार है, इसलिए भी भारत में कई सम्मेलनों, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रकृति प्रेमियों के बीच सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में बच्चों के लिए वन्यजीवों से संबंधित निबन्ध लेखन, चित्रकला, संभाषण, फ़िल्म स्क्रीनिंग आदि प्रयोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
शुरुआत
वन्य जीवन प्रकृति की अमूल्य देन है। भविष्य में वन्य प्राणियों की समाप्ति की आशंका के कारण भारत में सर्वप्रथम 7 जुलाई, 1955 को 'वन्य प्राणी दिवस' मनाया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष 2 अक्तूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाएगा। वर्ष 1956 से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। भारत के संरक्षण कार्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मज़बूत संस्थागत ढांचे की रचना की गयी है।
उद्देश्य
भारत में वन्यजीव सप्ताह मनाये जाने के निम्न प्रमुख उद्देश्य हैं-
- प्रत्येक समुदायों व परिवारों को प्रकृति से जोड़ना।
- मानव के अंदर संरक्षण की भावना पैदा करना।
- वन्यजीव व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूक रहना।
इस अभियान की उद्देशिका यह है कि हमें हमेशा प्रत्येक वन्यप्राणी, पशु-पक्षियों और पौधों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार ने कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी घोषित किया है। सरकार ने अधिनियम के तहत सभी जंगली जानवरों और पक्षियों आदि के शिकार पर रोक लगाई। सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान भी रखा गया। प्रकृति के अनुसार मानव, पर्यावरण और वन्यजीव एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। मानव शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने, शुद्ध ऊर्जा प्राप्त करने के लिये पर्यावरण को शुद्ध व साफ सुथरा रखना बेहद ही ज़रूरी है। पर्यावरण से ही मानव का जीवन सम्भव है और पर्यावरण को शुद्ध व साफ-सुथरा रखना है तो वन व वन्यजीवों की सुरक्षा करना ज़रूरी है।
महत्त्व
वन्यजीव सप्ताह मनाने की गंभीरता; स्कूली बच्चों, युवा लोगों और आम जनता को वन्य जीवन के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के साथ-साथ सरकार के काम करने में, नीतियों को डिज़ाइन करने में तथा आज के बदलते परिवेश में वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों का समाधान करने में भी मदद करती है। भारत संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यहाँ प्रत्येक दिन को महत्ता दी गई है, जिसे हम किसी न किसी रूप में मनाते हैं। इसी के चलते देश में 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह के रूप में मनाते हैं। वन्यजीव पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। देश के धन का गठन इन्हीं से होता है। इसमें जंगली जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं।
क्यों मनाते हैं?
वन्यजीवों के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व ही न रह जाएगा, उसका जीवन संकट में पड़ जायेगा। इसलिए वन्यजीवों के महत्व को समझने व इनके प्रति जागरूक रहने के लिए सम्पूर्ण विश्व में एक अभियान के रूप में वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिये प्रत्येक व्यक्ति को आगे लाने के लिए भारतीय वन्य जीव बोर्ड ने वन्यजीव सप्ताह मनाने का निर्णय लिया और तब से यह 2 से 8 अक्टूबर तक प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। आज प्रकृति से जो भी प्राप्त हो रहा है, सबकी कुछ न कुछ महत्ता है। चाहे वह जीव हो या पेड़-पौधे, सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। आज यदि वृक्ष हैं तो ही मानव और प्राणियों का जीवन सम्भव है। मानव हस्तक्षेप के द्वारा आज लगभग 41 हजार से भी अधिक जीवों की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। उनका जीवन संकट में पड़ने लगा है। ऐसा क्यों? क्या हम भूल बैठे हैं कि उनके न रहने से हमारा जीवन भी संकट में पड़ जाएगा, प्रकृति का सारा सन्तुलन बिगड़ जाएगा। विलुप्त हो रही पशु-पक्षी, पेड़-पौधों की प्रजातियों से प्रकति का सन्तुलन बिगड़ा तो मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। तब मानव के पास केवल पछतावा होगा। न पेड़-पौधे होंगे और नहीं जीव-जंतु रह जायेंगे। यदि अब भी हमारी आँखें खुल जायें तो हम जैव विविधता के हो रहे ह्रास को दूर कर सकते हैं। हम जीव-जंतु और वनस्पतियों की रक्षा को अपना परम कर्तव्य मानकर आगे बढ़ें, तभी विकास कर पायेगें।
भारत में स्थिति
वन और वन्यजीवों को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। भारत सरकार के तहत एक केंद्रीय मंत्रालय वन्य जीव संरक्षण संबंधी नीतियों ओर नियोजन के संबंध में दिशा-निर्देश देने का कार्य करता है तथा राष्ट्रीय नीतियों को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी राज्य वन विभागों की होती है।
वन्यजीवों से सम्बंधित वैधानिक पहलू
- वन्य जीवों के संरक्षण के लिए भारत के संविधान में 42वें संशोधन (1976) अधिनियम के द्वारा दो नए अनुच्छेद 48-I व 51 को जोड़कर वन्य जीवों से संबंधित विषय के समवर्ती सूची में शामिल किया गया।
- वर्ष 2002 में राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2002-2016) को अपनाया गया, जिसमें वन्यजीवों के संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी तथा उनकी सहायता पर बल दिया गया है।
- वन्य जीवों को विलुप्त होने से रोकने के लिए सर्वप्रथम 1872 में वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट पारित हुआ था।
- वर्ष 1927 में भारतीय वन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसके प्रावधानों के अनुसार वन्य जीवों के शिकार एवं वनों की अवैध कटाई को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया।
- स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार द्वारा इंडियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्थापना की गई।
- 1956 में पुन: भारतीय वन अधिनियम पारित किया गया।
- 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधानियम पारित किया गया। यह एक व्यापक केन्द्रीय कानून है, जिसमें विलुप्त होते वन्य जीवों तथा अन्य लुप्त प्राय: प्राणियों के संरक्षण का प्रावधान है।
- वन्यजीवों की चिंतनीय स्थिति में सुधार एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव योजना 1983 में प्रारंभ की गई।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान
भारतीय वन्यजीव संस्थान की स्थापना 1982 में की गई। यह संस्थान केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन एक स्वशासी संस्थान है, जिसे वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान के रूप में मान्यता दी गई है।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो
वन्यजीव संबंधी अपराधों को रोकने के लिए वन्यजीव संरक्षण निदेशक के अंतर्गत वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन किया गया। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सांविधिक बहु-अनुशासनिक इकाई है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और जबलपुर में स्थित हैं।
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